भारत लोकतांत्रिक देश है और बिहार जननी, शायद यह नहीं जानते शिक्षा विभाग के अधिकारी : फैक्टनेब
सात शैक्षणिक सत्र का बकाया है अनुदान राशि और आवाज उठाने पर दंडात्मक कार्रवाई का तुगलकी फरमान
पटना । भारत एक लोकतांत्रिक देश है और बिहार लोकतंत्र की जननी, इतनी साधारण और महत्वपूर्ण जानकारी शायद शिक्षा विभाग के अधिकारियों को नहीं होना दुर्भाग्य और निन्दनीय है। एक तरफ संबद्ध डिग्री महाविद्यालयों में कार्यरत लगभग पच्चीस हजार शिक्षक एवं शिक्षकेत्तर कर्मचारियों का शैक्षणिक सत्र 2014-17 से 2021-23 (कुल सात शैक्षणिक सत्र) तक का परीक्षा परिणाम आधारित मिलने वाली बकाया अनुदान बकाया है ।
दूसरी तरफ शिक्षा विभाग द्वारा अपनी न्यायोचित और भारतीय संविधान में प्रदत्त संवैधानिक तरीके से किया जाने वाला आन्दोलन एवं मीडिया में बात उठाने पर दंडात्मक कार्रवाई की धमकी भरा पत्र जारी किया गया है, जिसे बिहार राज्य संबद्ध डिग्री महाविद्यालय शिक्षक शिक्षकेत्तर कर्मचारी महासंघ (फैक्टनेब) बर्दाश्त नहीं करेगा ।
बिहार राज्य संबद्ध डिग्री महाविद्यालय शिक्षक शिक्षकेत्तर कर्मचारी महासंघ (फैक्टनेब) के प्रधान संयोजक डा शंभुनाथ प्रसाद सिन्हा एवं राज्य मीडिया प्रभारी प्रो अरुण गौतम ने संयुक्त बयान जारी कर बताया कि महासंघ अपने हक हुकूक के लिए आन्दोलन जारी रखेगा । हम समाज में पथ-प्रदर्शक के रूप में हमेशा अग्रसर रहेंगे और उच्च शिक्षा के क्षेत्र में गुणवत्तापूर्ण सुधार तभी संभव है जब शिक्षकों और कर्मचारियों की समस्याओं का स्थाई समाधान होगा ।
दोनों नेताओं ने शिक्षा विभाग के अधिकारियों से अपील किया है कि अपनी तुगलकी फरमान को वापस लेकर शिक्षाकर्मियों के प्रति सम्मान जनक व्यवहार का परिचय दे अन्यथा राज्य के सभी शिक्षक संगठन एकजुट होकर संयुक्त आन्दोलन को बाध्य होंगे और इसकी सारी जवाबदेही शिक्षा विभाग के अधिकारियों पर होगी।