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बुद्धा इंटरनेशनल आईकॉन एजुकेशन अचीवर्स अवार्ड 2025 : बिहार के शिक्षकों ने लुम्बिनी में बढ़ाया राज्य का मान

साउथ एशिया डेवलपमेंट इनिशिएटिव के अंतरराष्ट्रीय सेमिनार में शिक्षकों, साहित्यकारों व शोधकर्ताओं को किया गया सम्मानित

लुम्बिनी, नेपाल में शिक्षा, संस्कृति और स्त्री सशक्तिकरण का भव्य संगम

लुम्बिनी (नेपाल)/पटना। दक्षिण एशिया डेवलपमेंट इनिशिएटिव (SADI) द्वारा लुम्बिनी बुद्धिस्ट यूनिवर्सिटी, रूपनदेही, नेपाल में एक दिवसीय अंतरराष्ट्रीय शोध सेमिनार एवं बुद्धा इंटरनेशनल आईकॉन एजुकेशन अचीवर्स अवार्ड 2025 का भव्य आयोजन संपन्न हुआ। इस अवसर पर शिक्षा, शोध, साहित्य और समाज सेवा के विभिन्न क्षेत्रों में विशिष्ट योगदान देने वाले प्रतिभागियों को सम्मानित किया गया।

कार्यक्रम का उद्देश्य दक्षिण एशियाई देशों में शिक्षा, संस्कृति, महिला सशक्तिकरण और शांति स्थापना के प्रयासों को प्रोत्साहित करना था। इस आयोजन में नेपाल, भारत, भूटान, बांग्लादेश और श्रीलंका समेत कई देशों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। सेमिनार में शिक्षाविदों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने शिक्षा के माध्यम से सामाजिक परिवर्तन की दिशा में किए जा रहे प्रयासों पर विचार साझा किए।

बिहार के शिक्षक-शिक्षिकाओं का अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सम्मान

इस भव्य आयोजन में बिहार के विभिन्न जिलों से चयनित शिक्षकों और शिक्षिकाओं को उनके शैक्षणिक और सामाजिक योगदान के लिए बुद्धा इंटरनेशनल आईकॉन एजुकेशन अचीवर्स अवार्ड 2025 से नवाजा गया। सम्मानित होने वाले शिक्षकों में निम्नलिखित नाम शामिल हैं:

नीलू कुमारी, शिक्षिका, रामधारी इंटर स्तरीय उच्च विद्यालय, तेतरी पकड़ा, नवगछिया, भागलपुर

डॉ. श्वेता शरण, आर एम एम कॉलेज, सहरसा

डॉ. मनीष कुमार शशि, उच्च विद्यालय, सिमरी, बक्सर

सत्य प्रकाश यादव, शिक्षक, राजकीय मध्य विद्यालय, करवतही, कुचायकोट, गोपालगंज

हेना सिन्हा, शिक्षिका, प्राथमिक विद्यालय, दोहजी रामचंद्र भगवानपुर, वैशाली

पूनम निषाद, शिक्षिका, मध्य विद्यालय, जलालपुर पश्चिमी, कुचायकोट, गोपालगंज

सारिका कुमारी, शिक्षिका, उत्क्रमित मध्य विद्यालय, बबुरबानी, सोनपुर (सारण)

इंदु कुमारी मिश्रा और अंजू कुमारी, शिक्षिकाएँ, मध्य विद्यालय, गंगवारा, रून्नीसैदपुर, सीतामढ़ी

इंदु कुमारी, शिक्षिका, उत्क्रमित उच्च विद्यालय, सिरसिया, कुचायकोट, गोपालगंज

माला त्रिपाठी “मालांशी” गोपालगंज बिहार, शिक्षिका, NLP trainer, लेखिका माला

इन सभी शिक्षकों ने न केवल अपने-अपने विद्यालयों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का वातावरण निर्मित किया है, बल्कि समाज में शिक्षा का अलख जगाने का भी कार्य किया है।

सेमिनार में प्रस्तुत हुए शोध-पत्र और विचार विमर्श

सेमिनार में “दक्षिण एशियाई शिक्षा प्रणाली में नवाचार”, “स्त्री सशक्तिकरण और शिक्षकों की भूमिका”, “सांस्कृतिक एकता और बौद्ध दर्शन” जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर सत्र आयोजित किए गए। वक्ताओं ने साझा किया कि वर्तमान समय में शिक्षक केवल ज्ञान प्रदाता नहीं, बल्कि समाज के परिवर्तनकारी अगुवा बन चुके हैं।

डॉ. श्वेता शरण और डॉ. मनीष कुमार शशि ने अपने शोध पत्रों में ग्रामीण शिक्षा के सुधार, शिक्षण विधियों में नवाचार और महिलाओं की उच्च शिक्षा तक पहुँच के संबंध में महत्वपूर्ण विचार रखे, जिन्हें खूब सराहा गया।

लुम्बिनी में सम्मान पाकर भावविभोर हुए शिक्षकगण

सम्मान प्राप्त करने के बाद बिहार के शिक्षकों ने कहा कि यह सम्मान न केवल व्यक्तिगत उपलब्धि है, बल्कि बिहार की शिक्षा प्रणाली के लिए गौरव का विषय है। शिक्षिका नीलू कुमारी ने कहा, “लुम्बिनी की पवित्र भूमि पर सम्मानित होना मेरे लिए आत्मिक संतोष और प्रेरणा का स्रोत है।”

हेना सिन्हा ने कहा कि प्राथमिक शिक्षा को मजबूती देना समाज की नींव मजबूत करने जैसा है और यह सम्मान इस दिशा में उनके प्रयासों की पुष्टि है। वहीं सारिका कुमारी ने कहा कि इस तरह के अंतरराष्ट्रीय मंच से जुड़ना ग्रामीण क्षेत्रों की शिक्षिकाओं को नई दिशा देता है।

समारोह में सांस्कृतिक झलक और सहयोग की भावना

कार्यक्रम का समापन नेपाल सहित दक्षिण एशियाई देशों की सांस्कृतिक प्रस्तुतियों से हुआ, जिसने सांस्कृतिक एकता और विविधता का अद्भुत प्रदर्शन किया। नेपाल की पारंपरिक नृत्य शैलियों के साथ-साथ भारतीय लोक प्रस्तुतियों ने दर्शकों का मन मोह लिया।

SADI के अध्यक्ष ने इस आयोजन की सफलता पर संतोष व्यक्त करते हुए कहा कि, “हमारा लक्ष्य है कि दक्षिण एशिया में शिक्षा और समानता के क्षेत्र में सकारात्मक सहयोग और संवाद को बढ़ावा दिया जाए।”

शिक्षकों को मिला अंतरराष्ट्रीय पहचान का मंच

बुद्धा इंटरनेशनल आईकॉन एजुकेशन अचीवर्स अवार्ड 2025 बिहार के शिक्षकों के लिए एक ऐसा अवसर सिद्ध हुआ, जहाँ उन्हें अंतरराष्ट्रीय मंच पर अपने कार्य की पहचान मिली। इस प्रकार के आयोजन शिक्षा जगत में प्रेरणा और नवाचार के संचार के साथ-साथ समाज के नवनिर्माण में शिक्षकों की भूमिका को और सशक्त करते हैं।

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