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बनकट गांव में पहुंची स्वास्थ्य विभाग की टीम, लोगों को डायरिया से बचाव संबंधित दी जानकारी

डुमरांव. बनकट गांव में डायरिया प्रभावित लोगों की संख्या अब नहीं है, ऐसे जागरौशन राय इलाजरत है. लेकिन बेहतर स्थिति में है, उन्होंने बताया कि पेट में जलन है. ड्यूटी पर तैनात डाक्टर व स्वास्थ्य कर्मी मरीज को लगातार देख रहें हैं. गांव में पीएचसी प्रभारी के नेतृत्व में मेडिकल टीम पहुंच गांव के लोगों से रूबरू होते हुए बात किया. लोगों से स्थिति के बारे में जानकारी ली.

गांव वालों ने बताया पहले से बहुत ही स्थित बेहतर है. पीएचसी प्रभारी और बीएम एंड ई उमेश कुमार ने गांव के लोगों को बताया कि डायरिया से होने वाली मौतों को रोका जा सकता है, इसे रोकने के लिए लोगों का जागरूक होना जरुरी है. उन्होंने कहा कि जागरूकता के अभाव के कारण बच्चों को उल्टी दस्त के दौरान खाना देना बंद कर दिया जाता है जिससे बच्चे को अधिक कमजोरी बढ़ जाती है.

बच्चे को खानपान बंद नहीं करना चाहिए और बच्चों को उल्टी दस्त की शिकायत होने पर ओआरएस का घोल देना चाहिए. जिससे बच्चे के शरीर में पानी की कमी ना हो. उन्होंने कहा कि उल्टी दस्त की शिकायत पर अनुमंडल अस्पताल, नजदीकी स्वास्थ्य केन्द्र, आंगनबाड़ी पर भी पर्याप्त मात्रा में जिंक और ओआरएस घोल उपलब्ध है. इसकी घोल बनाने की विधि भी अभिभावक समझकर घर में ही उल्टी दस्त के प्रकोप होने पर उपचार कर सकते है.

डायरिया दूषित पेयजल के इस्तेमाल और साफ-सफाई का ख्याल न रखने से फैलती है. यह पाचन तंत्र संबंधित एक विकार है, जिसमें मरीज को लगातार दस्त शुरू हो जाता है. यह दस्त दो से तीन दिन तक रहता है. ज्यादातर मामलों में मरीज उपचार से स्वास्थ्य लाभ प्राप्त कर लेता है, लेकिन कुछ मामलों में जल्दी ठीक नहीं हो पाता है.

इसलिए दूषित पानी के सेवन से बचाव के लिए लोगों को जागरूक किया जाएगा. इसके साथ ही विभाग की तरफ से इसके इलाज के लिए भी अनुमंडल अस्पताल सहित सभी सीएचसी और पीएचसी पर नि:शुल्क इलाज किया जा रहा है. वहीं बच्चों को इससे बचाव के लिए जागरूक करने की जरूरत है.

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