फाइलेरिया और कालाजार जैसी बीमारी भी एनटीडी में हैं शामिल

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आरा : विश्व में हर पांच में से एक व्यक्ति उपेक्षित उष्णकटिबंधीय रोग (एनटीडी) रोगों से पीड़ित है। दुनिया में इन 11 बीमारियों का भारी बोझ भारत पर भी है। इन रोगों से रोगी में दुर्बलता तो आती ही है, कई स्थितियों में ये पीड़ित व्यक्ति की मौत का कारण भी बनती हैं। कालाजार और फाइलेरिया जैसी परजीवी रोगों समेत भारत में कम-से-कम 20 उपेक्षित उष्णकटिबंधीय रोग मौजूद हैं।

जिससे देश भर में लाखों लोग प्रभावित होते हैं। इनमें प्रायः अधिकतर लोग गरीब एवं संवेदनशील वर्ग से होते हैं। इसी क्रम में सोमवार को जिले के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र कस्बा में जनजागरूकता के लिए सीफार संस्था के सहयोग से विश्व एनटीडी दिवस का आयोजन किया जा रहा है।

कालाजार के लक्षण दिखने पर आरके 39 किट से की जाती है जांच

प्रभारी जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. के. एन. सिन्हा ने बताया कि वैसे व्यक्ति जिन्हें बुखार न हो लेकिन उनके शरीर के चमड़े पर चकता अथवा दाग हो किन्तु उसमें सूनापन न हो तथा वे पूर्व में कालाजार से पीड़ित रहे हो, वैसे व्यक्तियों को आरके-39 किट से जांच हेतु प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र को रेफर किया जाता है। कालाजार मरीजों के इलाज की सुविधा जिले के सभी पीएचसी में नि:शुल्क उपलब्ध है।

उन्होंने बताया कि अगर किसी व्यक्ति ने कालाजार का इलाज पूर्व में कराया हो फिर भी उन में बुखार के साथ कालाजार के लक्षण पाये जाएं तो उन्हें आरके-39 किट से जांच न करते हुए बोन मैरॉव या स्पिलीन जांच के लिए आशा द्वारा उन मरीजों को सदर अस्पताल रेफर किया जाता है तथा उनके नाम की प्रविष्टी रेफरल पर्ची में की जाती है।

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मरीजों को आर्थिक सहायता का मिलेगा लाभ

डॉ. सिन्हा ने बताया कि कालाजार से पीड़ित रोगी को सरकार द्वारा आर्थिक सहायता दी जाती है। मुख्यमंत्री कालाजार राहत योजना के तहत श्रम क्षतिपूर्ति के रूप में बीमार व्यक्ति को राज्य सरकार द्वारा 6600 रुपए और केंद्र सरकार द्वारा 500 रुपए दिए जाते हैं। यह राशि कालाजार संक्रमित व्यक्ति को संक्रमण के समय में दिया जाता है। वहीं पीकेडीएल चमड़ी से जुड़े कालाजार संक्रमित रोगी को केंद्र सरकार की तरफ से 4000 रुपए दिए जाते हैं।

एनटीडी को लेकर लोगों में जागरूकता बहुत जरूरी है

डॉ. सिन्हा ने कहा कि फाइलेरिया एवं कालाजार सहित एनटीडी की सूची में शामिल सभी 20 रोगों की जानकारी एवं जागरूकता होना बहुत जरूरी है। इसमें कई ऐसे रोग शामिल हैं। जिसमें जान तो नहीं जाती, लेकिन जिंदा आदमी को मृत के समान बना देती है। फाइलेरिया भी ऐसी ही एक बीमारी है जिसे हाथीपांव के नाम से भी जाना जाता है।

फाइलेरिया के प्रमुख लक्षण हाथ या पैर या हाइड्रोसिल में सूजन का होना होता है। यह क्यूलेक्स मच्छर के काटने से होने वाली एक गंभीर बीमारी है। अगर समय पर फाइलेरिया की पहचान कर ली जाए तो जल्द इलाज शुरू किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि लोगों में इसको लेकर जागरूकता बहुत जरूरी है। इसलिए लोग अपने घर के आस-पास गंदा पानी नहीं जमा होने दे और सोते समय मच्छरदानी रोजाना उपयोग करें।

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