डुमरांव. अनुमंडलीय अस्पताल में मंगलवार को गर्भवती महिलाओं को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया कराने के उद्देश्य से शुरू प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान के तहत शुरूआत 74 प्रसव पूर्व महिलाओं की जांच की गई. इस तारीख को पहुंचने वाली प्रसव पूर्व जांच को लेकर महिलाओं के बीच नाश्ता के वितरण होता है. लेकिन आधा से अधिक गर्भवती महिलाओं को नाश्ता से वंचित होना पड़ा. जिन्हें मिला भी तो पांच रूपया वाला बिस्कुट का पैकेट व दो केला. लेकिन नाश्ता के लिए लगभग 50 रूपया और इसके अलावे इस दिन के लिए ओपीडी सजावट के लिए 2500 सौं रूपया मिलता है. लेकिन सजावट के नाम पर मात्र चार से पांच बैलुन लगाकर कोरम पूरा किया गया था.
जांच के दौरान महिला चिकित्सक के अलावे मात्र एक जीएनएम मौजूद रहीं. इस दौरान स्वास्थ्य कर्मी को परेशानी का सामना करना पड़ा. वहीं डॉ प्रेमा कुमारी ने बताया कि प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान कार्यक्रम का उद्देश्य गर्भवती महिलाओं को गुणवत्तापूर्ण प्रसव पूर्व जांच की सुविधा उपलब्ध कराने के साथ उन्हें बेहतर परामर्श देना है. बेहतर पोषण हेतु गर्भवती महिलाओं में खून की कमी से बचाता है. इसलिए सभी गर्भवती महिलाओं को जांच के बाद पोषण के बारे में भी जानकारी दी जाती है. उन्होंने बताया कि इस अभियान की सहायता से प्रसव के पहले ही संभावित जटिलता का पता चल जाता है, जिससे प्रसव के दौरान होने वाली जटिलता में काफी कमी भी आती है.
अभियान का मुख्य उद्देश्य मातृ एवं शिशु मृत्यु दर में कमी लाना है. अत्यधिक रक्तस्त्राव से महिला की जान जाने का खतरा सबसे अधिक होता है. प्रसव पूर्व जांच में यदि खून सात ग्राम से कम पाया जाता है, तब ऐसी महिलाओं को आयरन की गोली के साथ पोषक पदार्थों के सेवन के विषय में सलाह भी दी जाती है. गर्भावस्था के दौरान उच्च रक्तचाप, मधुमेह, अत्यधिक या कम वजन एवं अत्यधिक खून की कमी प्रसव संबंधित जटिलता को बढ़ा सकता है. अनुमंडलीय अस्पताल के प्रभारी उपाधीक्षक डा. सुमीत सौरभ ने बताया कि इस दिशा में प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व योजना प्रभावी रूप से सुदूर गांवों में रहने वाली महिलाओं के लिए वरदान साबित हो रही है. मौके पर जीएनएम सबीता कुमारी व परिवार कल्याण परामर्शी मो. कलीम अख्तर सहित अन्य स्वास्थ्य कर्मी उपस्थित रहें.
सुरक्षित प्रसव में हुई है बढ़ोतरी
प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान के तहत गुणवत्तापूर्ण प्रसव पूर्व जांच की सुविधा उपलब्ध कराने के प्रयास में काफी सफलता मिली है. स्वास्थ्य विभाग की सक्रियता के साथ अभियान को सफल बनाने में आशाओं की भूमिका भी सराहनीय है. आशा सामुदायिक स्तर पर उच्च जोखिम वाली गर्भवती महिलाओं की पहचान कर उसे प्रत्येक महीने की 9 तारीख को प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों व अनुमंडल अस्पताल पर प्रसव पूर्व जांच के लिए ससमय संदर्भित करती हैं.
इस अभियान के अंतर्गत गर्भवती महिलाओं को बेहतर प्रसव पूर्व जांच की सुविधा प्रदान करने एवं सुरक्षित प्रसव को सुनिश्चित करने के लिए उच्च रक्तचाप, वजन की माप, गर्भावस्था के दौरान मधुमेह, यूरिन एल्ब्यूमिन, हीमोग्लोबिन (एनीमिया) एवं ब्लड ग्रुप की जांच के द्वारा उच्च जोखिम वाले गर्भवती महिलाओं की पहचान कर उन्हें समुचित इलाज उपलब्ध कराया जाता है. इससे प्रसव के दौरान होने वाली जटिलताओं में कमी आती है.