
मथुरा/वृंदावन। श्रीकृष्ण की जन्मस्थली मथुरा में एक अविस्मरणीय और सौभाग्यपूर्ण क्षण देखने को मिला, जब पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य करने वाली मां-बेटी की जोड़ी को एक ही मंच से प्रदेश स्तरीय हरित शिक्षक सम्मान-2025 से नवाजा गया। यह गौरवपूर्ण सम्मान महोबा जनपद की शिक्षिका भावना सुल्लेरे और उनकी माताजी श्रीमती मिथिलेश सुल्लेरे को प्रदान किया गया।
सम्मान समारोह का आयोजन
दिनांक 30 मई 2025 को मथुरा जिले के वृंदावन स्थित होटल हीरा कुंज सभागार में प्रदेश स्तरीय हरित शिक्षक सम्मान समारोह का भव्य आयोजन हुआ। यह आयोजन ईको फ्रेंडली बर्ड एंड नेचर प्रोटेक्शन कैंपेन के तत्वाधान में संपन्न हुआ, जिसमें उत्तर प्रदेश के विभिन्न जनपदों से पर्यावरण के क्षेत्र में कार्य कर रहे शिक्षकों और समाजसेवियों ने भाग लिया।
भावना सुल्लेरे का योगदान
महिला शिक्षिका भावना सुल्लेरे, जो महोबा जनपद की प्रतिनिधि के रूप में इस कार्यक्रम में सम्मिलित हुईं, ने अपने विद्यालय में पर्यावरण संरक्षण पर आधारित प्रोजेक्ट बेस्ड एजुकेशन, नवाचार, तथा सामुदायिक जागरूकता अभियानों के माध्यम से विद्यार्थियों में हरित सोच और संवेदनशीलता का बीजारोपण किया है।
उनके प्रयासों से विद्यालय के छात्र-छात्राएं कचरा प्रबंधन, पशु-पक्षी संरक्षण, जल संरक्षण, जैव विविधता और सतत विकास जैसे विषयों पर गहन कार्य कर रहे हैं। इन प्रयासों की सराहना करते हुए उन्हें कार्यक्रम संयोजक हरिओम सिंह, आयोजक डॉ. अखिलेश यादव, समन्वयक वीरेंद्र कुमार, मुख्य अतिथि डॉ. कुलदीप सारस्वत (कुलसचिव, शुभम विश्वविद्यालय भोपाल) एवं विशिष्ट अतिथि रविन्द्र सिंह (जिला विद्यालय निरीक्षक, मथुरा) द्वारा सम्मानित किया गया।
मां श्रीमती मिथिलेश सुल्लेरे को भी मिला विशेष सम्मान
शिक्षिका भावना सुल्लेरे की प्रेरणास्त्रोत, उनकी माताजी श्रीमती मिथिलेश सुल्लेरे जो स्वयं एक पशु प्रेमी और समाज सेविका हैं, को भी उनके सतत प्रयासों और समाज में पशु-कल्याण के प्रति प्रेम और दया भाव जागृत करने के लिए सम्मानित किया गया। बचपन से ही बेटी के भीतर दया, करुणा और सेवा की भावना को विकसित करने वाली माता को मंच से सम्मानित किया जाना एक अद्वितीय और प्रेरणास्पद पल रहा।
विद्यालय एवं छात्रों की उपलब्धियाँ
श्रीमती सुल्लेरे द्वारा संचालित विद्यालय को सीसीई विप्रो संगठन एवं लखनऊ स्थित @gencan संस्था द्वारा पर्यावरण और सतत विकास पर कार्य करने हेतु सम्मानित किया गया है। छात्र न केवल पर्यावरणीय प्रोजेक्ट्स में कार्यरत हैं, बल्कि साहित्य लेखन और सार्वजनिक अभियानों में भी सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं।
प्रेरणा का स्रोत बनी मां-बेटी की जोड़ी
इस प्रेरणादायक घटना को देखकर अन्य शिक्षकों और समाजसेवियों को भी पर्यावरण संरक्षण और जैव विविधता की दिशा में कार्य करने की प्रेरणा मिली है। समय-समय पर स्थानीय समाचार पत्रों में भावना सुल्लेरे और उनके छात्रों के कार्य प्रकाशित होते रहे हैं, जिससे जनसामान्य में जागरूकता का प्रसार हुआ है।
उत्कृष्ट प्रयासों की मुक्तकंठ से सराहना
कार्यक्रम के अंत में संयोजकों और अतिथियों ने भावना सुल्लेरे एवं श्रीमती मिथिलेश सुल्लेरे द्वारा किए गए कार्यों की मुक्तकंठ से प्रशंसा करते हुए कहा कि ऐसे समर्पित प्रयासों से ही समाज में सकारात्मक बदलाव संभव है। मां-बेटी को एक साथ मंच से सम्मानित किया जाना पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक ऐतिहासिक क्षण बन गया है।
यह सम्मान केवल दो व्यक्तियों का नहीं, बल्कि उन सभी प्रयासों और मूल्यों का प्रतीक है जो सतत विकास, प्रकृति प्रेम और सामाजिक उत्तरदायित्व की नींव रखते हैं। भावना सुल्लेरे और उनकी माताजी द्वारा किया गया यह कार्य निश्चित ही आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बना रहेगा।

