पौष्टिक भोजन और बेहतर खानपान टीबी को काबू करने में देता है मदद : सिविल सर्जन
प्रोटीन और विटामिन्स से भरपूर भोजन इलाज के दौरान मरीज के लिए लाभकारी
संक्रमित व्यक्ति को सांस लेने, छींकने व खांसने के दौरान रखना चाहिए खास ध्यान
बक्सर | ट्यूबरक्लोसिस यानी की टीबी एक प्रकार का संक्रामक रोग है, जो फेफड़ों को प्रभावित करता है। ये संक्रमण एक प्रकार की बैक्टीरिया की वजह से होता है, जो एक संक्रमित व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक फैल सकता है। पूर्व के दिनों में जानकारी और सुविधाओं की कमी के कारण से लोगों को टीबी संक्रमण से अपनी जान गवांनी पड़ी।
लेकिन आज के समय में राहत की बात यह है कि इसका इलाज पूरी तरह से मुमकिन है और धीरे-धीरे लोगों के बीच इसके प्रति जागरूकता भी बढ़ रही है। बक्सर समेत पूरे राज्य टीबी संक्रमित मरीजों की बहुतायत है। यदि इस बीमारी का इलाज समय पर शुरू कर दिया जाए तो इस बीमारी से ग्रसित मरीजों का इलाज करना बेहद आसान है, लेकिन यदि इस पर समय रहते ध्यान न दिया जाए तो यह जानलेवा साबित हो सकती है।
सिविल सर्जन डॉ. सुरेश चंद्र सिन्हा ने बताया कि ट्यूबरक्लोसिस एक प्रकार के बैक्टीरिया के कारण होता है, जिसे हम माइकोबैक्टेरियम ट्यूबरक्लोसिस कहते हैं। यह तब फैलती है जब टीबी से ग्रसित व्यक्ति के संक्रमित फेफड़ों के कफ या छींक के ड्रॉपलेट्स दूसरे व्यक्तियों में सांस के द्वारा प्रवेश कर जाते हैं।
इन ड्रॉपलेट्स में टीबी बैक्टीरिया होते हैं, जो दूसरे व्यक्ति को भी संक्रमित कर देते हैं। यह बैक्टीरिया हवा के माध्यम से भी ट्रांसफर हो सकता है, इसलिए एक संक्रमित व्यक्ति को सांस लेते हुए, छींकते हुए, खांसते वक्त खास ध्यान रखना चाहिए। साथ ही दूसरे व्यक्ति से उचित दूरी बनाकर रखनी चाहिए।
मरीजों में सामान्य लक्षण के अलावा दिखते हैं गंभीर लक्षण
जिला यक्ष्मा पदाधिकारी डॉ. शालिग्राम पांडेय ने बताया कि टीबी के लक्षण संक्रमण के तुरंत बाद नजर नहीं आते, यह धीरे-धीरे नजर आते हैं। इनके कुछ सामान्य लक्षण शामिल है। जिसमें तीन हफ्तों से अधिक समय तक कफ का बना रहना, या आपके कफ में ब्लड आना, बिना कुछ किए अत्यधिक थकान महसूस करना, शरीर का तापमान बढ़ाना और रात को पसीना आना, भूख में कमी आना, वजन का कम होना व बीमार महसूस करना।
उन्होंने बताया कि इन सामान्य लक्षणों के अतिरिक्त कुछ गंभीर लक्षण भी नजर आते हैं। जैसे स्वॉलेन ग्लैंड्स, शरीर में ऐठन और दर्द होना, टखनों और जोड़ों में सूजन आना, पेट और पेल्विक में दर्द रहना, कब्ज की समस्या, गहरे रंग की क्लाउडी यूरिन, सिर दर्द होना, भ्रम में रहना, गर्दन का अकड़ जाना तथा पैर, चेहरे व अन्य अंगों पर रैशेज होना। कई बार टीबी की स्थिति में शरीर में कोई भी लक्षण नजर नहीं आता जिसे लेटेंट टीबी कहा जाता है।
इलाज के लिए ये खाएं टीबी मरीज
टीबी के मरीजों के लिए केला, अनाज दलिया, मूंगफली की चिक्की, गेहूं और रागी जैसे खाद्य पदार्थ काफी फायदेमंद होते हैं। दाल, चावल और सब्जियों से बनी खिचड़ी का एक कटोरा कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन और शरीर के लिए आवश्यक अन्य सभी पोषक तत्वों का एक पूरा पैकेज है।
रोगी को प्रोटीन से भरपूर खाना देना चाहिए। प्रोटीन का मुख्य स्त्रोत अंडे, पनीर और सोया चंक्स का सेवन करना बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि वे प्रोटीन से भरपूर होते हैं। साथ ही, विटामिन ए, सी और ई का सेवन करने से रोगी के शरीर को ऊर्जा मिलती है और इम्यूनिटी बढ़ती है।
इन सभी विटामिन्स के लिए संतरा, आम, कद्दू ,गाजर, अमरूद, आंवला, टमाटर, नट्स और बीज जैसे फल और सब्जियां खाएं। इन खाद्य पदार्थों को टीबी रोगी के दैनिक आहार में शामिल किया जाना चाहिए। अमरूद और आंवला जैसे फल विटामिन सी और एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होते हैं जो टीबी के रोगी के लिए बहुत लाभकारी हैं।