
रून्नीसैदपुर/बक्सर/पूर्णिया, संवाददाता। राज्य सरकार द्वारा चलाए जा रहे विशेष नामांकन अभियान के तहत, बिहार के विभिन्न जिलों में शिक्षक और शिक्षिकाएं पूरी तत्परता और समर्पण के साथ जुटे हुए हैं। “स्कूल चलें हम” अभियान को सफल बनाने के लिए शिक्षक-शिक्षिकाएं सुबह-सुबह ही अपने-अपने क्षेत्रों में निकल रहे हैं और घर-घर जाकर बच्चों के नामांकन की प्रक्रिया को गति दे रहे हैं। इस पहल का मुख्य उद्देश्य है कि कोई भी बच्चा शिक्षा के मूल अधिकार से वंचित न रह जाए।
सीतामढ़ी जिले के रून्नीसैदपुर प्रखंड में इस अभियान की गूंज विशेष रूप से सुनाई दे रही है। यहां के मध्य विद्यालय कोआही की शिक्षिका वीणा कुमारी और मध्य विद्यालय गंगवारा की शिक्षिका अंजू कुमारी सुबह-सवेरे गांव की गलियों में निकल जाती हैं। वे घर-घर जाकर न केवल अभिभावकों से बात करती हैं, बल्कि उन्हें शिक्षा के महत्व के प्रति जागरूक भी करती हैं। उनका मानना है कि शिक्षा से ही समाज का संपूर्ण विकास संभव है, और इसके लिए प्रत्येक बच्चे को विद्यालय से जोड़ना अत्यंत आवश्यक है।
वीणा कुमारी ने बातचीत में बताया कि आज भी कई परिवार ऐसे हैं जो आर्थिक या सामाजिक कारणों से बच्चों को स्कूल नहीं भेजते। ऐसे परिवारों को समझाना, उनके मन की शंकाओं को दूर करना और बच्चों को स्कूल तक लाना आसान कार्य नहीं है, लेकिन यदि दृढ़ संकल्प और संवेदनशीलता के साथ प्रयास किया जाए तो यह मुमकिन है। अंजू कुमारी ने बताया कि वे विशेष रूप से बालिकाओं के नामांकन पर ध्यान दे रही हैं, क्योंकि ग्रामीण क्षेत्रों में अब भी बालिकाओं की शिक्षा को लेकर जागरूकता की कमी देखी जाती है।
पूर्णिया जिले के कस्बा प्रखंड की प्राथमिक विद्यालय, मुख्यालय की शिक्षिका ज्योति कुमारी ने भी इस अभियान में सक्रिय भूमिका निभाई है। वे कस्बे के हर मोहल्ले में जाकर स्वयं बच्चों और उनके माता-पिता से संवाद करती हैं। उनका मानना है कि बच्चों की शुरुआती शिक्षा ही उनके भविष्य की दिशा तय करती है। यदि किसी भी कारणवश कोई बच्चा प्रारंभिक शिक्षा से वंचित रह जाता है, तो आगे चलकर उसका जीवन संघर्षपूर्ण बन जाता है।
बक्सर जिले के इटाढ़ी प्रखंड के ताजपुर गांव में स्थित प्राथमिक विद्यालय की शिक्षिका ममता कुमारी और भगवानपुर राजपुर प्रखंड की कन्या मध्य विद्यालय की शिक्षिका उषा मिश्रा भी पूरे समर्पण के साथ नामांकन अभियान में जुटी हैं। इन शिक्षिकाओं का फोकस भी विशेष रूप से बालिकाओं को शिक्षा की मुख्यधारा से जोड़ने पर है। ममता कुमारी ने बताया कि ग्रामीण क्षेत्रों में कई बार सामाजिक बंधनों और पारिवारिक दबावों के चलते बालिकाएं शिक्षा से वंचित रह जाती हैं। ऐसे में शिक्षकों का यह दायित्व है कि वे लोगों की सोच में बदलाव लाएं और बेटियों को स्कूल से जोड़ें।
उषा मिश्रा ने भी कहा कि समाज को आगे बढ़ाने के लिए बेटियों की शिक्षा अत्यंत आवश्यक है। वे अपने विद्यालय की अन्य शिक्षिकाओं के साथ मिलकर मोहल्लों और टोलों में जाकर नामांकन का कार्य कर रही हैं। वे माता-पिता को यह विश्वास दिला रही हैं कि स्कूल में बेटियों की सुरक्षा, सम्मान और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का पूरा ख्याल रखा जाएगा।
इन सभी शिक्षिकाओं का लक्ष्य है कि “कोई बच्चा शिक्षा से वंचित न रह जाए”। वे केवल नामांकन तक सीमित नहीं हैं, बल्कि यह भी सुनिश्चित कर रही हैं कि बच्चों की नियमित उपस्थिति बनी रहे और वे पढ़ाई में रुचि लें। इसके लिए वे बच्चों के साथ संवाद, अभिभावकों से नियमित बातचीत और विद्यालय में छात्र हितैषी वातावरण बनाने का निरंतर प्रयास कर रही हैं।
यह नामांकन अभियान केवल सरकारी योजना नहीं, बल्कि यह एक जन आंदोलन का रूप लेता जा रहा है, जिसमें शिक्षकों की मेहनत और सेवा भावना स्पष्ट रूप से दिखाई देती है। समाज में शिक्षक की भूमिका को फिर से सम्मान और गौरव मिल रहा है।
विभागीय अधिकारियों ने भी इन शिक्षकों के प्रयासों की सराहना की है और कहा है कि ऐसे समर्पित शिक्षकों के कारण ही राज्य शिक्षा के क्षेत्र में निरंतर प्रगति कर रहा है। उन्होंने आशा व्यक्त की कि इस अभियान से शत-प्रतिशत नामांकन का लक्ष्य जल्द ही हासिल किया जाएगा।
सच में, जब शिक्षक ठान लें तो शिक्षा की रौशनी हर घर तक पहुंचाई जा सकती है।