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दीप शीखा को दूसरी बार मिला “टीचर ऑफ द मंथ” का सम्मान : सुपौल जिले की शिक्षिका बनी प्रेरणा का स्रोत

सुपौल, बिहार। शिक्षा के क्षेत्र में निरंतर उत्कृष्टता की मिसाल पेश करते हुए मध्य विद्यालय जगतपुर, सुपौल की समर्पित शिक्षिका दीप शीखा को एक बार फिर “टीचर ऑफ द मंथ” के सम्मान से नवाजा गया है। बिहार सरकार के शिक्षा विभाग द्वारा प्रदान किया जाने वाला यह सम्मान उन्हें जनवरी माह के बाद अप्रैल माह में भी प्राप्त हुआ, जो उनकी शिक्षण क्षमता, नवाचारी दृष्टिकोण और विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास में योगदान का प्रमाण है।

पहली बार सम्मानित होने वाली सुपौल की शिक्षिका

दीप शीखा सुपौल जिले की पहली शिक्षिका बनीं जिन्हें यह प्रतिष्ठित सम्मान दो बार प्राप्त हुआ है। जनवरी माह में उन्हें पहली बार इस प्रशस्ति-पत्र से नवाजा गया था और अप्रैल माह में दोबारा यह सम्मान प्राप्त कर उन्होंने जिले का नाम रोशन किया है। यह उपलब्धि न केवल उनके लिए, बल्कि पूरे सुपौल जिले के लिए गर्व की बात है।

नवाचारी शिक्षण और बच्चों से विशेष जुड़ाव

दीप शीखा ने पारंपरिक शिक्षण विधियों से हटकर नवाचारी पद्धतियों को अपनाया, जिससे छात्रों की सीखने की प्रक्रिया अधिक रोचक और प्रभावी हुई। वे बच्चों को केवल पाठ्यक्रम तक सीमित नहीं रखतीं, बल्कि उन्हें जीवन कौशल, सामाजिक जिम्मेदारी और नैतिक मूल्यों से भी परिचित कराती हैं। उनका मानना है, “एक शिक्षक का कार्य केवल किताबों तक सीमित नहीं होता, उसका असली लक्ष्य भविष्य की पीढ़ी को संवारना होता है।”

उनका छात्रों से भावनात्मक जुड़ाव भी उल्लेखनीय रहा है। स्थानांतरण के बाद भी उन्होंने स्वीकार किया कि बच्चों से गहरा लगाव हो गया था, जिसे भूल पाना आसान नहीं है।

सामूहिक प्रयासों की सराहना

सम्मान प्राप्त करने के उपरांत दीप शीखा ने इसे अपनी व्यक्तिगत उपलब्धि न मानते हुए विद्यार्थियों की जिज्ञासा, अभिभावकों के विश्वास और अपने सहकर्मियों के सहयोग का परिणाम बताया। उन्होंने कहा कि यह सफलता एक सामूहिक प्रयास का नतीजा है, जिसमें हर किसी की भूमिका महत्वपूर्ण रही है।

विद्यालय के लिए बना प्रेरणा स्रोत

मध्य विद्यालय जगतपुर के प्रधानाध्यापक और शिक्षकगणों ने भी इस उपलब्धि पर गहरा हर्ष व्यक्त किया है। उनका कहना है कि दीप शीखा की मेहनत और मार्गदर्शन से विद्यालय की शैक्षणिक गुणवत्ता में निरंतर सुधार हुआ है। उनके प्रयासों से विद्यालय में नवाचार की नई परंपराएं स्थापित हुईं हैं, जिनका लाभ आने वाली पीढ़ियों को मिलेगा।

सीमित संसाधनों में असाधारण कार्य

दीप शीखा की यह उपलब्धि उन हजारों शिक्षकों के लिए प्रेरणादायक है जो सीमित संसाधनों के बीच भी शिक्षा के क्षेत्र में बदलाव लाने के लिए निरंतर प्रयासरत हैं। शिक्षा विभाग, बिहार द्वारा उनकी इस तरह की सराहना से न केवल उनका मनोबल बढ़ा है, बल्कि जिले भर के शिक्षकों को भी प्रोत्साहन मिला है कि वे भी अपने कार्य में नवाचार और समर्पण के साथ उत्कृष्टता प्राप्त कर सकते हैं।

शिक्षा की दिशा में एक सतत यात्रा

दीप शीखा का कहना है कि यह यात्रा अभी समाप्त नहीं हुई है। “यह सम्मान मेरे लिए एक नई शुरुआत है, न कि अंतिम पड़ाव,” उन्होंने कहा। उनके अनुसार, शिक्षा का क्षेत्र एक सतत विकासशील क्षेत्र है, जहाँ हर दिन कुछ नया सीखने और सिखाने का अवसर होता है।

दीप शीखा की यह उपलब्धि न केवल उनके समर्पण और नवाचार की साक्षी है, बल्कि यह संदेश भी देती है कि जब शिक्षक अपने कर्तव्यों के प्रति ईमानदारी और भावनात्मक लगाव से कार्य करते हैं, तो वे समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाने का माध्यम बन सकते हैं। उनका यह दोहरा सम्मान पूरे बिहार राज्य के लिए गौरव की बात है।

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