
गोपालगंज। सरकारी स्कूलों में शिक्षा को रोचक और तकनीकी रूप से सशक्त बनाने की दिशा में नवसृजित प्राथमिक विद्यालय संसारपुर की शिक्षिका माला त्रिपाठी ने एक मिसाल पेश की है। उन्होंने अपने विद्यालय के छोटे बच्चों को डिजिटल साक्षरता से जोड़ने के लिए एक अद्भुत प्रयोग किया है — दफ्ती से बना लैपटॉप मॉडल।
जहाँ बड़े बच्चों को लैपटॉप और प्रोजेक्टर के जरिए डिजिटल शिक्षा दी जा रही है, वहीं कक्षा 1 से 3 तक के बच्चे भी तकनीकी ज्ञान के लिए उत्साहित रहते हैं। इसी उत्सुकता और जिज्ञासा को देखकर शिक्षिका माला त्रिपाठी ने घर और स्कूल में उपलब्ध सामान्य सामग्रियों जैसे दफ्ती, कागज, स्केच पेन आदि की मदद से लैपटॉप का मॉडल तैयार किया, जिसमें कीबोर्ड, स्क्रीन, टचपैड और पोर्ट की भी आकृतियाँ बनी हुई हैं।
शिक्षिका ने न केवल लैपटॉप की बनावट समझाई, बल्कि हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर का मौलिक अंतर भी सरल भाषा में समझाया। बच्चों को यह बताया गया कि हार्डवेयर वह होता है जिसे हम छू सकते हैं जैसे कीबोर्ड, स्क्रीन, माउस आदि, जबकि सॉफ्टवेयर वह होता है जो लैपटॉप के अंदर काम करता है, जैसे Paint, WordPad, Calculator आदि।
बच्चों को कीबोर्ड की कार्यप्रणाली भी सिखाई गई — स्पेस बार, इंटर, बैकस्पेस, एरो कीज, और कैप्स लॉक जैसी महत्वपूर्ण कुंजियों की पहचान कराई गई। बच्चे उत्साहपूर्वक अपने हाथों की उंगलियाँ कीबोर्ड पर रखकर अभ्यास कर रहे हैं, जिससे उनमें टाइपिंग की समझ भी विकसित हो रही है।
विद्यालय परिसर में यह दृश्य देखकर सभी शिक्षक, अभिभावक और शिक्षा पदाधिकारी काफी प्रभावित हुए हैं। बच्चों की आंखों में उत्सुकता और चेहरों पर मुस्कान यह दर्शा रही है कि किस प्रकार एक छोटे से प्रयास से बड़े स्तर पर प्रभाव डाला जा सकता है।
माला त्रिपाठी का यह प्रयास न केवल शिक्षा में नवाचार का उदाहरण है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि संसाधनों की कमी भी अगर लगन, रचनात्मकता और समर्पण से पूरी की जाए तो बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा दी जा सकती है।
ग्रामीण परिवेश के बच्चों को तकनीकी दुनिया से जोड़ने की यह पहल समाज के लिए प्रेरणादायक है। शिक्षा विभाग और स्थानीय प्रशासन को चाहिए कि ऐसे नवाचारी शिक्षकों को प्रोत्साहित कर यह मॉडल अन्य विद्यालयों में भी अपनाया जाए।

