
पांच दिवसीय कैंप में बच्चों को सिखाया जा रहा अनुशासन, आपातकालीन सेवा और शारीरिक कौशल
सीतामढ़ी। उच्च माध्यमिक विद्यालय थुम्मा, रून्नीसैदपुर में भारत स्काउट एंड गाइड का पांच दिवसीय प्रशिक्षण शिविर मंगलवार से आरंभ हुआ। कार्यक्रम की शुरुआत उत्साहपूर्ण चेतना सत्र के साथ हुई, जिसमें स्काउट-गाइड की भावना और उद्देश्य को बच्चों से साझा किया गया। इस अवसर पर प्रशिक्षक पवन कुमार ने नेतृत्व करते हुए बच्चों को अनुशासन, तालियों के विभिन्न प्रकार, कदम ताल और आपात स्थिति में राहत कार्य की बारीकियाँ सिखाईं।
बिना स्ट्रेचर या एम्बुलेंस के घायल को पहुंचाने का दिया प्रशिक्षण
शिविर की एक विशेष गतिविधि में प्रशिक्षक पवन कुमार ने यह करके दिखाया कि अगर किसी दुर्घटना या बीमारी के समय स्ट्रेचर या एम्बुलेंस उपलब्ध न हो, तो किस तरह से कुछ साधनों और टीम वर्क की मदद से पीड़ित को स्वास्थ्य केंद्र तक सुरक्षित पहुंचाया जा सकता है। इस प्रशिक्षण ने बच्चों को विपरीत परिस्थितियों में सहायता करने की व्यवहारिक समझ दी।
नैतिक और शारीरिक विकास के लिए जरूरी है स्काउट प्रशिक्षण : शिक्षक झा
प्रशिक्षण के महत्व पर प्रकाश डालते हुए शिक्षक सुजीत कुमार झा ने कहा, “आज के समय में बच्चों में नैतिक मूल्यों के साथ-साथ अनुशासन और आत्मनिर्भरता का विकास जरूरी है। स्काउट एंड गाइड जैसे प्रशिक्षण से बच्चों में टीम भावना, नेतृत्व क्षमता, और संकट से निपटने का साहस विकसित होता है। यह शिविर प्रत्येक विद्यार्थी के लिए अनिवार्य होना चाहिए।”
प्रधानाध्यापक ने की प्रशिक्षकों की सराहना
विद्यालय के प्रधानाध्यापक मनोज कुमार ने इस प्रशिक्षण शिविर को समय की आवश्यकता बताते हुए प्रशिक्षक पवन कुमार और शिक्षक सुजीत कुमार झा की सराहना की। उन्होंने कहा कि इस प्रकार के आयोजन न केवल बच्चों के व्यक्तित्व निर्माण में सहायक होते हैं, बल्कि उन्हें जिम्मेदार नागरिक बनने की दिशा में भी प्रेरित करते हैं।
शिक्षकों और छात्रों की रही सक्रिय सहभागिता
इस कार्यक्रम में विद्यालय के सभी शिक्षकों और शिक्षिकाओं ने बढ़-चढ़कर भाग लिया और बच्चों को सहयोग दिया। बच्चों ने भी बड़ी संख्या में भाग लेकर शिविर के प्रति गहरी रुचि दिखाई। उनकी उत्साही उपस्थिति ने आयोजन को जीवंत और प्रेरक बना दिया।
चार दिन और चलेगा प्रशिक्षण शिविर
यह स्काउट एंड गाइड शिविर अभी आगामी चार दिनों तक चलेगा, जिसमें और भी विविध गतिविधियों, कौशल प्रशिक्षण और सामाजिक उत्तरदायित्व से जुड़े सत्र आयोजित किए जाएंगे। इससे बच्चों को समग्र रूप से सशक्त और आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक मजबूत पहल होगी।
