
विद्यालय में सोशल साइंस के 3 टीचर, लिपीक व आदेशपाल तक नहीं
डुमरांव. एक ऐसा विद्यालय, जिसमें 1900 छात्राओं पर आठ शिक्षक-शिक्षिका पदस्थापित है. ऐसे में कैसे गुणवत्ता पूर्ण विद्यालय में पढ़ाई होगी. माध्यमिक में छह और इंटर में मात्र दो शिक्षक-शिक्षिका पदस्थापित है, माध्यमिक व इंटर की छात्राओं की संख्या 1900 है. इसके बाद अगर बात करें तो माध्यमिक में एक विषय सोशल साइंस के तीन शिक्षक है. भवन के आभाव सहित विद्यालय में लिपीक व आदेशपाल तक नहीं है.
माध्यमिक व इंटर दोनों मिलाकर प्रभारी प्रधानाध्यापक सहित आठ शिक्षकों के भरोसे लगभग दो हजार छात्राओं का पठन-पाठन है. हाल नगर परिषद क्षेत्र अंतर्गत राजगढ़ स्थित ऐतिहासिक प्लस टू महारानी उषारानी बालिका उच्च विद्यालय का है. इंटर में मात्र दो विषय में राज लक्ष्मी गृह विज्ञान और रवि प्रभात इतिहास विषय के शिक्षक है.
वहीं माध्यमिक में छह शिक्षक-शिक्षिकाओं में सोशल साइंस के तीन शिक्षक सचिंद्र तिवारी, सुनील कुमार, जितेन्द्र कुमार मिश्रा, खेल शिक्षक कल्पना श्रीवास्तव, गणित शिक्षक चंदन कुमार पाण्डेय और रीना कुमारी हिंदी विषय की शिक्षिका है. आठ शिक्षकों में एक शिक्षक प्रभारी प्रधानाध्यापक पद पर तैनात हैं. ऐसी व्यवस्था पर कहा से छात्राओं को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिलेगा. उन्हें निजी कोचिंग संस्थान का सहारा विवश होकर लेना पड़ेगा.
वहीं पचास फीसदी छात्राओं की उपस्थिति होती है तो विद्यालय में भवन का आभाव देखने को मिलता है. सबसे आश्चर्यजनक बात यह है कि इतना बड़ा स्कूल में लिपीक व आदेशपाल तक नहीं है. भले विद्यालय में स्मार्ट क्लास, कम्प्यूटर क्लास होता है, लेकिन परीक्षा केंद्र दौरान छात्राओं को भवन के आभाव में परेशानी का सामना करना पड़ता है.
प्रभारी प्रधानाध्यापक सचिंद्र तिवारी ने कहा कि समय-समय पर शिक्षकों की कमी, भवन का आभाव सहित अन्य बिंदुओं पर लिखित जानकारी संबंधित पदाधिकारी को दी जाती है. जो शिक्षक-शिक्षिका व संसाधन हैं, बेहतर पठन-पाठन दिया जाए. इसके लिए लगातार प्रयासरत रहते हैं.
