डीएम ने फसल अवशेष प्रबंधन हेतु अंतर्विभागीय कार्य समूह से संबंधित की बैठक, दिया निर्देश
बक्सर। जिला पदाधिकारी बक्सर, श्री अंशुल अग्रवाल की अध्यक्षता में फसल अवशेष प्रबंधन हेतु अंतर्विभागीय कार्य समूह से संबंधित बैठक समाहरणालय परिसर अवस्थित कार्यालय कक्ष में की गई।
जिला पदाधिकारी द्वारा विभिन्न विभागों के पदाधिकारियों को निर्देश दिया गया कि पराली प्रबंधन को लेकर अपने-अपने विभाग से संबंधित रणनीति तैयार कर कार्य करना सुनिश्चित करेंगे। जिला कृषि पदाधिकारी, बक्सर को निर्देश दिया गया कि जो किसान पराली जलाने में संलिप्त पाये जाते है, उन पर विभागीय निर्देश के आलोक में त्वरित कार्रवाई करते हुए आगामी सभी योजनाओं में मिलने वाले लाभ पर पूर्णतः प्रतिबंध लगाना सुनिश्चित करें।
जिला कृषि पदाधिकारी बक्सर द्वारा बताया गया कि कृषि विभाग पराली नहीं जलाने एवं पराली प्रबंधन को लेकर अलर्ट है। पराली जलाने वाले किसानों पर कड़ी कार्रवाई करते हुए वितीय वर्ष 2023-24 में कुल 547 किसानों का किसान पंजीकरण तीन वर्षों के लिए बंद कर दिया गया है। किसान पंजीकरण बंद होने के फलस्वरूप कृषि एवं कृषि से सम्बद्ध सभी विभागों से आगामी तीन वर्षों तक लाभ से वंचित हो जायेंगे।
जिला कृषि पदाधिकारी बक्सर ने बताया कि विभाग द्वारा पराली प्रबंधन करने वाले प्रमुख यंत्रों हैपी सीडर, स्ट्रा बेलर विदाउट रैक, स्ट्रा रीपर, रीपर-कम-बाईन्डर, रोटरी मल्चर, सुपर सीडर इत्यादि पर विशेष अनुदान का प्रबंध करते हुए कुल 102 यंत्रों का वितरण किया गया है। जिससे जिलें के किसान सुलभता पूर्वक फसल अवशेष प्रबंधन कर सकेंगे। जिलें में किसानों को पराली न जलाने हेतु वृहत स्तर पर प्रचार-प्रसार करने व पराली जलाने से होने वाले नुकसान को लेकर जागरूकता हेतु विभाग के किसान सलाहकार, कृषि समन्वयक व प्रखंड कृषि पदाधिकारी को लगातार अपने-अपने क्षेत्रों में भ्रमणशील रहने हेतु निर्देशित किया गया।
जिला पदाधिकारी द्वारा निर्देश दिया गया कि पराली जलाने से होने वाले नुकसान को किसानों के बीच विभिन्न माध्यमों से प्रचारित करना सुनिश्चित करेंगे। वर्तमान में किसानों द्वारा इसे गंभीरता से नहीं लिया जा रहा है। जिसका परिणाम होगा कि आगामी दिनों में बक्सर जिला में प्रदूषण व्यापक स्तर पर फैल सकता।
क्या होती है परालीः- जब भी कोई धान, गेहूँ इत्यादि फसल कटती है तो उसे जड़ से नहीं उखाड़ा जाता है, बल्कि जड़ से उपर का कुछ ईंच का हिस्सा छोड़कर मशीन द्वारा फसल की कटाई की जाती है। अधिकांश किसान जानकारी के अभाव से छूटे हुए फसल के हिस्से को जला देते है, जिसे पराली जलाना कहते है।
कितना खतरनाक है पराली जलानाः- पराली जलाने से कार्बन मोनो ऑक्साईड, कार्बन डाई ऑक्साईड जैसी जहरीली गैस निकलती है, जिससे गंभीर वायू प्रदूषण होता है। इसका मानव स्वास्थ्य पर गंभीर असर पड़ता है। जिससे त्वचा एवं आँखों में जलन, गंभीर तंत्रिका संबंधी, हृदय संबंधी, श्वसन इत्यादि रोग हो सकते है। साथ ही पराली जलाने से मिटटी में मौजूद लाभदायक कीट के नाश के साथ-साथ मिटटी भी बंजर हो रही है।
बैठक में सिविल सर्जन बक्सर, जिला कृषि पदाधिकारी बक्सर, जिला सहकारिता पदाधिकारी बक्सर, जिला पशुपालन पदाधिकारी बक्सर, जिला जन सम्पर्क पदाधिकारी बक्सर, उप परियोजना निदेशक आत्मा बक्सर उपस्थित थे।