ठंड व शीतलहर में बच्चों और बुजुर्गों में बढ़ जाता है हाइपोथर्मिया का खतरा

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हाइपोथर्मिया से बचने के लिए विशेष तौर पर सतर्क रहने की जरूरत

ऐसे मौसम में नवजात शिशुओं के लिए कंगारू मदर केयर जरूरी

बक्सर | जिले ठंड और शीतलहर के कारण तापमान में गिरावट देखी जा रही है। ऐसी स्थिति में लोगों के शरीर के तापमान में गिरावट होती है। यदि शरीर के तापमान में लगातार गिरावट होने लगे तो हाइपोथर्मिया का खतरा बढ़ जाता है। सबसे ज्यादा बच्चों, बुजुर्गों और बीमार लोगों पर इसका असर पड़ता है। चिकित्सकों के अनुसार स्वस्थ इंसान के शरीर का तापमान 37 डिग्री सेल्सियस फारेनहाइट होता है। ठंड के मौसम में अगर शरीर का तापमान गिरकर 35 डिग्री सेल्सियस से कम होता है, तब हाइपोथर्मिया का खतरा बढ़ने लगता है।

इस बीमारी से बचने के लिए विशेष तौर पर सतर्क रहने की जरूरत है। जिला अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. शैलेंद्र कुमार ने बताया कि हाइपोथर्मिया में शरीर की गर्मी तेजी से खोने लगती और शरीर पूरी तरह ठंडा पड़ जाता है। इस दौरान पीड़ित व्यक्ति की आवाज धीमी पड़ जाती या उसे नींद आने लगती है। साथ ही, पूरे शरीर में कपकपी और हाथ-पैर जकड़ने लगते हैं। शारीरिक रूप से कमजोर लोगों, मानसिक रोगियों, बेघर लोगों, बुजुर्गों एवं बच्चों में ज्यादा होता है। गंभीर स्थिति में जानलेवा साबित सकता है।

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इन लोगों का रखना होगा विशेष ध्यान

  • नवजात शिशु या बहुत ज्यादा उम्रदराज लोग
  • ऐसे मरीज जिन्हें हार्ट या ब्लड प्रेशर की समस्या है
  • कुपोषित
  • बहुत ज्यादा थके हुए लोग
  • शराब या ड्रग्स के प्रभाव में रहने वाले

हाइपोथर्मिया के कारण

  • सर्दियों में गर्म कपड़े पहने बिना बाहर रहना
  • रात में सफर करना
  • झील, नदी या पानी के किसी अन्य स्रोत के ठंडे पानी में गिरना
  • हवा या ठंड के मौसम में गीले कपड़े पहनना
  • भारी परिश्रम करना, पर्याप्त तरल पदार्थ नहीं पीना
  • ठंड के मौसम में पर्याप्त खाना नहीं खाना

हाइपोथर्मिया के लक्षण

जैसे ही कोई मरीज हाइपोथर्मिया की गिरफ्त में आता है, उसके सोचने और हिलने-डुलने की क्षमता चली जाती है। कई बार मरीज यह नहीं समझ पाता कि वह हाइपोथर्मिया के कारण इमरजेंसी की स्थिति में चला गया है। इसके लक्षणों में शामिल हैं:

  • लगातार नींद आना या हमेशा सुस्ती बनी रहना
  • हमेशा कमजोरी बनी रहना
  • रूखी त्वचा
  • दिमाग नहीं चलना, हमेशा उलझन बनी रहना
  • लगातार कपकपी होना
  • सांस लेने में तकलीफ या धड़कनों में ज्यादा उतार-चढ़ाव
  • हाइपोथर्मिया के कारण कार्डियक अरेस्ट, शॉक और कोमा की स्थिति बन सकती है।

बेहोशी की स्थिति में ब्लड सर्कुलेशन की करें जांच

डॉ. शैलेंद्र कुमार ने बताया कि यदि किसी व्यक्ति में हाइपोथर्मिया के लक्षण मौजूद हैं, खासतौर पर वह भ्रम की स्थिति में है, सोच नहीं पा रहा है, तो तुरंत डॉक्टर के पास ले जाएं। यदि व्यक्ति बेहोश है, तो उसकी श्वास और ब्लड सर्कुलेशन की जांच करें। यदि पीड़ित प्रति मिनट 6 से कम सांस ले रहा है, तो समझें कि खतरा है।

व्यक्ति को गर्म कमरे में ले जाएं और गर्म कंबल ओढ़ा दें। यदि घर के अंदर जाना संभव नहीं है, तो उसे ठंडी हवा से बचाएं और कंबल का उपयोग करें। गीले कपड़े पहने हैं तो उन्हें हटा दें। शरीर को गर्म रखने के लिए पूरे शरीर और खासतौर पर सिर और काम को कवर करें। गर्दन, छाती और कमर पर गर्म सेक करें। यदि व्यक्ति होश में है और आसानी से निगल सकता है, तो गर्म चाय या कॉफी दें दें। डॉक्टरी मदद मिलने तक मरीज के साथ रहें।

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