टीबी को हराना है तो कुपोषण को दूर करने के लिए अपनाएं पोषण की राह
इलाज की अवधि के दौरान पौष्टिक भोजन और नियमित दवाओं का सेवन जरूरी
टीबी मरीजों को निक्षय पोषण राशि के साथ साथ दिया जा रहा निक्षय मित्र योजना के लाभ
बक्सर, 05 दिसंबर | अक्सर देखा गया है कि कई गंभीर बीमारियां किसी अन्य रोग के बाद मरीज को अपनी चपेट में ले लेती हैं। इन्हीं बीमारियों में से एक है टीबी यानी की यक्ष्मा। जो कुपोषण, एचआईवी जैसी अन्य ऐसी बीमारियां जो मनुष्य की रोग प्रतिरोधक क्षमता को कमजोर कर देती हैं और जिसके कारण टीबी के जीवाणु माइकोबैक्टीरियम ट्यूबर्क्युलोसिस आसानी से अपनी चपेट में ले लेता है।
वहीं, सबसे अधिक टीबी प्रसार के कारणों पर ध्यान दिया जाए तो कुपोषण एक ऐसी बीमारी है जो ज्यादातर मरीजों में पाई जाती है। इसलिए सरकार और स्वास्थ्य विभाग का मुख्य ध्यान टीबी के साथ साथ कुपोषण उन्मूलन को लेकर भी तत्पर है। साथ ही, टीबी मरीजों में कुपोषण की कमी दूर करने के लिए निक्षय पोषण योजना के साथ साथ निक्ष्य मित्र योजना का भी संचालन किया जा रहा है। जिसका लाभ इलाजरत मरीजों को दिलाया जा रहा है।
टीबी और कुपोषण का एक दूसरे से है गहरा नाता
जिला यक्ष्मा पदाधिकारी डॉ. शालिग्राम पांडेय ने बताया कि टीबी और कुपोषण का एक दूसरे से गहरा नाता है। कुपोषित व्यक्ति टीबी से जल्दी ग्रसित हो सकते हैं। टीबी संक्रमित कुपोषण के कारण गंभीर अवस्था में पहुंच सकता है। कुपोषण का कारण अक्सर अपर्याप्त भोजन के सेवन से लगाया जाता है, लेकिन ऐसा नहीं है।
कुपोषण के तहत अल्प पोषण और अति पोषण दोनों ही आते हैं। अल्पपोषण शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को कम कर देता है, जिससे बैक्टीरिया के लिए किसी व्यक्ति पर हमला करना आसान हो जाता है और तपेदिक के खिलाफ लड़ाई अधिक कठिन हो जाती है। अति पोषणता में पौष्टिक तत्वों की अधिकता हो जाती है जैसे की मोटापा रोग।
टीबी का संबंध अल्प पोषण के संदर्भ में है, जिसमें लोगों को उनके भोजन से अपर्याप्त पोषक तत्व मिलते हैं। अल्पपोषण शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को कम कर देता है, जिससे बैक्टीरिया के लिए किसी व्यक्ति पर हमला करना आसान हो जाता है और टीबी के खिलाफ लड़ाई अधिक कठिन हो जाती है।
टीबी से ग्रसित होने पर गिरने लगा स्वास्थ
सदर प्रखंड अंतर्गत कमरपुर निवासी चंद्रहास सिंह ने गत दिनों ही टीबी से निजात पाई है। जिसके बाद अब किसी भी काम को करने में वो स्वयं को पहले से अधिक सक्षम मान रहे हैं। उन्होंने बताया कि जब वे बीमार हुए तो जानकारी के अभाव में ठीक से इलाज नहीं करा पाए। जिसके कारण उनका शरीर और दुर्बल और कमजोर होने लगा।
कुछ माह बाद निजी अस्पताल के माध्यम से जिला यक्ष्मा केंद्र पहुंचे और अपनी जांच कराई। जिसके बाद उन्हें निक्षय पोषण योजना का लाभ मिलने लगा। साथ ही, इलाज अवधि के बीच में उन्हें निक्षय मित्र योजना के माध्यम से पोषण की थैली भी मिलने लगी। जिससे उनके पोषण स्तर में सुधार होने लगा और अब वो टीबी से पूरी तरह से मुक्त हैं। जिसको देखते हुए उन्होंने जिले के इलाजरत सभी टीबी के मरीजों को पौष्टिक खानपान का इस्तेमाल करने की अपील की है।
टीबी के लक्षण :
तीन महीने में वजन का घटना या न बढ़ना
दो हफ्ते से अधिक समय से खांसी का आना
बलगम के साथ खून का आना
बुखार का बने रहना
इलाज के लिए ये खाएं टीबी मरीज
टीबी के मरीजों के लिए केला, अनाज दलिया, मूंगफली की चिक्की, गेहूं और रागी जैसे खाद्य पदार्थ काफी फायदेमंद होते हैं। दाल, चावल और सब्जियों से बनी खिचड़ी का एक कटोरा कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन और शरीर के लिए आवश्यक अन्य सभी पोषक तत्वों का एक पूरा पैकेज है। रोगी को प्रोटीन से भरपूर खाना देना चाहिए। प्रोटीन का मुख्य स्त्रोत अंडे, पनीर और सोया चंक्स का सेवन करना बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि वे प्रोटीन से भरपूर होते हैं।
साथ ही, विटामिन ए, सी औऱ ई का सेवन करने से रोगी के शरीर को ऊर्जा मिलती है औऱ इम्यूनिटी बढ़ती है। इन सभी विटामिन्स के लिए संतरा, आम, कद्दू ,गाजर, अमरूद, आंवला, टमाटर, नट्स और बीज जैसे फल और सब्जियां खाएं। इन खाद्य पदार्थों को टीबी रोगी के दैनिक आहार में शामिल किया जाना चाहिए। अमरूद और आंवला जैसे फल विटामिन सी और एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होते हैं जो टीबी के रोगी के लिए बहुत लाभकारी हैं।