टीबी मुक्त पंचायत के दावों के सत्यापन के लिए गठित जिला स्तरीय टीम कर रही जांच
पेश किए दावों की पड़ताल और जांच के बाद मुख्यालय को सौंपी जाएगी रिपोर्ट बक्सर, 16 फरवरी | प्रधानमंत्री टीबी मुक्त भारत अभियान के तहत टीबी मुक्त पंचायत कार्यक्रम को सफल बनाने की कवायद तेज कर दी गई है। इसके लिए सिविल सर्जन के निर्देशन में प्रखंड स्तरीय टीम बनाई गई है। जो चयनित पंचायतों के दावों का सत्यापन कर जिला मुख्यालय को रिपोर्ट सौपेंगी। उसके बाद जिला स्तरीय टीम बनाकर जांच की जाएगी और उक्त पंचायत को टीबी मुक्त घोषित करेगी।
फिलहाल प्रखंड स्तरीय टीम पंचायतों में जाकर दावों का सत्यापन कर रही है। साथ ही, टीबी मरीजों से फीडबैक भी लिया जा रहा है। ताकि, प्रस्तुत दावों का भौतिक सत्यापन किया जा सके। विदित हो कि जिला यक्ष्मा केंद्र ने टीबी मुक्त पंचायत पहल कार्यक्रम के तहत प्रत्येक प्रखंड से दो-दो पंचायतों का चयन किया था। जिसे पूरा करने के लिए टीबी मुक्त बनाने के लिए सभी सहयोगी संस्थान और जनप्रतिनिधियों के संयुक्त समन्वय से अभियान का संचालन किया गया।
टीपीटी की दवा सेवन करने वालों का किया जा रहा फॉलोअप
जिला यक्ष्मा केंद्र के डीपीसी कुमार गौरव ने बताया कि पंचायतों के दावों के सत्यापन के साथ साथ टीबी मरीजों के अलावा टीबी प्रीवेंटिव ट्रीटमेंट (टीपीटी) की दवा सेवन करने वाले सैकड़ों व्यक्तियों का दीर्घकालीन फॉलोअप किया जा रहा है। ताकि आगामी 2025 तक जिले सहित राज्य और देश को टीबी मुक्त किया जा सके।
उन्होंने बताया कि डोर टू डोर भ्रमण कर रोगमुक्त हुए व्यक्ति और परिवार के सदस्यों के साथ बैठक कर लक्षण से संबंधित जानकारी और अनुभव लिया जा रहा है। ऐसा करना इसलिए जरूरी है क्योंकि जब तक ग्रामीण स्तर पर टीबी बीमारी से ठीक हुए मरीज और उनके परिवार के सदस्यों से मिलकर बीमारी से संबंधित लक्षणों की जानकारी नहीं ली जाएगी तब तक प्रधानमंत्री टीबी मुक्त भारत अभियान के सपनों को साकार नहीं किया जा सकता है।
जिला यक्ष्मा पदाधिकारी डॉ. शालिग्राम पांडेय ने बताया कि टीबी मुक्त पंचायत पहल के क्रियान्वयन से जिला, प्रखंडों एवं पंचायतों के बीच एक स्वस्थ्य प्रतिस्पर्धा का माहौल बनेगा। जो टीबी उन्मूलन कार्यक्रम को और भी गति प्रदान करेगा। उन्होंने बताया कि टीबी मुक्त बनाने की मुहिम में पंचायत के मुखिया भी अहम भूमिका निभा रहे हैं। सीएचओ, आशा, एएनएम और एमओआईसी की सहभागिता से महत्वपूर्ण इंडिकेटर पूर्ण कर पंचायत के मुखिया अपने गांव को टीबी मुक्त करने का दावा पेश करेंगे। जिसकी जांच स्वास्थ्य समिति द्वारा की जायेगी।