बिहारशिक्षासमस्तीपुर:

जगतारिणी उत्क्रमित उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, खम्हार, विभूतिपुर में शिक्षकों की नई पहल

नए अंदाज़ में पीटी से शिक्षा के प्रति बढ़ा रुझान

समस्तीपुर (विभूतिपुर)। शिक्षा केवल पुस्तकों तक सीमित नहीं है, बल्कि जीवन जीने की कला है। इसी सोच को आत्मसात करते हुए जगतारिणी उत्क्रमित उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, खम्हार की शिक्षिका ने शारीरिक प्रशिक्षण (PT) को एक नए अंदाज़ में प्रस्तुत कर सभी को आश्चर्यचकित कर दिया। मधुर ध्वनि, प्रेरक नारों और जोशीले कदमताल के बीच जब बच्चों ने “एक दो एक” के ताल पर शिक्षा की बात की, तो नज़ारा प्रेरणादायक बन गया।

विद्यालय परिसर में उस समय एक अलग ही ऊर्जा देखने को मिली, जब शिक्षिका ने सामान्य पीटी को रचनात्मकता और प्रेरणा के साथ जोड़ा। पारंपरिक पीटी के बजाय इस बार बच्चों ने कदमताल के बीच शिक्षा पर केंद्रित नारों और उद्धरणों का पाठ किया। इसका उद्देश्य बच्चों में शिक्षा के प्रति रुचि बढ़ाना और उन्हें स्कूल से जोड़कर रखना था।

बच्चों में दिखा उत्साह, शिक्षकों ने भी की सराहना

बच्चों के चेहरों पर उत्साह और खुशी साफ झलक रही थी। उन्होंने पूरे मनोयोग से न केवल शारीरिक व्यायाम किया, बल्कि शिक्षा के महत्व को भी दोहराया। मौसम भी इस पहल के पक्ष में था — ठंडा और सुहाना वातावरण बच्चों के जोश में इज़ाफा कर रहा था।

इस अनोखी पीटी के दौरान दिए गए कई नारे और प्रेरणादायक पंक्तियाँ बच्चों को लंबे समय तक प्रेरित करने वाली हैं:

“तुम्हारे पैरों में जूते भले ना हो, लेकिन तुम्हारे हाथों में किताबें होनी चाहिए।”

“खूब पढ़ेंगे, आगे बढ़ेंगे।”

“आधी रोटी खायेंगे, स्कूल जरूर जाएंगे।”

“21वीं सदी की यही पुकार, शिक्षा है सबका अधिकार।”

“लड़का लड़की एक समान, यही संकल्प यही अभियान।”

समाज में शिक्षा का संदेश देने की पहल

इस पहल ने न केवल स्कूल परिसर में, बल्कि समाज में भी शिक्षा के प्रति सकारात्मक संदेश देने का काम किया है। यह पहल दर्शाती है कि जब शिक्षक रचनात्मक तरीके से बच्चों को प्रेरित करते हैं, तो बच्चे भी उसमें भरपूर रुचि लेते हैं और उसका प्रभाव दूरगामी होता है।

पीटी के दौरान अन्य उल्लेखनीय नारे और कोटेशन भी सुनने को मिले:

“पढ़ेंगे पढ़ाएंगे, उन्नत देश बनाएंगे।”

“1 2 3 4, साक्षरता की जय जयकार।”

“शिक्षा का दरवाजा है जिसे खोलकर आप तरक्की के सारे रास्ते खोल सकते हैं।”

“किताबें खुद चुप रहती हैं लेकिन जिसने इसे पढ़ लिया, उसे बोलना और लड़ना सिखा देती हैं।”

“तुम किताबों के सामने झुक जाओ, वह तुम्हारे सामने दुनिया झुका देगी।”

“समय और शिक्षा का सही उपयोग ही व्यक्ति को सफल बनाता है।”

“शिक्षा शेरनी का दूध है, जो पिएगा दहाड़ेगा।”

नया दौर, नई सोच — शिक्षा के लिए प्रयोग जरूरी

विद्यालय की शिक्षिका की इस अभिनव सोच को स्थानीय लोगों, अभिभावकों और अन्य शिक्षकों ने भी खूब सराहा। उनका कहना है कि यह तरीका बच्चों में शिक्षा के प्रति जिज्ञासा जगाता है और नियमित रूप से स्कूल आने के लिए प्रेरित करता है।

इस पूरे आयोजन का मूल उद्देश्य यही था कि शिक्षा केवल पाठ्यक्रम तक सीमित न रहे, बल्कि बच्चों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने वाला माध्यम बने। शारीरिक व्यायाम और प्रेरक संवादों का यह समन्वय एक नई राह दिखा रहा है, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों के स्कूलों में भी शिक्षा को लेकर जागरूकता और प्रतिबद्धता बढ़ाई जा सकती है।

जगतारिणी उत्क्रमित उच्चतर माध्यमिक विद्यालय की इस पहल ने यह सिद्ध कर दिया कि शिक्षा के क्षेत्र में थोड़ा सा नवाचार बड़ा परिवर्तन ला सकता है। अगर हर विद्यालय इस तरह के प्रयोगों को अपनाए, तो न केवल बच्चों में पढ़ाई के प्रति रुचि बढ़ेगी, बल्कि पूरे समाज में शिक्षा को लेकर सकारात्मक माहौल भी बनेगा।

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