छुआछूत का नहीं बल्कि संक्रामक रोग है टीबी, बचाव के लिए जानकारी जरूरी

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बक्सर, 15 अप्रैल | आज टीबी यानी यक्ष्मा एक ऐसी बीमारी है जिसका समय पर इलाज शुरू होने से मरीज को बचाया जा सकता है। यदि समय पर इसका इलाज नहीं हुआ तो यह मरीज की जान भी ले सकती है। वैसे तो टीबी आम तौर पर फेफड़ों पर हमला करता है, लेकिन यह बीमारी शरीर के किसी भी भाग को प्रभावित कर सकती है।

यह हवा के माध्यम से तब फैलता है, जब वे लोग जो सक्रिय टीबी संक्रमण से ग्रसित हैं, खांसी, छींक, या किसी अन्य प्रकार से हवा के माध्यम से अपना लार संचारित कर देते हैं। अधिकतर लोग यह मानते हैं कि टीबी एक छुआछूत की बीमारी है। इस बीमारी से पीड़ित मरीज के कपड़े या बर्तन छूने से बीमारी फैलती है। हालांकि, ऐसा बिल्कुल भी नहीं है। इस बीमारी से पीड़ित मरीज को बस इतना ख्याल रखना है कि वह मुंह-नाक पर रुमाल रखकर खांसे या छीकें। मरीज का इलाज सही से चलता है तो दो-तीन हफ्तों में ही टीबी के फैलने की संभावना खत्म हो जाती है।

लेटेंट टीबी में बीमार नहीं पड़ते हैं लोग

जिला यक्ष्मा पदाधिकारी सह डीएलईओ डॉ. शालिग्राम पांडेय ने बताया कि ट्यूबरक्लोसिस दो तरह के होते हैं। पहला है लेटेंट टीबी, जिसमें आमतौर पर लोग बीमार नहीं पड़ते हैं। इसमें शरीर में कीटाणु तो होते हैं लेकिन आपका इम्यून सिस्टम इसे फैलने से बचा लेता है। ये संक्रामक नहीं होता है और इसमें लक्षण साफतौर पर दिखाई नहीं देते हैं। हालांकि शरीर में होने की वजह से ये कभी भी एक्टिव हो सकता है।

दूसरे तरह के टीबी को एक्टिव टीबी कहते हैं। इसमें कीटाणु बहुत जल्दी पूरे शरीर में फैलने लगते हैं। जिससे लोग बीमार पड़ जाते हैं। उन्होंने बताया कि लेटेंट टीबी के कोई लक्षण नहीं होते हैं। स्किन या ब्लड टेस्ट के जरिए इसे पता लगाया जा सकता है। वहीं एक्टिव टीबी में तीन हफ्ते से ज्यादा तक कफ बना रह सकता है। छाती में दर्द, खांसी में खून आना, थकान, रात में पसीना आना, ठंड लगना, बुखार, भूख ना लगना और वजन कम हो जाना इसके मुख्य लक्षण हैं। अगर आपको इनमें से कोई लक्षण महसूस हो रहे हैं तो डॉक्टर से संपर्क कर अपना टेस्ट कराएं।

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संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से ही फैलती है

डॉ. शालिग्राम पांडेय ने बताया, फ्लू की तरह हवा के जरिए फैलने वाले बैक्टीरिया से टीबी होता है। ये एक संक्रामक बीमारी है और किसी संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से ही फैलती है। यदि किसी को एचआईवी, डायबिटीज, किडनी की बीमारी, सिर या गर्दन का कैंसर है या फिर किसी का वजन बहुत कम है तो उनको ये बीमारी आसानी से हो सकती है।

इसके अलावा अर्थराइटिस, क्रोहन रोग और साईंरोसिस की दवाएं लेने वालों में भी टीबी होने की संभावना ज्यादा होती है। टीबी के लक्षणों की शुरुआत में खांसी के साथ बुखार भी आता जो अक्सर शाम को बढ़ जाता है। इस बीमारी में वजन कम हो जाता है। मरीज को सांस लेने में भी परेशानी होती है। यही नहीं छाती में तेज दर्द होता और बलगम में खून भी आता है। जब भी खांसी 15 से अधिक दिनों तक बनी रहे तो डॉक्टर से तुरंत मिलें।

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