चहक से चहक रहें प्राथमिक व मध्य विद्यालय के बच्चें, ठहराव के साथ बढ़ा नामांकन

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डुमरांव. शिक्षा विभाग, बिहार की महत्वकांक्षी योजना चहक के रूप में शिक्षा विभाग बक्सर के पदाधिकारी समग्र शिक्षा के सक्रिय निगरानी में अनवरत विद्यालय विद्यालय गतिविधि आधारित शिक्षा विद्यार्थियों के बीच विद्यालय में अधिक उपस्थिति का कारण बनता दिखने लगा है. प्रखंड के प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी सुरेश प्रसाद के सख्त निगरानी में यह कार्यक्रम सुगमता, सहजता और ज्ञानवर्धक बनता जा रहा है. विभिन्न विद्यालयों में वर्ग प्रथम में यह कार्यक्रम विद्यालय के नोडल शिक्षक, शिक्षिका के निगरानी में लगातार दिखने लगा है.

विभिन्न विद्यालय के शिक्षक-शिक्षिका अपने गतिविधि को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर भी लगातार पोस्ट करते दिख रहें है. जिसमें जिले का नाम राज्य स्तर पर बनाते दिखने लगे हैं. एक छात्र अभिषेक महाजनी मध्य विद्यालय से बातचीत के क्रम में उसने बताया कि गतिविधि के आधार पर अध्ययन करने में आनंद आ रहा है. वास्तव में शिक्षा विभाग की यह महत्वाकांक्षी योजना नर्सरी वर्ग के विद्यार्थियों के लिए प्रारंभ होगी, किंतु कोविड-19 के दौरान अध्यापन क्षतिपूर्ति हेतु योजना फिलहाल वर्ग 1 में चल रही है. एफएलएन के जिला शिक्षक डा. मनीष शशि ने प्रखंड की गतिविधियों अच्छा बताया. साथ ही साथ इस गतिविधि में तेजी लाने के सुझाव भी दिया.

क्या कहते शिक्षक-शिक्षिका

तबरेज आलम, शिक्षक, उर्दू प्राथमिक विद्यालय कोरानसराय कहते है कि चहक से बच्चों के अंदर विद्यालय के प्रति लगाव बढ़ा है, मध्यान भोजन के बाद विद्यालय में भरपूर ठहराव हो रहा है.

अजली राय, शिक्षिका, मध्य विद्यालय मठिला कहती है कि इस अभियान से बच्चों और शिक्षकों, विद्यालय और अभिभावकों के मध्य उभरी हुई रूढ़िवादिता और पूर्वाग्रहों का खाई को बहुत हद तक पाटने का कार्य किया है.

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उषा रश्मि, शिक्षिका, मध्य विद्यालय सोवां कहती है कि प्रथम वर्ग के छोटे बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए चहक योजना बहुत रूचिकर है. इससे बच्चों का शारीरिक, बौद्धिक एवं मानसिक विकास हो रहा है.

मो. अनवर अली, प्राथमिक विद्यालय अनुसूचित टोला के वरीय शिक्षक ने कहां कि चहक कार्यक्रम बुनियादी साक्षरता एवं तथ्यात्मक ज्ञान आधारित एक मॉडल है. जिसमें बच्चों के विद्यालय में सहज वातावरण बनाते हुए बच्चों को ठहराव प्रदान करना है.

निशांत कुमार, शिक्षक, मध्य विद्यालय सुघर डेरा ने कहां कि प्रतिवर्ष नवनामांकित होने वाले बच्चों को विद्यालय के प्रति सहज बनाना. बच्चों व शिक्षकों एवं समुदाय से विद्यालय का जुड़ाव बनाए रखना.

श्वेतांस कुमार, मध्य विद्यालय नया भोजपुर ने कहां कि इस अभियान के 70 से 80 प्रतिशत नामांकन ने आश्चर्य और गौरव से ना सिर्फ अभिभावकों का विश्वास विद्यालय के प्रति बढ़ाया, बल्कि हमें और प्रोत्साहित होकर बेहतर बनने का अवसर दिया है.

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