चमकी बुखार के प्रबंधन लिए स्वास्थ्य संस्थानों को उपलब्ध करायी जाएगी पर्याप्त दवाएं : सिविल सर्जन

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पीएचसी से लेकर सदर अस्पताल में दवाओं व उपकरणों की मांग करने का दिया गया है निर्देश

जिले के सभी स्वास्थ्य कर्मियों को किया जा चुका है प्रशिक्षित, बनाए जाएंगे विशेष वार्ड

बक्सर, 29 मार्च | जिले में चमकी बुखार यानी एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) को लेकर स्वास्थ्य विभाग सतर्क है। इस क्रम में जिले में एईएस को लेकर स्वास्थ्य विभाग ने तैयारी शुरू कर दी है। एईएस प्रबंधन को लेकर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र से लेकर सदर अस्पताल में दवाओं की उपलब्धता तथा इलाज के लिए जरूरी उपकरण भी पहुंचाए जा रहे हैं।

इसके लिए सिविल सर्जन ने सभी पीएचसी को निर्धारित दवाओं की उपलब्धता को देखते हुए जरूरी दवाओं की मांग करने का निर्देश जारी किया है। साथ ही, जिले के स्वास्थ्य कर्मियों का क्षमता वर्धन किया जा चुका है। ताकि, आपातकालीन स्थिति में वो बेहतर कार्य कर सकें। सिविल सर्जन डॉ. सुरेश चंद्र सिन्हा ने बताया कि एईएस मुख्य रूप से बच्चों की बीमारी है।

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हालांकि एईएस का प्रभाव जिले में नहीं देखा गया, लेकिन बीते दिनों जिले में एक जेई (जापानी बुखार) के मामले की पुष्टि हुई है। जिसे लेकर स्वास्थ्य विभाग कोई भी कमी नहीं छोड़ना चाहता है। चमकी आने की स्थिति में मरीज को करवट या पेट के बल लेटने के साथ ही शरीर के कपड़े को ढीला कर देना चाहिए। साथ ही मरीज के मुंह में कुछ भी नहीं डालें। स्वास्थ्य विभाग एईएस और जेई के प्रति पूरी तरह से अलर्ट है। ताकि किसी भी तरह की कोई अप्रिय घटना नहीं हो, इसके लिए प्रशासन हर संभव प्रयास कर रहा है।

खिलाओ, जगाओ और अस्पताल ले जाओ पर करना होगा फोकस

जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. शैलेंद्र कुमार ने बताया कि हर साल गर्मियों के दिनों में दिमागी या चमकी बुखार का खतरा मंडराने लगता है। इस बीमारी से एक से 15 वर्ष तक के बच्चे ज्यादा प्रभावित होते हैं। यह एक गंभीर बीमारी है। लेकिन समय पर इलाज होने से जल्द ही ठीक हो सकता है। उन्होंने कहा कि चमकी को धमकी के तहत तीन बातों को जरूर याद रखना चाहिए।

खिलाओ, जगाओ और अस्पताल ले जाओ। सबसे अहम बात यह है कि बच्चे को रात में सोने से पहले खाना जरूर खिलाएं, सुबह उठते ही बच्चों को भी जगाए और देखें बच्चा कहीं बेहोश या उसे चमकी तो नहीं है। बेहोशी या चमकी को देखते ही तुरंत एंबुलेंस या किसी अन्य गाड़ी से अस्पताल ले जाना चाहिए।

लक्षण आधारित उपचार करने की आवश्यकता

वेक्टर जनित रोग सलाहकार अधिकारी पंकज कुमार ने बताया कि एईएस और जेई बीमारी में नए एसओपी के अनुसार ही लक्षण आधारित उपचार करने की आवश्यकता है। विशेष रूप से यह भी कहा गया कि अगर किसी बच्चे में चमकी बुखार से संबंधित लक्षण दिखे तो उसका उपचार तुरंत कराया जाना चाहिए। किसी भी परिस्थिति में बिना उपचार के कोई बच्चा रेफर न हो, विशेष रूप से इसका पालन होना चाहिए।

हालांकि विकट परिस्थितियों में ही सदर अस्पताल या अन्य किसी अस्पतालों में सुविधापूर्ण एंबुलेंस के साथ ही भेजा जाए। वहीं आशा कार्यकर्ताओं द्वारा एईएस से संबंधित जागरूकता अभियान चलाया जाएगा। क्योंकि एईएस को लेकर आशा कार्यकर्ताओं सहित ग्रामीण स्तर पर कार्य करने वाले स्वास्थ्य कार्यकर्ता की भूमिका काफी महत्वपूर्ण मानी जाती है।

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