
गांधीनगर की धरती पर मिला सम्मान
पटना। बिहार की शिक्षिका नीतू शाही को गुजरात के गांधीनगर में आयोजित समारोह में ‘पर्यावरण संरक्षण मित्र अवॉर्ड 2025’ से सम्मानित किया गया। यह कार्यक्रम ‘अर्ली बर्ड्स IAS’ और ‘जान लाइव’ के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित किया गया, जिसका उद्देश्य देश भर के नवाचारी शिक्षकों और पर्यावरण कार्यकर्ताओं को सम्मानित करना था। इस भव्य आयोजन में देश के विभिन्न राज्यों से पर्यावरण संरक्षण में उत्कृष्ट योगदान देनेवाले शिक्षकों ने भाग लिया।
हरियाली को समर्पित शिक्षिका नीतू शाही
शिक्षिका नीतू शाही ने बताया कि उन्हें यह सम्मान गांधीनगर की पावन भूमि पर मिलना किसी सपने के सच होने जैसा है। उन्होंने कहा, “मुझे गर्व है कि मैं बिहार का प्रतिनिधित्व करते हुए गुजरात की धरती पर सम्मानित हुई। गांधी जी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी की प्रेरणा से मैं हमेशा अपने देश और पर्यावरण के लिए समर्पित रही हूं।”
विद्यालय में हरित क्रांति की अगुआ
नीतू शाही न केवल एक समर्पित शिक्षिका हैं, बल्कि पर्यावरण की सच्ची संरक्षिका भी हैं। उन्होंने अपने विद्यालय और आसपास के क्षेत्र में हरित क्रांति लाने का कार्य किया है। वे बच्चों और युवाओं को ‘पर्यावरण संरक्षण मित्र’ के रूप में तैयार करती हैं और हर शुभ अवसर पर पौधारोपण को प्राथमिकता देती हैं।
विमदर टेरेसा और प्रकृति मां की उपाधि
अपने विद्यालय के बच्चों को संतान की तरह प्रेम करने के कारण नीतू शाही को ‘मदर टेरेसा’ की उपाधि दी गई है। वहीं, पर्यावरण के लिए उनके निरंतर कार्यों ने उन्हें ‘प्रकृति मां’ के रूप में पहचान दिलाई है। उन्होंने कहा, “जब मेरे काम की सराहना करते हुए पूरे मंच से ‘जय बिहार’ के नारे लगे, तो मुझे गर्व हुआ कि मैं एक बिहारी हूं।”
भविष्य की पीढ़ी के लिए पर्यावरण बचाने का संकल्प
नीतू शाही का मानना है कि जब तक पर्यावरण सुरक्षित है, तब तक मानव जीवन संभव है। उन्होंने कहा, “अगर हम पर्यावरण के लिए आज काम करेंगे, तभी हम आने वाली पीढ़ियों को साँस लेने की सुविधा दे पाएंगे। मेरी कोशिश है कि मैं जीवनभर इसी कार्य में लगी रहूं।”
बिहार का नाम किया रोशन
इस सम्मान के जरिए नीतू शाही ने न केवल अपने नाम को बल्कि पूरे बिहार का नाम राष्ट्रीय स्तर पर रोशन किया है। उनके इस योगदान ने यह साबित कर दिया है कि अगर इरादा नेक हो, तो हर व्यक्ति अपने स्तर से बड़ा बदलाव ला सकता है।
शिक्षिका नीतू शाही का यह सम्मान देशभर के शिक्षकों और युवाओं के लिए प्रेरणा है। उनका समर्पण यह दर्शाता है कि शिक्षा के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण भी हमारी प्राथमिक जिम्मेदारी होनी चाहिए।
