कृमि के कारण स्कूली बच्चों का पठन पाठन कार्य होता था प्रभावित, अब स्थिति में हुआ सुधार

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आरा, 08 नवंबर | जिले में राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस के तहत बीते दिन एक से 19 साल तक के बच्चों को अल्बेंडाजोल की गोली खिलाई गई । वहीं, इस अभियान में छूटे हुए बच्चों को दवा खिलाने के लिए 11 नवंबर को मॉप अप राउंड चलाया जाएगा। ताकि, जिले का कोई भी बच्चा दवा खाने से वंचित न रहे। इस संबंध में सभी प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारियों को निदेशित किया जा चुका है। साथ ही, कार्यक्रम के तहत आईसीडीएस से भी समन्वय स्थापित कर एक से पांच साल तक के बच्चों को दवा लिखाई जाएगी। बच्चों को अल्बेंडाजोल की गोली खिलाने के लिए सभी संबंधित स्वास्थ्य कर्मियों और सेविकाओं को प्रशिक्षण भी दिया गया है। एक से दो साल तक के बच्चों को अल्बेंडाजोल की आधी गोली पीसकर पानी के साथ देनी है। वहीं दो साल से 19 साल तक के सभी बच्चों को पूरी गोली चबाकर पानी के साथ खिलानी है। हालांकि, इस बीच यह ध्यान रखा जाए कि बच्चा खाली पेट न हो। टेबलेट लेने से पहले उसने खाना खाया हो।

कृमि मुक्ति के लिए दी जाने वाली दवा सुरक्षित

राष्ट्रीय पोषण मिशन के जिला समन्वयक पीयूष प्रयाग यादव ने बताया, ग्रामीण इलाकों में कृमि मुक्ति कार्यक्रम को लेकर अभी भ्रांतियां व्याप्त है। अभिभावकों में डर रहता है कि कृमि मुक्ति की दवा खाने से कहीं उनका बच्चा बीमार न हो जाए। लेकिन, ऐसा कुछ भी नहीं है। कृमि मुक्ति के लिए दी जाने वाली दवा सुरक्षित है। उन्होंने बताया कि पहले कृमि से प्रभावित बच्चे पेट दर्द व इससे संबंधित बीमारियों से अधिक परेशान रहते थे। जिसके कारण आए दिन आंगनबाड़ी केंद्रों में नामांकित बच्चों की संख्या कम रहती थी। ऐसी ही हालत कमोवेश स्कूलों की रहती थी। जिससे बच्चों का पठन पाठन कार्य प्रभावित रहता था, लेकिन सरकार के राष्ट्रीय कृमि मुक्ति कार्यक्रम चलाने के बाद इस तरह की शिकायतों में बहुत हद तक गिरावट आई है। अब अधिकांश बच्चों में कृमि की शिकायत नहीं मिलती। जिसके कारण स्कूल में बच्चों की उपस्थिति सामान्य बनी रहती है।

कृमि के कारण भी हो सकती है एनीमिया की शिकायत

जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ. संजय कुमार सिन्हा ने बताया, ग्रामीण इलाकों में बच्चों के साथ सभी उम्र के लोग कृमि से ग्रसित हो सकते हैं। क्योंकि यहां की मिट्टी, पानी व वातावरण के कारण बच्चे और बड़े दोनों हुकवर्म, टैप वर्म व अन्य प्रकार के कृमि से ग्रसित हो सकते हैं। दूसरी ओर, कृ़मि के कारण बच्चे और गर्भवती महिलाओं में एनीमिया की भी शिकायत होती है। ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि ग्रामीण इलाकों में बच्चों के अलावा अन्य लोग गौशाला सहित चापाकल के, शौचालय व अन्य गंदी जगहों पर नंगे पांव जाते हैं। जिसके कारण हुक वर्म और राउंड वर्म जैसे कृमि शरीर में प्रवेश कर जाते हैं। यह कृमि रक्त कोशिकाओं को अपना भोजन बनाते हैं। जो एनीमिया का कारण बनता है। इसलिए सरकार कृमि मृक्ति अभियान चलाती है।

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