कालाजार से प्रभावित गांव में बुखार को हल्के में न लें लोग: डॉ. शैलेंद्र

यह भी पढ़ें

- Advertisement -

बक्सर, 10 मई | जिले में कालाजार उन्मूलन को लेकर स्वास्थ्य विभाग निरंतर प्रयासरत है। ताकि, कालाजार को जड़ से खत्म किया जा सके। इसके बावजूद कालाजार के मामले सामने आ रहे हैं। ताजा मामला सदर प्रखंड के चुरामनपुर पंचायत के साहोपुर गांव का है। जहां कालाजार का एक नया मरीज मिला है। हालांकि, इस गांव में पूर्व में भी कालाजार के मरीजों मिल चुके हैं।

इसलिए लक्षणों की पहचान कर मरीज को जल्द से जल्द सदर अस्पताल में भर्ती कराया गया। जिसके बाद मरीज का विधिवत इलाज शुरू किया जा सका। चार साल बाद कालाजार के मरीज की फिर से पुष्टि होने के बाद विभाग सतर्क हो गाया है। अब सदर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र अंतर्गत स्वास्थ्य अधिकारियों का एक दल गांव में सर्वे का बुखार के लक्षण वाले लोगों को चिह्नित किया जायेगा। जिसके बाद उनकी जांच की जाएगी।

फिलहाल लोगों को कालाजार को लेकर जागरूक किया जा रहा है। उन्हें बताया जा रहा है कि कालाजार में मरीज को बार-बार बुखार आने लगता है। साथ ही, भूख में कमी, वजन का घटना, थकान महसूस होना, पेट का बढ़ जाना आदि इसके लक्षण के रूप में दिखाई देने लगते हैं। ऐसे व्यक्ति को तुरंत नजदीक के अस्पताल में जाकर अपनी जांच करवानी चाहिए। ठीक होने के बाद भी कुछ व्यक्ति के शरीर पर चकता या दाग होने लगता है। ऐसे व्यक्तियों को भी अस्पताल जाकर अपनी जांच करानी चाहिए।

लोगों को सतर्क और सावधान रहने की जरूरत

जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. शैलेंद्र कुमार ने बताया कि कालाजार से प्रभावित गांव में लोग बुखार को हल्के में न लें। जिन गांव में कालाजार के मरीज मिलते हैं वहां एसपी पाउडर का छिड़काव कराया जाता है। ताकि, लोगों को कालाजार की चपेट में आने से बचाया जा सके। उन्होंने बताया, कालाजार के लक्षणों की पहचान होना बहुत जरूरी है। इसका असर शरीर पर धीरे-धीरे पड़ता है।

- Advertisement -

यह परजीवी बालू मक्खी के जरिये फैलता है। इससे ग्रस्त मरीज खासकर गोरे व्यक्तियों के हाथ, पैर, पेट और चेहरे का रंग भूरा हो जाता है। रुक-रुक कर बुखार आना, भूख कम लगना, शरीर में पीलापन और वजन घटना, तिल्ली और लीवर का आकार बढ़ना, त्वचा-सूखी, पतली और होना और बाल झड़ना कालाजार के मुख्य लक्षण हैं। ऐसे में जब किसी में लगातार बुखार के लक्षण दिखाई दें, तो वो तत्काल जाकर उसकी जांच कराएं।

बालू मक्खी कम रोशनी और नमी वाले स्थानों पर रहती है

डॉ. शैलेंद्र कुमार ने बताया, मिट्टी और बिना प्लास्टर के घरों में स्थित दरारों में बालू मक्खी के छिपने की संभावना अधिक रहती है। अमूमन बालू मक्खी कम रोशनी और नमी वाले स्थानों पर रहती है। जैसे घरों की दीवारों की दरारों, चूहों के बिल तथा ऐसे मिट्टी के टीले जहां ज्यादा जैविक तत्व और उच्च भूमिगत जल स्तर हो।

ऐसे स्थान उनको पनपने में लिए बेहतर माहौल देते हैं। उन्होंने बताया यह मक्खी उड़ने में कमजोर जीव है, जो केवल जमीन से 6 फुट की ऊंचाई तक ही फुदक सकती है। मादा बालू मक्खी ऐसे स्थानों पर अंडे देती है जो छायादार, नम तथा जैविक पदार्थों से परिपूर्ण हो। जिन घरों में बालू मक्खियाँ पाई जाती हैं उन घरों में कालाजार के संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है।

मरीज दी जाती है क्षतिपूर्ति राशि

वीबीडीसी राजीव कुमार ने बताया कालाजार से पीड़ित मरीज को 7100 रुपये श्रम क्षतिपूर्ति राशि दी जाती है। यह राशि नए मरीजों को दी जाती है। साथ ही, प्रशिक्षित आशा के द्वारा मरीजों को चिह्नित करने व नजदीक के पीएचसी तक लाने एवं उनका ठीक होने तक ख्याल रखने पर प्रति मरीज 600 रुपये की प्रोत्साहन राशि भी दी जाती है।

यह राशि भारत सरकार एवं राज्य सरकार की तरफ से दी जाती है। इसमें मरीजों के लिए 6600 रुपये और आशा के लिए 100 रुपये की राशि मुख्यमंत्री कालाजार राहत अभियान के अंतर्गत दी जाती है। वहीं प्रति मरीज एवं आशा को 500 रुपये भारत सरकार की तरफ से दिया जाता है। साथ ही, ग्रामीण चिकत्सकों द्वारा मरीजों के रेफर करने और उनकी रिपोर्ट पॉजिटिव आने की स्थिति में उन्हें 500 रुपए दिए जाते हैं।

- Advertisement -

विज्ञापन और पोर्टल को सहयोग करने के लिए इसका उपयोग करें

spot_img
0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest
0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments

विज्ञापन

spot_img

विज्ञापन

spot_img

विज्ञापन

spot_img

संबंधित खबरें