कालाजार का लक्षण दिखते ही चिकित्सक से करें संपर्क, नि:शुल्क जांच की है व्यवस्था
जल्द शुरू होगी कालाजार के मरीजों की खोज, घर-घर जाएंगी आशा कार्यकर्ताएं
आशा कार्यककर्ताओं को किया जा चुका है प्रशिक्षित, माइक्रोप्लान तैयार
आरा, 04 जनवरी | कालाजार एक खतरनाक एवं जानलेवा बीमारी है। जिले के कुछ इलाके कालाजार से ग्रसित रहे हैं। सदर प्रखंड के पांच गावों में संक्रमण का प्रभाव रहा है। हालांकि, कालाजार उन्मूलन कार्यक्रम के तहत जिला स्वास्थ्य समिति के स्तर से चिह्नित गांवों में छिड़काव कर दिया गया है।
वहीं, जो लोग कालाजार की बीमारी से संक्रमित मिले वो अब ठीक हो गए हैं, लेकिन चिकित्सकों के अनुसार लक्षण दिखे तो नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र पहुंचकर निःशुल्क जांच कराएं।
जानकारी देते हुए भोजपुर जिले के जगदीशपुर प्रखंड के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. एस किशुन ने बताया कि कालाजार लिसमैनिया डोनोवाणी नामक परजीवी से होता है। जिसका प्रसार संक्रमित बालू मक्खी द्वारा होता है। यह परजीवी बाद किसी स्वस्थ व्यक्ति को काटता है तो परजीवी स्वस्थ व्यक्ति के अंदर प्रवेश कर जाता है।
इस प्रकार यह रोग एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक फैलता है। इस बीमारी में दो हफ्तों से ज्यादा बुखार रहता है। जो मलेरिया या किसी भी एंटीबायोटिक दवा से ठीक नहीं होता है। जिसका जांच व उपचार पर उनका ब्लड जांच निःशुल्क होता है।
संदिग्ध मरीज की खोज कर समय से जांच एवं उपचार जरूरी
प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. एस किशुन ने बताया कालाजार के संदिग्ध रोगी की खोज कर ससमय जांच एवं उपचार करवाना जरूरी है। जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी ने बताया कि डीकेडीएल मरीज की पहचान व उपचार के लिए कालाजार के कीटाणु से होने वाला चमड़ी की बीमारी है। मरीज के शरीर के हिस्से में सिहुली जैसा सफेद दाग धब्बा या गांठ हो जाता है।
जो पहले कालाजार का मरीज रह चुका है। इस तरह के मरीज पोस्ट कालाजार डर्मल लेशमेनियासिस (पीकेडीएल) से ग्रसित हो सकते हैं। उपचार के लिए मरीज को 84 दिनों तक दवा खानी पड़ती है। उपचार के दौरान मरीज को सरकार द्वारा 4 हजार रुपए की श्रम क्षतिपूर्ति राशि भी दी जाती है।
कालाजार के ये है निम्न लक्षण
बुखार अक्सर रुक-रुक कर या तेजी से तथा दोहरी गति से आना, भूख लगना, वजन में कमी जिससे शरीर में दुर्बलता, कमजोरी, त्वचा सूखी, पतली और शुष्क होती है तथा बाल झड़ने लगते हैं। इस बीमारी में खून की कमी बड़ी तेजी होने लगती है। गोरे व्यक्तियों के हाथ, पैर, पेट और चेहरे का रंग भूरा हो जाता है। इसी से इसका नाम कालाजार पड़ा अर्थात काला बुखार पड़ा है।
मरीजों को मिलती है 7100 रुपये की पारिश्रमिक क्षतिपूर्ति राशि
वीबीडीएस कौशल किशोर ने बताया कालाजार मरीजों को दो दिन का ही पारिश्रमिक क्षतिपूर्ति राशि का भुगतान किया जाता था। चूंकि कालाजार से पीड़ित मरीज काफी कमजोर हो जाता है तथा इलाज के पश्चात पूर्ण स्वस्थ होने में करीब एक माह का समय लग जाता है।
बीमारी के दौरान हुई कमजोरी के कारण कालाजार मरीज मजदूरी करने की स्थिति में नहीं रहते हैं। जिसको देखते हुए सरकार ने कालाजार रोग ग्रसित सभी मरीजों को पारिश्रमिक की क्षतिपूर्ति देने का निर्णय लिया है। योजना के तहत 6600 रुपये तथा केंद्र सरकार की ओर से 500 रुपये यानी कुल 7100 रुपये भुगतान करने का प्रावधान है।