ओपीडी में आने वाले टीबी के लक्षणों के सभी मरीजों की होगी जांच : सिविल सर्जन
लक्ष्य प्राप्ति के लिए शत प्रतिशत जांच करने का निर्देश जारी, खांसी को नजरअंदाज करने पर परिणाम हो सकते हैं भयावह
बक्सर, 22 नवंबर | बढ़ती ठंड के कारण जिले में सर्दी जुखाम के मरीजों की बढ़ोत्तरी हुई है। ऐसे में जानकारी के अभाव में टीबी के लक्षण वाले मरीज भी सामान्य खांसी समझ कर अपना इलाज करा रहे हैं। जिसको गंभीरता से लेते हुए सिविल सर्जन डॉ. सुरेश चंद्र सिन्हा ने सदर अस्पताल में आने वाले टीबी के लक्षण वाले मरीजों की शत प्रतिशत जांच का निर्देश दिया है।
लेकिन, इन सबके बीच चिंता का विषय यह है कि कई लोग घरेलु इलाज या फिर बेफिक्री में खांसी का इलाज नहीं कराते हैं। जो आगे जाकर टीबी का रूप भी ले सकती है। जो लोगों के लिये परेशानी का सबब बन सकती है। यदि ज्यादा दिनों तक खांसी को नजरअंदाज किया जाये, तो इसके परिणाम काफी भयावह हो सकते हैं। इसलिये 15 दिनों से अधिक खांसी रहने पर अनिवार्य रूप से बलगम की जांच करानी चाहिये। ताकि, टीबी के लक्षणों की पहचान कर उसका इलाज शुरू हो सके।
टीबी की जल्द से जल्द पहचान जरूरी
जिला यक्ष्मा पदाधिकारी डॉ. शालिग्राम पांडेय ने बताया, टीबी एक जटिल रोग है। इसे जल्द से जल्द पहचान कर इलाज शुरू किया जाना चाहिए, ताकि दूसरों व्यक्तियों में यह संक्रमित बीमारी न पहुंचे। उन्होंने बताया कि सरकार 2025 तक पूरे भारत से टीबी को जड़ से मिटाने के लिये प्रतिबद्ध है।
पहले के मुकाबले मृत्यु दर में काफी कमी आई है। उम्मीद है कि जल्द ही जिले में टीबी पर काबू पा लिया जाएगा। टीबी उन्मूलन में जनभागीदारी बहुत ही जरूरी है। अगर लोग सहयोग करें तो यह बीमारी समय से पहले खत्म हो सकती है।
जिला यक्ष्मा केंद्र में सीबी नॉट से की जाती है जांच
डॉ. शालिग्राम पांडेय ने बताया, जिले में माइक्रोस्कोपिक, ट्रू नॉट और सीबी नॉट मशीन के माध्यम से टीबी के लक्षण वाले मरीजों के स्पूटम की जांच की जाती है। जिसमें सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर माइक्रो स्कोप के माध्यम से जांच किया जाता है। वहीं, ट्रू नॉट के माध्यम से सिमरी, ब्रह्मपुर, नावानगर, डुमरांव व सदर अस्पताल में सैंपलों की जांच की जाती है।
इसके अलावा जिला यक्ष्मा केंद्र में सीबी नॉट से की जांच की जाती है। उन्होंने बताया कि सभी सरकारी अस्पतालों में टीबी के मरीजों के इलाज की नि:शुल्क सुविधा उपलब्ध है। जहां पर वह अपना इलाज करा सकते हैं। इसके साथ उनको नि:शुल्क दवा भी दी जाती है। जो नजदीक स्वास्थ्य केंद्रों पर उपलब्ध है। इससे टीबी के मरीजों को काफी सहूलियत होती है।
जांच में पुष्टि हो के बाद निःशुल्क मिलती है दवा
जिला यक्ष्मा केंद्र के डीपीसी कुमार गौरव ने बताया कि टीबी का लक्षण वाले मरीज अनिवार्य रूप से जांच कराएं। टीबी का हल्का-सा भी लक्षण दिखे तो जांच कराने स्वास्थ्य केंद्र जाएं। जांच में पुष्टि हो जाने के बाद आपको निःशुल्क दवा मिलती है। साथ में पौष्टिक भोजन की समस्या को दूर करने के लिए भी 500 रु. की राशि भी दी जाती है।
जिले के सभी सरकारी अस्पतालों में टीबी की जांच और इलाज की व्यवस्था है। इसलिए अगर लक्षण दिखे तो तत्काल जांच कराएं। मरीजों को निःशुल्क दवा उपलब्ध कराई जाती है। साधारण टीबी और एमडीआर टीबी दोनों में से किसी भी तरह के मरीज हों, अपनी दवाओं का नियमित सेवन करें। साधारण टीबी मरीजों की दवा छह महीने तथा एमडीआर की छह से 20 महीने तक चलती है।