एक्टिविटी बेस्ड शिक्षा को बढ़ावा दे रहे हैं एआरपी डॉ. आशीष कुमार गुप्त

आजमगढ़। जनपद आजमगढ़ के पवई विकासखंड में शिक्षा के क्षेत्र में अभिनव प्रयासों के अंतर्गत एआरपी (अकादमिक रिसोर्स पर्सन) डॉ. आशीष कुमार गुप्त द्वारा एक्टिविटी बेस्ड शिक्षा को बढ़ावा दिया जा रहा है। पारंपरिक शिक्षा प्रणाली को रचनात्मकता और व्यावहारिक ज्ञान से जोड़ने के इस प्रयास से न केवल बच्चों की सीखने की क्षमता में वृद्धि हो रही है, बल्कि उनमें प्रतिस्पर्धा की भावना और आत्मविश्वास भी विकसित हो रहा है।
डॉ. गुप्त प्रतिदिन दो प्राथमिक विद्यालयों का नियमित अनुश्रवण करते हैं, जहां वे न केवल शिक्षण व्यवस्था का मूल्यांकन करते हैं, बल्कि बच्चों को खुद गतिविधियों में भाग लेने के लिए प्रेरित भी करते हैं। वे विभिन्न विषयों पर आधारित गतिविधियाँ आयोजित कराते हैं, जैसे सामान्य ज्ञान प्रश्नोत्तरी, गणितीय खेल, भाषायी अभ्यास और कला से जुड़ी रचनात्मक क्रियाएं। इन गतिविधियों के माध्यम से बच्चों के अंदर न केवल विषयवस्तु की समझ बढ़ती है, बल्कि उनमें टीमवर्क, नेतृत्व और सामाजिक समरसता जैसे गुण भी विकसित होते हैं।
विशेष रूप से, सामान्य ज्ञान पर आधारित प्रश्नोत्तरी में बच्चों की भागीदारी देखकर यह स्पष्ट होता है कि उनमें जानने और सीखने की जिज्ञासा बढ़ रही है। डॉ. आशीष द्वारा इन गतिविधियों के अंत में बच्चों को छोटे-छोटे पुरस्कार देकर उनका उत्साहवर्धन किया जाता है, जिससे उनका मनोबल और भी ऊंचा होता है।
गणित विषय में डॉ. गुप्त बच्चों को खेल-खेल में गणना की तकनीक सिखाते हैं, जिससे गणित का डर बच्चों के मन से दूर होता जा रहा है। वहीं हिंदी और अंग्रेजी विषयों में गतिविधियों के माध्यम से शब्दावली, उच्चारण और वाक्य रचना पर विशेष ध्यान दिया जाता है। इसके अतिरिक्त, कलात्मक गतिविधियों जैसे ड्राइंग, रंग भरना, पोस्टर बनाना आदि के माध्यम से बच्चों की सृजनात्मकता को भी आकार दिया जा रहा है।
डॉ. आशीष का यह अभिनव प्रयास शिक्षा की नई दिशा को दर्शाता है, जिसमें शिक्षक केवल ज्ञान देने वाला नहीं, बल्कि बच्चों को उनके अंदर छिपे गुणों को पहचानने और उन्हें तराशने वाला मार्गदर्शक बन जाता है। उनके प्रयासों से न केवल बच्चों की रुचि पढ़ाई में बढ़ी है, बल्कि विद्यालयों की शैक्षिक गुणवत्ता में भी सुधार देखने को मिला है।
शिक्षा विभाग और अन्य शिक्षक समुदाय को भी डॉ. आशीष कुमार गुप्त के इस मॉडल से प्रेरणा लेकर इसे व्यापक स्तर पर लागू करने का प्रयास करना चाहिए, ताकि हर बच्चा शिक्षा को बोझ नहीं, बल्कि एक आनंददायक यात्रा के रूप में अनुभव कर सके।