इसमें यदि सफलता मिराजद सरकार गिराने-बनाने में मगज नहीं खपा रहे हैं, उनकी पहली कोशिश अवध बिहारी चौधरी को अध्यक्ष पद पर बनाये रखने की है
इसमें सफलता मिली तो नीतीश कुमार की सरकार का हश्र क्या होगा इसे आसानी से समझा जा सकता है
पटना/डा. रूद्र किंकर वर्मा। नीतीश कुमार की सरकार बचेगी कि जमीन सूंघ लेगी? मतलब गिर जायेगी? जहां जाइये, जिनसे मिलिये या फोन पर बात कीजिये, हर जगह यही सवाल! सोशल मीडिया में आशंका जतायी जा रही है कि सत्तारूढ़ भाजपा और जदयू के विधायकों में टूट हो जायेगी, जीतनराम मांझी की पार्टी ‘हम’ राजग से अलग हो जायेगी.
नीतीश कुमार विश्वास मत हासिल नहीं कर पायेंगे. सरकार का पतन हो जायेगा. जीतनराम मांझी को मुख्यमंत्री पद का प्रलोभन दे महागठबंधन ‘हम’ को अपने साथ कर लेगा! तरह-तरह की आधारहीन और तर्कहीन बातें! राजनीति संभावनाओं का खेल है.
इसमें दावे के साथ कुछ नहीं कहा जा सकता है. इस सूत्र के तहत उनकी बातें सही हो जायें तो वह अलग बात होगी. वैसे, इसकी संभावना दूर-दूर तक नहीं दिखती है. दलबदल विरोधी कानून नहीं होता तो सोशल मीडिया की बातों को सच के करीब माना जा सकता था.
आंकड़ों का गणित
आंकड़ों पर गौर करें, तो नीतीश कुमार को 128 विधायकों का समर्थन हासिल है. 78 भाजपा, 45 जदयू, 04 ‘हम’ एवं एक निर्दलीय का. महगठबंधन के 114 विधायक हैं. राजग से 14 कम. राजद के 79, कांग्रेस के 19 और वामपंथी दलों 16. एक विधायक एआईएमआईएम के हैं.
मत विभाजन में वह महागठबंधन के साथ नहीं होंगे, पर हाथ सरकार के विरोध में उठायेंगे. इस तरह सरकार विरोधी विधायकों की संख्या 115 हो जायेगी. ‘हम’ के चार विधायक इधर आ जाते हैं तब यह संख्या 119 ही हो पायेगी. बहुमत से तीन दूर. वैसे, ‘हम’ के छिटकने की संभावना नहीं नजर आती है.
राजद की रणनीति
लालू प्रसाद और तेजस्वी प्रसाद यादव अभी सरकार गिराने-बनाने में मगज नहीं खपा रहे हैं. उनकी पहली कोशिश अवध बिहारी चौधरी को अध्यक्ष पद पर बनाये रखने की है. इसके लिए उन्हें राजग के सात विधायकों की सदन से अनुपस्थिति के रूप में साथ की जरूरत है. ये सात अनुपस्थित हो जाते हैं, तो राजग के समर्थक विधायकों की संख्या 121 रह जायेगी.
राजद के रणनीतिकारों का तर्क है कि अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव तभी पारित माना जायेगा जब कुल 243 सदस्यों में से आधे से एक अधिक यानी 122 सदस्य उसके पक्ष में होंगे. सदन में उपस्थित सदस्यों में बहुमत मान्य नहीं है. राजद इसी रणनीति पर काम कर रहा है. सफलता मिल गयी, तो नीतीश कुमार की सरकार का हश्र क्या होगा इसे आसानी से समझा जा सकता है.