आरा : निमोनिया से बचाव के लिए संपूर्ण टीकाकरण जरूरी, बचाव को रहें सतर्क

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आरा, 01 नवंबर | जिले में ठंड का प्रभाव बढ़ता जा रहा है। मौसम विभाग से मिली जानकारी के अनुसार 10 नवंबर से जिले में ठंड के कारण तापमान में तेजी से गिरावट होने वाली है। बदलते मौसम में निमोनिया का खतरा बढ़ जाता है। इसलिए, बच्चे एवं बुजुर्गों का इससे बचाव के लिए विशेष ख्याल रखने की जरूरत है। दरअसल, बच्चे एवं बुजुर्गों की रोग-प्रतिरोधक क्षमता बेहतर कमजोर होती है। जिसके कारण इस बीमारी की चपेट में बच्चे व बुजुर्गों को आने का खतरा अधिक रहता है। क्योंकि, निमोनिया सांस से जुड़ी गंभीर बीमारी है, जो बैक्टेरिया, वायरस और फंगल की वजह से फेफड़ों में संक्रमण से होता है। इस वजह से बच्चों और बुजुर्गों को सांस लेने में काफी तकलीफ होती है। इस बीमारी से बचने का एक मात्र उपाय न्यूमो कॉकल वैक्सीन (पीसीवी) का वैक्सीनेशन ही है।

जिले के सभी पीएचसी में उपलब्ध है निःशुल्क पीसीवी का टीका

जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ. संजय कुमार सिन्हा ने बताया कि निमोनिया के प्रारंभिक लक्षण सर्दी-खांसी जैसे हो सकते हैं। ज्यादातर कमजोर प्रतिरोधक क्षमता वाले लोग इससे जल्दी ग्रसित हो जाते हैं। जिन बच्चों को पीसीवी का टीका नहीं पड़ा है उन बच्चों को इस बीमारी की चपेट में आने की संभावना अधिक रहती । इस बीमारी में मवाद वाली खांसी, तेज बुखार एवं सीने में दर्द समेत अन्य परेशानी होती है। यह समुचित इलाज के अभाव में जानलेवा भी साबित हो सकती है। उन्होंने बताया कि इस बीमारी को टीकाकरण से रोका जा सकता है। इसलिए, अपने बच्चों को संपूर्ण टीकाकरण के अंतर्गत पीएचसी में उपलब्ध निःशुल्क पीसीवी का टीका निश्चित रूप से लगवाएं। बच्चे को जन्म के पश्चात दो साल के अंदर सभी तरीके के पड़ने वाले टीका जरूर लगवाने चाहिए। इससे बच्चे की रोग-प्रतिरोधक क्षमता मजबूत तो होती ही है। इसके अलावा वह 12 से अधिक प्रकार के बीमारियों से भी दूर रहता है।

निमोनिया से होता है फेफड़ों में संक्रमण

निमोनिया सांस से जुड़ी एक गंभीर बीमारी है। इसकी वजह से फेफड़ों में संक्रमण होता है। आम तौर पर यह बीमारी बुखार या जुकाम होने के बाद ही होता है। निमोनिया बैक्टेरिया, माइक्रोबैक्टेरिया, वायरल, फंगल और पारासाइट की वजह से उत्पन्न संक्रमण की वजह से होता है। इसका संक्रमण सामुदायिक स्तर पर भी हो सकता है। निमोनिया का प्रारंभिक लक्षण बुखार के साथ पसीना एवं कंपकपी होना, अत्यधिक खांसी में गाढ़ा, पीला, भूरा या खून के अंश वाला बलगम आना, तेज-तेज और कम गहरी सांस लेने के साथ सांस का फूलना, होंठ या अंगुलियों के नाखून नीले दिखाई देना, बच्चों में परेशानी व उत्तेजना बढ़ जाना है।

निमोनिया से बचाव के उपाय

निमोनिया एक सांस संबंधी बीमारी है, इसलिए कुछ सावधानी बरतने के बाद काफी हद तक इसके संक्रमण से बचा जा सकता है। इसके लिए नवजात एवं छोटे बच्चों के रखरखाव, खानपान एवं कपड़े पहनाने में सावधानी बरतने की आवश्यकता है। सर्दी के मौसम में हमेशा बच्चों को गर्म कपड़े पहनाने एवं खाने-पीने में गर्म पदार्थों का ही इस्तेमाल करना चाहिए। साथ ही, वैसे लोगों के संपर्क से दूर रखने की आवश्यकता है जिन्हें पहले से सांस संबंधी बीमारी हो। इसके साथ बुजुर्गों सहित अन्य लोगों को भी काफी सावधानी बरतने की जरूरत है।

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