आंगनबाड़ी सेविकाओं को राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस कार्यक्रम को लेकर किया गया प्रशिक्षित
नावानगर/डुमरांव । प्रखंड कार्यालय के सभागार में जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी, बक्सर डा वी पी सिंह की उपस्थिति में द्वितीय बैच की सभी सेविकाओं को राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस कार्यक्रम का प्रशिक्षण दिया गया। जिसमें प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डा कमलेश कुमार, बीसीएम मो तस्लीम, एलएस संजू कुमारी, शिप्रा और मालती उपस्थित रहीं। बता दें कि एक से 19 वर्ष तक के बच्चों को कुपोषण से मुक्त बनाने तथा रक्त की कमी की समस्या को दूर करने के लिए राष्ट्रीय कृमि मुक्ति कार्यक्रम आयोजित किया जायेगा।
इस क्रम में जिले में 15 मार्च को राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस तथा 19 मार्च को मॉप अप दिवस का आयोजन किया जाएगा। जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी उपस्थित आंगनबाड़ी सेविकाओं को बताया कि कार्यक्रम के अंतर्गत 1 वर्ष से 19 वर्ष तक के सभी बच्चों को आंगनबाड़ी केंद्रों व विद्यालय में अल्बेंडाजोल की दवा खिलाई जाएगी। राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस का उद्देश्य बच्चों के समग्र स्वास्थ्य पोषण की स्थिति, शिक्षा तक पहुंच और जीवन की गुणवत्ता में बढ़ोत्तरी करना है।
बीसीएम ने बताया कि राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस के दौरान बच्चों को दवा खिलाते समय कुछ सावधानी भी बरतनी होगी। जैसे कि अगर किसी बच्चों की कोई गंभीर बीमारी का इलाज चल रहा है और वह नियमित रूप से दवा खा रहा, कोई भी बच्चा सर्दी, खांसी, बुखार, सांस लेने में तकलीफ से बीमार है तो, उसे यह दवा नहीं खिलाई जाएगी।
एक से दो वर्ष तक के बच्चों को आधी गोली को चूरा बनाकर पानी के साथ, दो से तीन वर्ष को एक पूरी गोली चूरा बनाकर पानी के साथ तथा तीन से 19 वर्ष तक के बच्चों को एक पूरी गोली चबाकर खिलायी जानी है।
उन्होंने बताया कि दवा खिलाते समय यह ध्यान रखा जाये कि बच्चे दवा को चबाकर खाएं। दवा खाने के बाद जी मचलालना, पेट में हल्का दर्द, उल्टी, दस्त और थकान महसूस होना, लेकिन इससे घबराने की जरूरत नहीं है। पेट में कीड़ा होने के कारण यह प्रतिकूल प्रभाव दिखाई देगा।