डुमरांवबक्सरबिहार

अहिल्याबाई होलकर त्रिशताब्दी जन्मशती पर आयोजित हुआ सुमित्रा महिला कालेज में संगोष्ठी

डुमरांव. शासन व्यवस्था के नाम पर घोर अत्याचार के बीच उन विकट परिस्थितियों में महारानी अहिल्याबाई होलकर ने नारी शक्ति का उपयोग कर न्याय दिलाने का काम किया जो प्रशंसनीय है और अहिल्याबाई होलकर का कृतित्व चिरस्मरणीय रहेगा.

उक्त बातें राष्ट्र सेविका समिति दक्षिण बिहार प्रांत के संचालिका डॉ नमिता कुमारी ने स्थानीय सुमित्रा महिला महाविद्यालय के सभागार में आयोजित अहिल्याबाई होलकर त्रिशताब्दी जन्मशती पर आयोजित संगोष्ठी को संबोधित करते हुए कहीं.

इस दौरान नगर की महिलाए, कालेज की छात्राएं सहित सुमित्रा महिला कालेज प्राचार्य डॉ शोभा सिंह, प्रो किरण सिंह, प्रांत सह संपर्क प्रमुख उर्मिला कुमारी, विभाग कार्यवाहिका ओम ज्योति भगत, मीनाक्षी कुमारी, जिला संपर्क प्रमुख बबीता सोनी, शिरातों देवी, प्रमिला पांडे, सीमा मिश्रा, काजल, धनवंती, सुनीता, पूनम देवी सहित सैकड़ों छात्राएं मौजूद थी.

मंच संचालन वंदना भगत ने किया. संगोष्ठी के पश्चात कालेज परिसर में वृक्षारोपण किया गया. डाॅ नमिता ने संगोष्ठी को संबोधित करते हुए कहा कि अहिल्याबाई होलकर ने अपने राज्य की सीमा से बाहर जाकर सम्पूर्ण भारत के प्रमुख तीर्थ स्थलों का पुनर्निर्माण सहित मानव सेवा के लिए अनेकों कार्य की जो आज भी चिरस्मरणीय है.

अहिल्याबाई का जन्म महाराष्ट्र के चौड़ी गांव में हुआ था, जो अहमदनगर जिला में पड़ता है. जिसे आज अहिल्यानगर के नाम से जाना जाता है. उनके पिता मानकों जी शिंदे थे, जो क्षेत्र के पाटिल थे. उनका परिवार सम्मानित मराठा परिवार था उनकी शादी दस बारह वर्ष की आयु में हो गई थी.

अहिल्याबाई होलकर त्रि शताब्दी जन्मशती पर नगर के महारानी उषा रानी बालिका उच्च विद्यालय के परिसर में भी संगोष्ठी आयोजित किया गया विद्यालय की छात्राएं, शिक्षक-शिक्षिका शामिल हुए. विद्यालय प्रधानाचार्य सचिंद्र तिवारी, उप प्रधानाचार्य रविशंकर के देखरेख में संगोष्ठी आयोजित किया गया.

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