
मधुबनी। उत्क्रमित प्लस टू उच्च विद्यालय मलमल, कलुआही, मधुबनी की शिक्षिका श्रीमती संगीता कुमारी को “अटल शिक्षक सम्मान” से सम्मानित किया गया। यह सम्मान उन्हें शिक्षा के क्षेत्र में उनके उल्लेखनीय योगदान और नवाचार प्रयोगों के लिए प्रदान किया गया।
सम्मान समारोह में हुआ भव्य सम्मान
यह सम्मान उन्हें ललित नारायण जनता कॉलेज, झंझारपुर, मधुबनी के प्रधानाचार्य एवं गोल्ड मेडलिस्ट प्रो. (डॉ.) नारायण झा के करकमलों द्वारा अटल शिक्षक सम्मान समारोह में प्रदान किया गया। इस समारोह में जिले भर से शिक्षकों, अधिकारियों एवं शिक्षा प्रेमियों की उपस्थिति रही।
शिक्षा में नवाचार की अग्रदूत
श्रीमती संगीता कुमारी शिक्षा के क्षेत्र में नवाचार को प्रमुखता देती हैं। उनका मानना है कि पारंपरिक पद्धतियों के साथ-साथ आधुनिक तकनीकों और नवाचारों को अपनाकर शिक्षा को और अधिक प्रभावशाली और आकर्षक बनाया जा सकता है। वे शिक्षण में गतिविधि आधारित, तकनीक-संवर्धित और छात्र केंद्रित पद्धतियों का प्रयोग करती हैं, जिससे बच्चों में सीखने की रुचि और समझ दोनों में वृद्धि होती है।
सरकारी स्कूलों के बच्चों को मिल रहे नए अवसर
संगीता कुमारी मानती हैं कि सरकारी विद्यालयों में पढ़ने वाले बच्चे भी अपार संभावनाओं से भरे होते हैं, आवश्यकता है तो केवल उन्हें सही मार्गदर्शन, अवसर और तकनीक आधारित शिक्षा देने की। उन्होंने अपने विद्यालय में बच्चों को रोबोटिक्स, विज्ञान मॉडल, डिजिटलीकृत लर्निंग टूल्स तथा प्रोजेक्ट आधारित अधिगम से जोड़ा है। इसका सकारात्मक परिणाम बच्चों के प्रदर्शन में स्पष्ट दिखाई देता है।
शिक्षा में नवाचार का उद्देश्य
उनका कहना है कि शिक्षा में नवाचारों के प्रयोग का मुख्य उद्देश्य भारतीय शिक्षा प्रणाली को वैश्विक प्रतिस्पर्धा में मजबूत बनाना है। शिक्षकों को लगातार अपने शिक्षण कौशल को विकसित करना चाहिए और बच्चों की जिज्ञासा व सृजनात्मकता को बढ़ावा देना चाहिए।
सम्मान से प्रेरित होकर आगे बढ़ने की प्रेरणा
इस सम्मान से प्रेरित होकर संगीता कुमारी अब अन्य शिक्षकों को भी नवाचार अपनाने के लिए प्रेरित कर रही हैं। वे कार्यशालाओं, प्रशिक्षणों एवं सामुदायिक बैठकों के माध्यम से शिक्षा में सुधार के प्रयासों को जन-जन तक पहुंचाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
संगीता कुमारी का यह योगदान न केवल उनके विद्यालय के लिए बल्कि पूरे जिले के लिए गर्व का विषय है। ऐसे शिक्षकों की प्रेरणा से ही शिक्षा क्षेत्र में सकारात्मक बदलाव संभव है और बच्चों के सुनहरे भविष्य की नींव मजबूत होती है।