अकेली शिक्षिका अर्पणा राव के अथक प्रयास से बदली विद्यालय की तस्वीर

पूर्व माध्यमिक विद्यालय मेदीपट्टी में अर्पणा राव के अथक प्रयास से लौटी शिक्षा की रौशनी
बघौचघाट (देवरिया)। शिक्षा की लौ जब बुझने लगे और कोई उसे फिर से जलाने का संकल्प ले ले, तो वह मिसाल बन जाती है। कुछ ऐसी ही मिसाल कायम की है पथरदेवा विकासखंड के पूर्व माध्यमिक विद्यालय मेदीपट्टी की एकमात्र शिक्षिका अर्पणा राव ने, जिन्होंने अकेले दम पर विद्यालय को पुनर्जीवित कर दिया।
यह विद्यालय 16 अप्रैल 2024 से शिक्षक विहीन था, जिसके कारण बच्चों की उपस्थिति शून्य हो चुकी थी। ऐसे में कंपोजिट विद्यालय कोइरीपट्टी की गणित विषय की सहायक अध्यापिका अर्पणा राव को जब इस विद्यालय का चार्ज सौंपा गया, तो उन्होंने इसे एक चुनौती के रूप में लिया। बिना किसी झिझक के उन्होंने डोर-टू-डोर अभियान शुरू किया और हर घर जाकर अभिभावकों व बच्चों से संपर्क किया।
शून्य से शुरूआत, 66 बच्चों तक का सफर
जिस विद्यालय में एक भी बच्चा नामांकित नहीं था, वहां आज अर्पणा राव के अथक प्रयास से 66 बच्चों का नामांकन हो चुका है। बच्चे नियमित रूप से विद्यालय आ रहे हैं और शिक्षा के प्रति उनकी रुचि भी लगातार बढ़ रही है। विद्यालय में पढ़ाई के साथ-साथ अनुशासन, स्वच्छता और रचनात्मक गतिविधियों पर भी विशेष ध्यान दिया जा रहा है।
शिक्षा के साथ हुनर को भी दी प्राथमिकता
श्रीमती राव न केवल बच्चों को हिंदी और अंग्रेजी की बेहतर शिक्षा दे रही हैं, बल्कि साथ ही उन्हें कढ़ाई, बुनाई और पेंटिंग जैसी रचनात्मक गतिविधियों में भी प्रशिक्षित कर रही हैं। उनका उद्देश्य है कि ग्रामीण परिवेश के बच्चे किसी भी तरह से निजी विद्यालयों के बच्चों से कम न महसूस करें।
समर्पण की मिसाल बनीं शिक्षिका
अर्पणा राव बताती हैं, “मैं चाहती हूं कि ये बच्चे आत्मनिर्भर बनें। इसलिए केवल किताबों तक ही सीमित नहीं रहकर उनके सर्वांगीण विकास पर ध्यान दे रही हूं। नामांकन से लेकर पढ़ाई, गतिविधियां और विद्यालय का भौतिक विकास—सब कुछ मैंने अपने स्तर से किया है।”
अभिभावकों में दिख रहा विश्वास
अभिभावक भी शिक्षिका की इस लगन से प्रभावित होकर बच्चों को नियमित रूप से विद्यालय भेज रहे हैं। विद्यालय का साफ-सुथरा वातावरण, गुणवत्तापूर्ण पढ़ाई और गतिविधियों में बच्चों की भागीदारी अभिभावकों को यह भरोसा दिला रही है कि उनका बच्चा एक अच्छे भविष्य की ओर बढ़ रहा है।
अर्पणा राव का यह कार्य न केवल प्रेरणादायक है, बल्कि यह इस बात का प्रमाण भी है कि यदि एक शिक्षक भी पूरी निष्ठा से कार्य करे, तो किसी भी विद्यालय की तस्वीर बदली जा सकती है। पूर्व माध्यमिक विद्यालय मेदीपट्टी अब शिक्षा और नवाचार का प्रतीक बन चुका है।