आरा मंडल कारा के बंदियों को खिलाई गई फाइलेरिया रोधी दवाएं
बंदियों को दी गई फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम और एमडीए की जानकारी
आरा, 30 सितंबर | फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम के तहत जिले में सर्वजन दवा सेवन (एमडीए) कार्यक्रम के तहत शनिवार को मंडल कारा के बंदियों सहित जेल में कार्यरत पदाधिकारी व कर्मचारियों को अल्बेंडाजोल तथा डीईसी की गोलियां खिलाई गयी। कार्यक्रम की शुरुआत जेल बंदियों को अल्बेंडाजोल तथा डीईसी दवा खिला कर हुयी।
कार्यक्रम में मंडल कारा के चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. रंजन कुमार, फार्मासिस्ट संजय कुमार, वीबीडीसी अजीत कुमार व पिरामल इंडिया के डीपीओ चंदन कुमार प्रसाद मौजूद रहें। अंजनी मिश्रा ने जानकारी देते हुए बताया अभियान के तहत मंडल कारा के बंदियों को दवा सेवन कराया गया है।
साथ ही, मंडल कारा परिसर के सभी लोगों के दवा सेवन कर लेने से कारा मंडल के शत प्रतिशत लोगों को दवा का सेवन करवाना सुनिश्चित किया गया। इस दौरान बंदियों को फाइलेरिया उन्मूलन अभियान और एमडीए की जानकारी दी गई।
कई गंभीर रोग के कारक होते हैं मच्छर
वीबीडीसी अजीत कुमार ने बंदियों को बताया कि फाइलेरिया एक मच्छर जनित रोग है। घर के आस-पास जल जमाव वाले क्षेत्र व गंदे स्थानों पर पनपने वाले कई मच्छर कई गंभीर रोग के कारक होते हैं। इसलिये हमें आसपास के माहौल को हमेशा स्वच्छ व सुंदर बनाये रखने का प्रयास करना चाहिये। इससे हमें अपने परिवार के साथ-साथ समाज के कई अन्य लोगों को भी गंभीर बीमारियों की चपेट में आने से बचा सकते हैं।
उन्होंने कहा कि स्वस्थ समाज के लिए फाइलेरिया उन्मूलन आवश्यक है। समय पर इलाज नहीं होने से यह बीमारी मरीज को दिव्यांग बना सकती है। रोग की गंभीरता से अवगत होने के बाद कैदियों में दवा सेवन के प्रति उत्साह देखा गया। कतारबद्ध होकर वे दवा सेवन के लिये अपनी बारी का इंतजार करते देखे गये।
फाइलेरिया की वजह से होने वाले हाथी पांव का कोई इलाज नहीं
डीपीओ चंदन कुमार प्रसाद ने कार्यक्रम के दौरान कैदियों को फाइलेरिया रोग के विभिन्न पहलूओं से अवगत कराया गया। साथ ही, रोग के बारे में जानकारी देते हुये बताया कि फाइलेरिया एक गंभीर कष्टकारी रोग है।
फाइलेरिया की वजह से हाथी पांव होने की स्थिति में इसका कोई इलाज नहीं है। संक्रमण के खतरों से बचाव के लिये सरकार द्वारा हर साल सर्वजन दवा सेवन कार्यक्रम संचालित किया जाता है। इस साल 20 सितंबर से जिले में इस कार्यक्रम का संचालन किया जा रहा है। पांच साल तक लगातार साल में एक बार दवा सेवन से फाइलेरिया से बचाव संभव है।