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सनातन संस्कृति समागम में पहुंचे सिक्किम के राज्यपाल गंगाप्रसाद जी, संतो का आशीर्वाद लिया

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बक्सर : सनातन संस्कृति समागम के षष्ठम दिवस सिक्किम के महामहिम राज्यपाल गंगाप्रसाद जी पूज्य संतों का आशीर्वाद प्राप्त करने आयोजन में पहुँचे। माननीय मंत्री अश्विनी चौबे जी ने उनका स्वागत अभिनदंन किया और स्मृति चिन्ह भेंट की। श्री राम कर्मभूमि न्यास के तत्वावधान व केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे के संयोजन में तथा पूज्य जीयर स्वामी जी के सानिध्य व पदम विभूषण जगद्गुरु रामभद्राचार्य जी के संरक्षण में आयोजित सनातन संस्कृति समागम में देश के कोने-कोने से पूज्य साधु संत और ख्याति प्राप्त व्यक्तित्व पहुंच रहें हैं। आयोजन के छठें दिवस सिक्किम के महामहिम राज्यपाल गंगाप्रसाद जी संतो का आशीर्वाद प्राप्त करने पहुंचे। उन्होंने ने अपने उद्बोधन में कहा कि बक्सर भगवान राम की प्रथम कर्मभूमि पर विशाल आयोजन हुआ है. भगवान राम के शिक्षा-दीक्षा की यह भूमि है। सभी साधु संतों और विद्वानों को एक मंच पर लाना, देश के लोकलाकारों, लोकसंगीत, लोककलाकार को एकत्र करना, एक करोड़ वृक्षारोपण करना साथ ही भारत की प्राचीन परम्परा का अनुशरण करते हुए ऋषि-मुनियों को विचार मंथन के लिए लाना इस कार्यक्रम की भव्यता को परिलक्षित करता है।


मर्यादापुरुषोत्तम श्रीराम समाजिक समरसता के अग्रदूत हैं। भगवान राम का जीवन हम सभी के लिए आदर्श है।
बक्सर की यह भूमि प्राचीन शिक्षास्थली अनुसंधान की भूमि और विज्ञान का भंडार रही है जिस पर भगवान राम ने दीक्षा प्राप्त कर आतंकवाद को समाप्त किया। विज्ञान आज भी उस समय के विज्ञान जितना विकसित नही हो पाया है। वह कैसी लक्ष्मण रेखा रही होगी जिसे पर कर अंदर से बाहर आ सकता है पर बाहर से अंदर नही जा सकता । यह दर्शाता है की उस समय का विज्ञान कितना सपंन्न हुआ करता था। कोई व्यक्ति अपना मजहब बदल सकता है पर अपना पूर्वज नही बदल सकता। भारत को गर्व होना चाहिए की उनके पूर्वज श्रीराम और कृष्ण हैं। इंडोनेशिया के लोग आज भी राम को अपना पूर्वज मानकर उनका गुणगान करते हैं। लंका पर विजय प्राप्त करने के पश्चात राम ने स्वर्ण के की लंका का राजपाट को यह कहकर छोड़ दिया कि कहा की माता और मातृभूमि स्वर्ग से बढकर है। हमे भी इसी तरह लोभ को त्यागकर राष्ट्र के लिए काम करना होगा।

भारत कभी संसार का गुरु रहा था यहां धर्म ज्ञान और विज्ञान सीखने के लिए लोग आया करते थे। आक्रांताओं ने यहां के ज्ञान-विज्ञान संस्कृति को नष्ट करने का प्रयास किया। हम फिर से जाग रहें हैं। हमने अमर शहीदों की याद में आजादी का अमृतमहोत्सव मनाया। उन वीर सपूतों को याद करते हुए भारत को आगे ले जाना है। ताकि भारत पुनः संसार को आध्यात्म की, एकता की और मानवता की शिक्षा दे। पूज्य प्रखर स्वामी जी महाराज ने कहा कि विश्व के कल्याण का आरंभ बक्सर से ही हुआ। भगवान राम के चरित्र का संदेश पूरे संसार की इसी भूमि ने दिया। राम को राम बनाने का काम इसी भूमि ने किया। यज्ञ से ही भगवान आहूत होते हैं। विश्वामित्र ने इसी धरती पर भगवान राम को बुलाया था। यह यज्ञ हो रहा है तो आने वाला समय जरूर अच्छा होगा।

राजनैतिक पार्टियां वादा करती हैं। हमारी गला कटने की स्थिति उतपन्न हो गयी है कोई पुलिस, अधिकारी और प्रशासन कुछ नही कर पाया आप किसी भी पार्टी में रहे आपके मन में राष्ट्रवाद होना चाहिए। अपने स्वार्थ के लिए राष्ट्रवाद को न भूलें। हमे दलगत राजनिति से ऊपर उठकर राष्ट्रवाद के विचार को ध्यान में रखकर समर्पण भाव से एकता और भाईचारे को बढ़ावा देना है। आरएसएस प्रचारक लक्ष्मीनारायण भल्ला जी ने कहा भारतीय संविधान में मौलिक अधिकारों की रक्षा पर जो चित्र अंकित है वह पुष्पक विमान में श्रीराम-लक्ष्मण और माता सीता का चित्र है जो रामराज्य में अधिकारों की सुरक्षा की गारंटी देता है। प्रज्ञा प्रवाह क्षेत्र संयोजक, उत्तर प्रदेश रामशीष जी ने कहा राम का नाम ही साध्य है। राम इस देश के अंक हैं। भारत के बिना दुनिया में धर्म और संस्कृति की कल्पना नही की जा सकती।

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पूर्व केंद्रीय मंत्री पटना साहिब के सांसद रविशंकर प्रसाद समागम में पधारे। संतो का आशीर्वाद लिया। केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे के प्रयास की सराहना की। माननीय मंत्री जी ने सभी साधुजनों व अतिथियों का स्वागत सम्मान किया और कहा की प्रकृति और सांस्कृति का मिलन है सनातन संस्कृति समागम इस दौरान मंच पर स्वामी अनंताचार्य जी महाराज, स्वामी शिवद्यान जी, स्वामी सत्यमूर्ति जी, सांसद गोपाल जी ठाकुर, सांसद सतीशचन्द्र दुबे, पूर्व आईएएस और UPSC के सदस्य राजीव नयन चौबे जी, झारखंड के पूर्व DGP कमल नयन चौबे जी, एमएलसी, विधायक अशोक पांडे जी, अजीत कुमार सिन्हा जी, अम्बिका दयाल ठाकुर जी उपस्थित रहे। महामहिम राज्यपाल जी ने जगद्गुरु अनंताचार्य जी व जीयर स्वामी जी को स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया। माननीय मंत्री जी ने अन्य अतिथियों को स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया।

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