बक्सर : श्रीराम कर्मभूमि न्यास के तत्वावधान व केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे के संयोजन तथा पूज्य जीयर स्वामी जी के सानिध्य में माता अहिल्या धाम, अहिरौली सनातन संस्कृति समागम में चौथे दिन की सुबह श्रीलक्ष्मीनारायण महायज्ञ के प्रारम्भ के साथ जगद्गुरु रामानुजाचार्य स्वामी श्री अनंताचार्य जी महाराज ने अपने मुखारविंद से श्रीमद्भागवत कथा की विधि और महत्व का वर्णन किया। शौनक ऋषि और सूतजी के कथा का वर्णन किया।

श्री अनंताचार्य महाराज जी ने वैष्णव और कथावाचकों के गुणों का वर्णन करते हुए कहा की व्यास पीठ पर बैठने वालों को ईर्ष्या, द्वेष और अहंकार से स्वयं को दूर रखना चाहिए। उन्हें स्वयं को सबसे छोटा समझना चाहिए क्योंकि जो सबसे छोटा होता है उसे गिरने का डर नही होता। उन्होंने कहा की कथावाचक को काम, क्रोध, लोभ और मोह से मुक्त होना चाहिए। जो सांसार के सागर में डूबा हुआ हो किसी और को इस मोह-माया के सागर से नही निकाल सकता। श्रीमद्भागवत कथा की विधि का वर्णन करते हुए उन्होंने कहा भगवान का नाम लेने के लिए किसी समय की आवश्यकता नही होती हम जिस समय में सतकर्म करते हैं वही समय शुभ होता है। श्रीमद्भागवत कथा के श्रवण से धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की प्राप्ति होती है यह इस सांसारिक सागर से पार होने का यह एकमात्र साधन है।

जिस तरह कमल की उतपत्ति जल में होती है पर उसकी पंखुड़ियों पर जल नही चिपकता उसी तरह भगवान संसार के सभी कर्म विकर्म से उपर होते हैं। परमात्मा के बिना संसार की कल्पना नही की जा सकती परमात्मा ही आदिकवि हैं जिन्होंने प्रकृति की रचना की और जब तक सूर्य,चंद्रमा, वायु, अग्नि और जल हैं तब तक परमात्मा विद्यमान रहेंगे। कथा के उपरांत स्वामी श्री अनंताचार्य जी ने माननीय मंत्री श्री अश्विनी चौबे जी की तारीफ करते हुए इस भव्य आयोजन के लिए आभार व्यक्त किया। केंद्रीय मंत्री श्री अश्विनी चौबे जी एवं पूर्व डीजीपी कथावाचक गुप्तेश्वर पांडे जी की उपस्थिति में भागवत भगवान की आरती सम्पन्न हुई। कल पुनः निर्धारित समय पर श्री अनंताचार्य जी महाराज के मुखारविंद से सुखदेव राम जी कथा प्रारम्भ होगी।