spot_img

संगीत सम्राट तानसेन की स्मृति में भव्य संगीत समारोह,

यह भी पढ़ें

- Advertisement -

डुमरांव. हरि जी हाता स्थित बिस्मिल्लाह खां संगीत एकेडमी सभागार में पहली बार संगीत सम्राट तानसेन की स्मृति में एक भव्य संगीत समारोह का आयोजन किया गया. जिसका संचालन होमियोपैथिक संघ बिहार के सचिव डॉ बी एल प्रवीण ने किया. बतौर मुख्य अतिथि शिक्षक प्रवीण कुमार उपाध्याय तथा समाजसेवी दशरथ प्रसाद विद्यार्थी के साथ-साथ बक्सर यात्री संघ के अध्यक्ष एवं समाजसेवी राजीव रंजन सिंह ने एक साथ दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम की शुरुआत की.

सबसे पहले आगत लोगों का स्वागत करते हुए बी एल प्रवीण ने तानसेन की जीवनी पर प्रकाश डाला. बताया कि तानसेन का जन्म सन् 1506 और निधन 26 अप्रैल 1589 में हुआ था, तानसेन को मूल नाम रामतनु गोदरिया था। ये बादशाह अकबर के नवरत्नों में महत्वपूर्ण स्थान रखते थे. ध्रुपद गायन में महारत हासिल था. इन्होंने ही कई राग- रागिनियों की खोज की. कहा जाता है कि रागों की साधना ऐसी थी कि दीप राग से आग लग जाती थी और राग मेघ मल्हार से पानी बरसने लगता था.

तानसेन के गुरु स्वामी हरिदास थे. तानसेन के नाम से आज भी संगीत का घराना चलता है. एक प्रकार से इन्हें ध्रुपद गायिकी का जनक कहा जाए तो अतिश्योक्ति नहीं होगी. मुख्य अतिथि ने अपने संबोधन में कहां इस प्रकार के आयोजन के महत्व को रेखांकित करते हुए कहां कि संस्कृति की रक्षा हर हाल में होनी चाहिए. दशरथ प्रसाद विद्यार्थी ने इस प्रकार के आयोजन कराते रहना नगर में लुप्तप्राय होते सांस्कृतिक माहौल के लिए संजीवनी बताया. उन्होंने कहा कि इसके जरिए ही हम मानव जीवन को सरस बना सकते हैं.

तत्पश्चात डॉ बी एल प्रवीण द्वारा गायक कलाकारों को मोमेंटो तथा अंगवस्त्र प्रदान कर सम्मानित किया गया. कार्यक्रम का प्रारंभ एकेडमी की प्राचार्या कुमारी सुमन ने सरस्वती वंदना से की. जिन्होंने अपनी सुरीली आवाज में शास्त्रीय गायन ‘बाजुबंद खुल-खुल जाए’ बंदिश प्रस्तुत कर लोगों का मनमोह लिया. आगत अतिथि के रूप में आए संगीत कलाकारों में आरा से गुरू स्वरूप राकेश मिश्रा ने शास्त्रीय गायन में अपना परचम लहराया.

- Advertisement -

सोलो तबला वादक अमन कुमार पांडेय तथा बिस्मिल्लाह खां संगीत एकेडमी से जुड़े गुरु पवन ओझा ने शास्त्रीय गायन में बेहतरीन प्रस्तुति की. अवधेश यादव ने राग मालकौंस प्रस्तुत किया. जिस पर काफी तालियां बटोरी। उपस्थित लोगों में प्रभाकर, रवि, कृष, आशीष, रोहित, खुशी, रिमी, पूजा, आरती आदि मौजूद थे. फाल्गुन माह के इस खुशनुमा माहौल में कार्यक्रम के अंत में लोगों ने एक दूसरे को अबीर-गुलाल लगाने के साथ होली की अग्रिम शुभकामना दी.

- Advertisement -

विज्ञापन और पोर्टल को सहयोग करने के लिए इसका उपयोग करें

spot_img
0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest
0 Comments
Oldest
Newest Most Voted
Inline Feedbacks
View all comments

विज्ञापन

spot_img

विज्ञापन

spot_img

विज्ञापन

spot_img

विज्ञापन

spot_img

संबंधित खबरें