शीतल टोला में मिली कालाजार से ग्रसित महिला, विभाग सतर्क
संभावित संदिग्ध मामलों की जांच के लिए शुक्रवार को वार्ड में शुरू होगा सर्वे
सर्वे के बाद वार्ड में कराया जाएगा एसपी पाउडर का छिड़काव
आरा, 04 अप्रैल | जिले में एक बार फिर कालाजार के मरीज की पुष्टि हुई है। जिसके बाद जिला स्वास्थ्य समिति अलर्ट मोड पर आ गया है। मामला नगर पालिका क्षेत्र के शीतल टोला का है। जहां 40 वर्षीय एक महिला में कालाजार की पुष्टि हुई है। इसके पूर्व 11 माह पहले भी नगर परिषद क्षेत्र स्थित वार्ड नंबर 33 में कालाजार का एक मरीज मिल चुका है। जिसको लेकर स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी भी सकते में हैं।
बुधवार को शीतल टोला की महिला में कालाजार के लक्षणों की पहचान कर मरीज का इलाज जल्द से किया गया। वहीं, शुक्रवार को सदर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र अंतर्गत स्वास्थ्य अधिकारियों का एक दल वार्ड में डोर टू डोर सर्वे करेगा। जिसके अंतर्गत बुखार के लक्षण वाले लोगों को चिह्नित कर उनकी जांच की जाएगी। साथ ही, प्रभावित वार्ड में सिंथेटिक पैराथायराइड (एसपी) पाउडर का छिड़काव भी कराया जायेगा।
ताकि, कालाजार के प्रभाव से दूसरे लोगों को बचाया जा सके। फिलहाल फ्रंटलाइन वर्कर्स के माध्यम से लोगों को कालाजार को लेकर जागरूक किया जा रहा है। लोगों को बताया जा रहा है कि कालाजार में मरीज को बार-बार बुखार आने लगता है। साथ ही, भूख में कमी, वजन का घटना, थकान महसूस होना, पेट का बढ़ जाना आदि इसके लक्षण के रूप में दिखाई देने लगते हैं।
ऐसे व्यक्ति को तुरंत नजदीक के अस्पताल में जाकर अपनी जांच करवानी चाहिए। ठीक होने के बाद भी कुछ व्यक्ति के शरीर पर चकता या दाग होने लगता है। ऐसे व्यक्तियों को भी अस्पताल जाकर अपनी जांच करानी चाहिए।
प्रभावित वार्ड के लोग बुखार को हल्के में न लें
अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. केएन सिन्हा ने बताया कि कालाजार से प्रभावित इलाके में लोग बुखार को हल्के में न लें। जिन इलाकों में कालाजार के मरीज मिलते हैं वहां एसपी पाउडर का छिड़काव कराया जाता है। ताकि, लोगों को कालाजार की चपेट में आने से बचाया जा सके।
उन्होंने बताया, कालाजार के लक्षणों की पहचान होना बहुत जरूरी है। इसका असर शरीर पर धीरे-धीरे पड़ता है। इसका परजीवी बालू मक्खी के जरिये फैलता है। इससे ग्रस्त मरीज खासकर गोरे व्यक्तियों के हाथ, पैर, पेट और चेहरे का रंग भूरा हो जाता है।
रुक-रुक कर बुखार आना, भूख कम लगना, शरीर में पीलापन और वजन घटना, तिल्ली और लीवर का आकार बढ़ना, त्वचा-सूखी, पतली और होना और बाल झड़ना कालाजार के मुख्य लक्षण हैं। ऐसे में जब किसी में लगातार बुखार के लक्षण दिखाई दें, तो वो तत्काल जाकर उसकी जांच कराएं।
बिना प्लास्टर के घरों में बालू मक्खी के छिपने की संभावना अधिक
वीबीडीसी अजीत कुमार ने बताया कि मिट्टी और बिना प्लास्टर के घरों में स्थित दरारों में बालू मक्खी के छिपने की संभावना अधिक रहती है। अमूमन बालू मक्खी कम रोशनी और नमी वाले स्थानों पर रहती है। जैसे घरों की दीवारों की दरारों, चूहों के बिल तथा ऐसे मिट्टी के टीले जहां ज्यादा जैविक तत्व और उच्च भूमिगत जल स्तर हो। ऐसे स्थान उनको पनपने में लिए बेहतर माहौल देते हैं।
उन्होंने बताया यह मक्खी उड़ने में कमजोर जीव है, जो केवल जमीन से छह फुट की ऊंचाई तक ही फुदक सकती है। मादा बालू मक्खी ऐसे स्थानों पर अंडे देती है जो छायादार, नम तथा जैविक पदार्थों से परिपूर्ण हो। जिन घरों में बालू मक्खियां पाई जाती हैं, उन घरों में कालाजार के संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है।