डुमरांव. वीर कुंवर सिंह कृषि कालेज में शुक्रवार को विश्व आर्द्रभूमि दिवस में मनाया गया. कालेज प्राचार्य ने कहां कि आर्द्रभूमि दिवस का आयोजन लोगों और हमारे ग्रह के लिये आर्द्रभूमि की महत्त्वपूर्ण भूमिका के बारे में वैश्विक जागरूकता बढ़ाने के लिये किया जाता है. इसी दिन वर्ष 1971 में ईरान के शहर रामसर में कैस्पियन सागर के तट पर आर्द्रभूमि पर एक अभिसमय को अपनाया गया था. विश्व आर्द्रभूमि दिवस पहली बार 2 फरवरी, 1997 को रामसर सम्मलेन के 16 वर्ष पूरे होने पर मनाया गया था.
नमी या दलदली भूमि वाले क्षेत्र को आर्द्रभूमि या वेटलैंड कहा जाता है. दरअसल, वेटलैंड्स वैसे क्षेत्र हैं, जहां भरपूर नमी पाई जाती है और इसके कई लाभ भी हैं. आर्द्रभूमि जल को प्रदूषण से मुक्त बनाती है. आर्द्रभूमि वह क्षेत्र है, जो वर्ष भर आंशिक रूप से या पूर्णतः जल से भरा रहता है. भारत में आर्द्रभूमि ठंडे और शुष्क इलाकों से लेकर मध्य भारत के कटिबंधीय मानसूनी इलाकों और दक्षिण के नमी वाले इलाकों तक फैली हुई है. आफिसर इंचार्ज डा. आनंद कुमार जैन ने कहां कि जिस प्रकार से हमारे शरीर में जल को शुद्ध करने का कार्य किडनी द्वारा किया जाता है, ठीक उसी प्रकार आर्द्रभूमि तंत्र जल-चक्र द्वारा जल को शुद्ध करता है और प्रदूषणकारी अवयवों को निकाल देता है.
वेटलैंड्स के नजदीक रहने वाले लोगों की जीविका बहुत हद तक प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से इन पर निर्भर होती है. इस अवसर पर छात्रों के बीच एक भाषण प्रतियोगता आयोजित की गई. जिसमें प्रथम वर्ष की छात्रा कुमारी जीविका राय ने प्रथम, इसी वर्ष की छात्रा कावेरी ने दूसरा तथा तीसरे वर्ष के छात्र राहुल कुमार ने तीसरा स्थान प्राप्त किया. इस कार्यक्रम को सफल बनाने में सुबोध कुमार, शाहीन नाज एवं अविनाश वैज्ञानिकों का अहम् योगदान रहा. कार्यक्रम की अध्यक्षता डा. धनजय कुमार सिंह वरिष्टय वैज्ञानिक, आभार एवं धन्यवाद डा. प्रियंका रानी ने किया.