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लुंबिनी में हिन्दी प्रचार हेतु अंतरराष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन, गौतम बुद्ध के सिद्धांतों पर हुई चर्चा, किया गया सम्मानित

लुंबिनी में हिन्दी प्रचार हेतु अंतरराष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन
गौतम बुद्ध के सिद्धांतों पर हुई चर्चा, प्रतिभागियों को किया गया सम्मानित

नेपाल/पटना। लुबिनी बौद्धिस्ट विश्वविद्यालय, लुंबिनी (नेपाल) में हिन्दी भाषा के प्रचार-प्रसार और साहित्यिक विमर्श को बढ़ावा देने के उद्देश्य से एक भव्य अंतरराष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन किया गया। इस सेमिनार में भारत के लगभग 18 राज्यों से आए प्रतिष्ठित साहित्यकारों, शोधार्थियों और हिन्दी प्रेमियों ने सहभागिता की।

हिन्दी के वैश्विक प्रचार में लुंबिनी की भूमिका

सेमिनार का मुख्य उद्देश्य हिन्दी भाषा को अंतरराष्ट्रीय पटल पर स्थापित करना तथा बौद्ध दर्शन के माध्यम से इसके प्रसार को गति देना था। लुंबिनी, जो कि भगवान गौतम बुद्ध की जन्मस्थली है, ने इस आयोजन के माध्यम से वैश्विक बौद्धिक संवाद को हिन्दी भाषा के माध्यम से एक नई दिशा प्रदान की।

प्रतिभागियों द्वारा प्रस्तुत किए गए शोध पत्र

सेमिनार के विभिन्न सत्रों में प्रतिभागियों ने हिन्दी भाषा, साहित्य, संस्कृति तथा गौतम बुद्ध के सिद्धांतों पर आधारित शोध पत्र प्रस्तुत किए। इन पत्रों में बौद्ध दर्शन, अहिंसा, करुणा, और समता जैसे विचारों को हिन्दी साहित्य में स्थान देने की संभावनाओं पर चर्चा हुई।

साहित्यिक सेवाओं के लिए सम्मान समारोह

गौतम बुद्ध के सिद्धांतों पर विद्वानों की गहन चर्चा
कार्यक्रम में विभिन्न विश्वविद्यालयों के प्राध्यापकों, विद्वानों और बौद्ध चिंतकों ने गौतम बुद्ध के सिद्धांतों की प्रासंगिकता पर अपने विचार रखे। वक्ताओं ने बताया कि बुद्ध का दर्शन न केवल धार्मिक बल्कि सामाजिक और नैतिक सुधार का भी माध्यम रहा है, जिसे हिन्दी साहित्य में प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत किया जा सकता है।

सेमिनार के अंत में एक सम्मान समारोह का आयोजन किया गया, जिसमें हिन्दी भाषा और साहित्य के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान देने वाले प्रतिभागियों को सम्मानित किया गया।

इस अवसर पर डाॅ रविता पाठक, सेंट्रल यूनिवर्सिटी ऑफ उड़िसा, कोरापुट, डिपार्टमेंट ऑफ एजुकेशन को भी अपने शोध पत्र को प्रस्तुत करने का अवसर प्राप्त हुआ। उनके द्वारा प्रस्तुत शोध पत्र को विद्वानों ने अत्यंत सराहा और हिन्दी भाषा व बौद्ध दर्शन के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए उन्हें भी सम्मानित किया गया। यह उनके लिए अत्यंत गौरवपूर्ण और प्रेरणादायी क्षण रहा।

लुबिनी बौद्धिस्ट विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित यह सेमिनार हिन्दी भाषा के प्रचार-प्रसार के लिए एक मील का पत्थर साबित हुआ। इससे यह स्पष्ट हुआ कि हिन्दी भाषा का दायरा सीमित नहीं है, बल्कि यह विश्व मंच पर भी अपने प्रभाव को सिद्ध कर सकती है। लुंबिनी की पवित्र धरती से हिन्दी की यह यात्रा और भी व्यापक रूप ले, यही सभी की कामना है।

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