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महारानी उषारानी बालिका मध्य विद्यालय, डुमराँव में समारोह पूर्वक मनाया गया हिंदी दिवस

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डुमराँव. राजगढ़ परिसर स्थित महारानी उषारानी बालिका मध्य विद्यालय में हिन्दी दिवस समारोहपूर्वक मनाया गया। इस अवसर पर सभी बच्चियों से अपने अपने स्तर से इसे यादगार बनाने की कोशिस की। कार्यक्रम की शुरुआत सर्वप्रथम बालिकाओं द्वारा रंगोली बनाकर कक्षा के श्यामपट्ट पर हिंदी दिवस से संबंधित स्लोगन लिखकर किया गया। बच्चियों ने भाषण देकर तथा इससे संबंधित चार्ट पेपर बनाकर अपनी सहभागिता सुनिश्चित की। इस अवसर पर सभी शिक्षक और शिक्षिकाओं ने पूरे दिन हिंदी में कार्य करने की प्राथमिकता दी।

इस अवसर पर विद्यालय की शिक्षिका शीला कुमारी ने कविता वाचन कराया जो काफी रोचक और उत्साहवर्धक रहा। कविता पाठ में भाग लेने वाली बच्चियों में शानवी, हर्षिता, ऋषिका, गुनगुन ने अपनी सशक्त सहभागिता सुनिश्चित की। विद्यालय हिंदी की शिक्षिका सुनीता कुमारी ने भी हिंदी दिवस के अवसर पर बच्चियों बच्चियों को उनकी मातृभाषा का महत्व और अक्षर ज्ञान दिया। उन्होंने हिंदी की माता बताया तथा इसकी विशेषताओं को बताते हुए इस भाषा की उत्पत्ति के बारे में जानकारी दी।

उन्होंने कहा कि हिंदी एक काफी समृद्ध भाषा है। इसका सही ढंग से उपयोग करने पर हम चीजों को काफी अच्छे और प्रभावकारी ढंग से समझ सकते हैं। विद्यालय के एक अन्य शिक्षक दिव्यांशु कुमार ने भी हिंदी दिवस के अवसर पर हिंदी और खड़ी बोली के महत्व पर प्रकाश देते हुए अपने बाल्य काल में कविता वाचन को याद किया तथा कुछ अच्छी कविता वाचन करके सभी बच्चियों को मंत्रमुग्ध कर दिया। विद्यालय की शिक्षिका पूनम राय ने आज के समाज में हिंदी की उपेक्षा के बारे में अपना दुख व्यक्त किया।

उन्होंने कहा कि आज हिंदी हासिये पर रह गयी है। सिर्फ राष्ट्रभाषा होने से उसका महत्व नहीं होता हमें अपने व्यावहारिक जीवन में भी इसका उपयोग करना चाहिए। विद्यालय के शिक्षक सोनू कुमार वर्मा ने हिंदी के राष्ट्रभाषा के रूप में उपयोग करने की नसीहत दी। उन्होंने सभी सरकारी कार्यालयों में हिंदी उपयोग की प्राथमिकता देने की बात की। उन्होंने कहा कि हिंदी एकमात्र ऐसी भाषा है जो पूरे भारत को एक सूत्र में पीरो सकती है। इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि यह हमारी सांस्कृतिक विरासत है।

हिंदी में अपनत्व की भावना है जिससे हम किसी भी चीजों से आसानी से जुड़कर उसके महत्व को समझ सकते है। विद्यालय के संस्कृत के शिक्षक उपेंद्र कुमार दुबे ने हिंदी भाषा की उत्पत्ति और संस्कृत के जुड़ाव के बारे में विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने कहा कि हिंदी साहित्य का रसास्वादन के लिए हमें संस्कृत का भी बढ़िया ज्ञान होना जरूरी है। अगर हम संस्कृत व्याकरण के संधि विच्छेद समास इत्यादि के बारे में जानकारी रखेंगे तो हिंदी पढ़कर उसकी आसानी से समझने में हमें काफी मदद मिलेगी।

उन्होंने वर्णों के उच्चारण स्थान उनकी उत्पत्ति, संयुक्त वर्ग इत्यादि के बारे में जानकारी देते हुए इसके उपयोग की सलाह दी। अंततः विद्यालय के प्रधानाध्यापक मोहम्मद शरीफ अंसारी ने भी हिंदी उपयोग करने की सलाह दी और इसके महत्व और उपयोग करने से होने वाले फायदो की जानकारी दी और इसका उपयोग कर पूरे भारत को एक सूत्र में पिरोने की वकालत की।

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