आरा : मध्य विद्यालय भालूहीपुर में स्वतंत्र भारत के प्रथम शिक्षा मंत्री डॉक्टर अबुल कलाम आजाद के जन्मदिवस को राष्ट्रीय शिक्षा दिवस के रूप में प्राध्यापक कहकशा फातमा और अध्यापक शशिकांत पांडेय द्वारा संयुक्त रूप से पुष्प माला अर्पित कर पारंपरिक तरह से मनाया गया। इस अवसर पर प्राध्यापक फातिमा द्वारा अबुल कलाम आजाद के व्यक्तित्व के बारे में बताते हुए कहीं धर्म से बढ़कर, अपने कर्म के पथ पर चलते हुए स्वतंत्रता संग्राम में कूद पड़े और आजाद भारत के पहले शिक्षा मंत्री बनें। वही शिक्षक श्री पांडेय द्वारा छात्र-छात्राओं को संबोधित करते हुए बताए की 1857 की क्रांति के दौरान उनके दादाजी भारत छोड़कर मक्का चले गए। उस वक्त तुर्क साम्राज्य का हिस्सा था जो कि आज सऊदी अरब का हिस्सा है।
वही 11 नवंबर, 1888 उनका जन्म हुआ। इसके बाद वापस 1890 में उनका परिवार आकर कोलकाता में बस गया। वहीं से इनकी शिक्षा दीक्षा शुरू हुई और इस्लामी शिक्षा के अलावा उन्हें दर्शनशास्त्र, इतिहास तथा गणित की शिक्षा भी अन्य गुरुओं से मिली। आज़ाद ने उर्दू, फ़ारसी, हिन्दी, अरबी तथा अंग्रेजी़ भाषाओं में महारथ हासिल की। 16 साल में उन्हें वो सभी शिक्षा मिल गई थीं, जो आमतौर पर 25 साल में मिला करती थी। उनमें पत्रकारिता और देश के प्रति क्रांतिकारी की भावना कूट-कूट कर मरी थी। इसके अलावा वे खिलाफ़त आंदोलन के भी प्रमुख थे। खिलाफ़त तुर्की के उस्मानी साम्राज्य की प्रथम विश्वयुद्ध में हारने पर उन पर लगाए हर्जाने का विरोध करता था। उस समय ऑटोमन (उस्मानी तुर्क) मक्का पर काबिज़ थे और इस्लाम के खलीफ़ा वही थे। इसके कारण विश्वभर के मुस्लिमों में रोष था।
भारत में यह खिलाफ़त आंन्दोलन के रूप में उभरा, जिसमें उस्मानों को हराने वाले मित्र राष्ट्रों (ब्रिटेन, फ्रांस, इटली) के साम्राज्य का विरोध हुआ था। गाँधी जी के असहयोग आन्दोलन में उन्होंने सक्रिय रूप से भाग लिया।स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद 1952 के संसदीय चुनावों में वे उत्तर प्रदेश की रामपुर संसदीय सीट से तथा 1957 के संसदीय चुनावों में हरियाणा की गुड़गांव संसदीय सीट से कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में सांसद चुने गए। उनकी मृत्यु स्वतंत्र भारत की राजधानी दिल्ली में 22 फरवरी, 1958 को हो गया। उन्हें मरणोपरांत भारत के सर्वाेच्च पुरस्कार भारत रत्न से सम्मानित किया गया। वही शिक्षिका अनीता सिंह ने बताया की कलाम व्यक्तित्व के धनी थे और देश के प्रति सजग थे तो बच्चों को उनसे शिक्षा लेनी चाहिए और उन्हीं की तरह बनना चाहिए। क्योंकि आज के बच्चे हैं। देश के भविष्य हैं। मौके पर मो साजिद, विपुल, अनीता सिंह, शशिकांत पाण्डेय, तालिमी मरकज सबीना और सभी छात्र-छात्राओं ने पुष्प माला चढ़ाकर श्रद्धा सुमन अर्पित किए।