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भाकपा-माले ने 11 वां महाधिवेशन सफल करने के लिए नगर भवन में किया जिला स्तरीय कन्वेंशन

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डुमराँव. भाकपा माले के 11वें पार्टी महाधिवेशन एवं ‘लोकतंत्र बचाओ-देश बचाओ’ रैली को सफल बनाने के लिए डुमराँव के नगर भवन में कार्यकर्ता कन्वेंशन आयोजित की गयी । कन्वेंशन का संचालन जिला सचिव कॉम० नवीन ने किया । पार्टी के शहीद व दिवंगत नेताओं व कार्यकर्ताओं को श्रद्धांजलि देते हुए कन्वेंशन की शुरुआत की गयी । जिले के विभिन्न प्रखण्डों के प्रखण्ड सचिवों ने अपने-अपने प्रखण्डों की तैयारी की रिपोर्ट कन्वेंशन में रखा ।

कार्यकर्ता कन्वेंशन के मुख्य अतिथि पार्टी के बिहार राज्य सचिव कॉ कुणाल ने कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि भाकपा माले ने अपने अधिकारों के लिए लड़ने वाले समाज के सबसे कमजोर वर्गों के नेतृत्व में 1970 के दशक से ही क्रांतिकारी संघर्षों और शहादतों की लंबी विरासत के दम पर संघर्ष जारी रखे हुए है । माले का आंदोलन सामाजिक और आर्थिक स्वतंत्रता और समानता हासिल करने के लिए आज भी जारी है। शहीदों ने आंदोलन को और मजबूत किया और उसके आधार पर गांव के गरीब, वंचित लोग, भूमिहीन किसान और महिलाएं ने इसे आज भी संभाले हुए है ।

माले के नेतृत्व में गरीब, मजदूर वर्ग, किसान और युवा सबसे अधिक संगठित है और आगे बढ़ने की ताकत रखता है। 2014 से देश में एक ऐसी हुकूमत चल रही है, जो देश के संविधान, लोकतंत्र और अब तक हासिल किए गए हमारे सभी अधिकारों को कुचलने पर तुली हुई है। देश के प्रधानमंत्री कहते हैं कि आने वाले दिनों में देश में एक ही पार्टी होगी और अमित शाह का ऐलान है कि बीजेपी 5 नहीं, 50 साल तक राज करेगी । वहीं अंबानी-अडानी को हमारे खून-पसीने की कमाई की सारी संपत्ति हड़पने की खुली छूट दे दी गई है ।

सत्ता और दौलत के गठजोड़ का ही घमंड है कि ये 50 साल तक देश पर राज करने का सपना देखते हैं। अमित शाह गर्व से गुजरात के नरसंहार और उनके द्वारा मुसलमानों की हत्या को ‘स्थायी शांति’ बताते हैं । बीजेपी के पास 2002 के नरसंहार और मोरबी पुल कांड का गुजरात मॉडल है, वहीं दूसरी तरफ बिहार में संघर्षों का मॉडल है- ये मॉडल हमने बनाया है । 2020 के चुनाव में बिहार की जनता ने बीजेपी को लगभग बाहर कर दिया। किसी तरह सत्ता तो बच गई, लेकिन बिहार के राजनीतिक माहौल में इसे बेमानी बना दिया गया ।

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बिहार में अभी महागठबंधन की सरकार है, लेकिन हम जनता के साथ पूरी तरह से खड़े हैं- रोजगार की मांग कर रहे युवा, बुलडोजर झेल रहे गरीब लोग, न्यूनतम मजदूरी की मांग, मनरेगा मजदूर की लड़ाई के साथ हम खड़े हैं । हमारा मानना ​​है कि सरकार को अपना काम करने के लिए हमें जन संघर्षों को और तेज करना होगा । बिहार किसी सरकार के बल पर नहीं बल्कि जनांदोलन के बल पर खड़ा है। यह एकमात्र तरीका है जिससे यह आगे बढ़ा है।

इसलिए आज हम पर एक बड़ी जिम्मेदारी है । 15 फरवरी 2023 को गांधी मैदान, पटना में 11वीं पार्टी कांग्रेस के अवसर पर बिहार के गरीब-भूमिहीन-मजदूर ‘लोकतंत्र बचाओ, देश बचाओ’ रैली में एकजुट होकर शामिल होंगे। लोगों का यह जमावड़ा लोकतंत्र, संविधान और आजादी को बचाने की लड़ाई में ऐतिहासिक कदम होगा। इस रैली को ऐतिहासिक बनाएं, पिछले सभी रिकॉर्ड तोड़ने के लिए गरीबों को एकजुट करें और 2024 के चुनावों में बीजेपी की हार सुनिश्चित करें।

कन्वेंशन को प्रखंड सचिवों सुकर राम, हरेंद्र राम, वीरेंद्र सिंह, जगनारायण शर्मा, ललन प्रसाद, अयोध्या सिंह , वीरेंद्र यादव आदि ने संबोधित किया। साथ ही पार्टी नेता अलख नारायण चौधरी, धर्मेंद्र, नीरज , धनजी पासवान ,महफुज , नारायण दास , संध्या पाल, रेखा देवी आदि ने संबोधित किया।

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