पटना. शनिवार को जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान, विक्रम पटना में एक दिवसीय गैर आवासीय उन्मुखीकरण का आयोजन किया. इसका उद्देश्य था कि शिक्षक व बच्चों में आत्म विश्वास जगाएं, वह जैसे हैं (शारीरिक और मानसिक रूप से) वैसे ही ठीक हैं. खुद को कभी हीन भावना से नहीं ग्रसित करना चाहिए. हर बच्चें कुछ अलग होते हैं. हर बच्चों में कुछ विशेषता होती है.
बस शिक्षकों को उनमें आत्म सम्मान के लिए प्रेरित करना है. उन्हें ऐसे शब्दों संबोधित नहीं करना है कि उनका विकास प्रभावित हो.बच्चों के समूचित विकास के लिए उन्हें सराहना, उनको प्रोत्साहित करना भी आवश्यक है. प्रशिक्षण के दौरान बताया गया कि बच्चों में आत्मसम्मान की कमी, रंग-रूप एवं शारीरिक बनावट को लेकर उत्पन्न हीन भावना, लैंगिक रूढ़िवादिता आदि ऐसे महत्वपूर्ण मुद्दे हैं, जो किशोर-किशोरियों के मानसिक और शैक्षणिक विकास को कई तरह से बाधित कर रहे हैं.
ये अवसाद का शिकार हो रहे हैं और उनकी पढ़ाई -लिखाई व करियर भी बुरी तरह से प्रभावित हो रहा है. इस तरह के मामलों में वृद्धि देखी जा रही है. कोरोना काल में शिक्षा व्यवस्था पूरी तरह से ऑनलाइन हो गई है. शिक्षा प्रणाली में अचानक से हुए इस बदलाव के लिए शिक्षक से लेकर छात्र तक तैयार नहीं थे. शिक्षकों के सामने छात्रों को तकनीक की मदद से शिक्षित करने और उनको परीक्षाओं की तैयारी कराने की चुनौती थी.
इन सब चुनौतियों से निपटते-निपटते उनके शारीरिक के साथ-साथ मानसिक स्वास्थ्य पर भी असर पड़ा है. किशोर लड़कों और लड़कियों को सशक्त बनाने के लिए ‘आत्मसम्मान-आधारित जीवन कौशल कार्यक्रम’ के तहत शिक्षकों को मास्टर ट्रेनर्स के रूप में प्रशिक्षण दिया जा रहा है.