हाथीपांव के मरीजों को एमएमडीपी किट का अनिवार्य रूप से करना चाहिए प्रयोग, मरीज को विकलांग बनाने के साथ उसकी मानसिक स्थिति पर डालती है बुरा प्रभाव
बक्सर : आज के दौर में अस्वास्थ्यकर आहार और शारीरिक निष्क्रियता के कारण लोग ज्यादा बीमार होने लगे हैं। वहीं, कुछ बीमारियां ऐसी हैं, जो वेक्टर जनित होती हैं। जिसमें फाइलेरिया के प्रमुख रोग है। फाइलेरिया को बोलचाल की भाषा में हाथीपांव रोग भी जाना जाता है। यह बीमारी मच्छर के काटने से फैलती है।
यह एक ऐसी घातक बीमारी है, जो शरीर को धीरे-धीरे खराब करती है। इस वजह से इस बीमारी का पता समय पर नहीं लग पाता और कुछ समय बाद यह काफी फैल जाती है। वहीं, विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएओ) के अनुसार, दीर्घकलिक दिव्यांगता की एक बड़ी वजह फाइलेरिया है। हालांकि, समय पर फाइलेरिया का पता चल जाता है, तो इसका प्रबंधन संभव है।
फाइलेरिया के कारण इंसान कुरूप, त्वचा मोटी और हाथ-पैरों और प्रजनन अंगों को प्रभावित करती है, जिससे अंगों में सूजन बढ़ जाता है। फाइलेरिया मुख्यतः मनुष्य के शरीर के चार अंगों को प्रभावित करता है। जिसमें पैर, हाथ, हाइड्रोसील एवं महिलाओं का स्तन शामिल हैं। हालांकि, मरीजों द्वारा फाइलेरिया से बचाव के लिए दवाओं का सेवन करने के साथ रुग्णता प्रबंधन और विकलांगता रोकथाम (एमएमडीपी) किट के इस्तेमाल से इसका प्रभाव कम होने की संभावना रहती है।
लक्षण दिखने में लग जाते हैं सालों
जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. शैलेंद्र कुमार ने बताया कि फाइलेरिया का संक्रमण किसी भी उम्र में हो सकता है। मगर इसके लक्षण दिखने में सालों लग जाते हैं। इसके लक्षण कभी भी स्पष्ट दिखाई नहीं देते। हालांकि, बुखार, बदन में खुजली और पुरुषों के जननांग और उसके आस-पास दर्द व सूजन की समस्या दिखाई देती है। इसके अलावा पैरों और हाथों में सूजन, हाथी पांव और हाइड्रोसील (अंडकोषों की सूजन) भी फाइलेरिया के लक्षण हैं।
चूंकि इस बीमारी में हाथ और पैर हाथी के पांव जैसे सूजन आ जाते हैं। इसलिए इस बीमारी को हाथीपांव कहा जाता है। फाइलेरिया व्यक्ति को विकलांग बनाने के साथ-साथ मरीज की मानसिक स्थिति पर भी बुरा प्रभाव डालती है। उन्होंने बताया कि जिले के सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर एमएमडीपी क्लिनिक खुल चुके हैं। जहां मरीजों को निशुल्क किट एवं उनके इस्तेमाल की जानकारी दी जा रही है।
लोगों को दी जाती है फाइलेरिया रोधी दवाइयां
डॉ. शैलेंद्र कुमार ने बताया, सरकार व स्वास्थ्य विभाग फाइलेरिया बीमारी से निपटने के लिए अभियान के तहत कार्य कर रहा है। आगामी 20 सितंबर से जिले में सर्वजन दवा सेवन कार्यक्रम में शुरू हो रहा है। जिसमें लोगों को दवाओं का सेवन कराने के साथ उन्हें फाइलेरिया से बचाव की भी जानकारी दी जाएगी।
इस अभियान में दो साल से छोटे बच्चों, गंभीर बीमारियों के रोगियों और गर्भवती महिलाओं को छोड़कर सभी को फाइलेरिया रोधी दवाइयां दी जा सकती हैं। साथ ही, जिले के लोगों को डीईसी और अल्बेंडाजोल जैसी फाइलेरिया रोधी दवाइयां दी जाती हैं। यदि किसी को इस बीमारी के लक्षण नजर आते हैं तो वे घबराएं नहीं। स्वास्थ्य विभाग के पास इसका पूरा उपचार उपलब्ध है। विभाग स्तर पर मरीज का पूरा उपचार नि:शुल्क होता है।