spot_img

परिवार नियोजन के साधनों का प्रयोग करने में महिलाएं पुरुषों से आगे

यह भी पढ़ें

- Advertisement -

बक्सर | बढ़ती जनसंख्या पर अंकुश लगाने के लिए परिवार नियोजन बेहद जरूरी है। यह तभी संभव है जब महिलाएं और पुरुष दोनों ही अपनी जिम्मेदारी को बखूबी समझें। अब कारण भले ही कुछ हों, लेकिन महिलाएं इसके प्रति गंभीर हैं। वहीं, पुरुषों में परिवार नियोजन के प्रति सहभागिता और जागरूकता की कमी है। यही कारण है कि जिले में चलाए जाने वाले परिवार नियोजन पखवाड़ों में भी पुरुषों की भागीदारी कम दिखती है। सरकारी आंकड़ों में भी पुरुष महिलाओं की तुलना में काफी पीछे हैं।

नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-5 (एनएफएचएस-5) की रिपोर्ट के अनुसार महिलाओं में परिवार नियोजन के प्रति सजगता लगातार बढ़ रही है। एनएफएचएस की सर्वे रिपोर्ट में बक्सर जिले से 15 से 49 वर्ष आयुवर्ग की महिलाओं को शामिल किया गया है। रिपोर्ट के अनुसार परिवार नियोजन के साधनों का प्रयोग करने का आंकड़ा अब और बढ़ा है। इसमें महिलाएं अब भी पुरुषों से आगे हैं। बढ़ती जनसंख्या को नियंत्रित करने के लिए सरकार की ओर से तमाम योजनाओं का संचालन किया जा रहा है पर परिणाम में कोई खास परिवर्तन अब तक सामने नहीं आ सका है।

महिला नसबंदी में 5.3 फीसदी की वृद्धि दर्ज

एनएफएचएस की सर्वे रिपोर्ट के अनुसार अब बक्सर की 60.5 फीसदी महिलाएं परिवार नियोजन के किसी न किसी साधन का प्रयोग कर रही हैं। यह आंकड़ा एनएफएचएस-4 सर्वे में 35 फीसदी था। महिला नसबंदी अब 35.1 फीसदी तक पहुंच चुकी है। जो पूर्व के सर्वे में 29.8 फीसदी थी। यहां भी 5.3 फीसदी की वृद्धि दर्ज हुई है, जबकि पुरुषों की नसबंदी का ग्राफ 0.4 फीसदी पर ही सिमटा हुआ है। गर्भ निरोधक गोलियों के सेवन का आंकड़ा पिछले सर्वे की तुलना में 1.6 फीसदी बढ़कर 2.4 फीसदी दर्ज हुआ है।

आईयूडी, पीपीआईयूडी और इंजेक्शन के प्रयोग से महिलाएं कर रही हैं परहेज। , प्रसव के बाद परिवार नियोजन के साधन का तरीका आईयूडी, पीपीआईयूसीडी (पोस्टपार्टम इंट्रायूटेराइन कॉन्ट्रासेप्टिव डिवाइस) के प्रयोग का आंकड़ा अब कम हुआ है। सर्वे रिपोर्ट चार के दौरान 0.5 फीसदी महिलाओं ने इनका प्रयोग किया था पर अब 1.0 फीसदी ही इनका प्रयोग कर रही हैं। इसी तरह परिवार नियोजन के लिए इंजेक्शन के इस्तेमाल में भी पिछले सर्वे के अनुसार करीब 0.8 फीसदी की बढ़ोत्तरी दर्ज हुई है। इन तरीकों के प्रयोग के बाद 67.3 फीसदी महिलाओं ने साइड इफेक्ट की बात कही है।

- Advertisement -

भ्रामक सूचनाओं से जूझ रहा है पुरुष वर्ग

डीसीएम हिमांशु सिंह ने बताया, करीब 90 फीसदी पुरुष भ्रामक सूचनाओं की चपेट में हैं। उन्हें नसबंदी या कंडोम प्रयोग के बाद चरमसुख प्रभावित होने, नसबंदी तकलीफदेह होने, जननांग संबंधी कैंसर का खतरा बढ़ने, डिमेंशिया की चपेट में आने समेत अन्य गलतफहमी हैं, जबकि शोध के अनुसार यह सब मिथक हैं। नसबंदी या परिवार नियोजन के साधनों के प्रयोग के दौरान कोई भी क्रिया प्रभावित नहीं होती।

यौन रोग एचआईवी-एड्स, सिफलिस जैसी संक्रामक बीमारियों से सुरक्षा मिलती है। वहीं, परिवार नियोजन के लिए लोगों को स्थायी व अस्थायी विकल्प की सुविधा उपलब्ध कराई जा रही। जो जिले के सभी स्वास्थ्य केंद्रों में उपलब्ध हैं। स्वास्थ्य केंद्रों में लोगों को इसकी जानकारी देने के लिए नियमित आशा, एएनएम आदि उपस्थित रहती हैं। जिनसे लोग परिवार नियोजन के स्थायी व अस्थायी साधनों की जानकारी ले सकते हैं।

- Advertisement -

विज्ञापन और पोर्टल को सहयोग करने के लिए इसका उपयोग करें

spot_img
0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest
0 Comments
Oldest
Newest Most Voted
Inline Feedbacks
View all comments

विज्ञापन

spot_img

विज्ञापन

spot_img

विज्ञापन

spot_img

विज्ञापन

spot_img

संबंधित खबरें