डुमरांव. एक शिक्षक की कलम से अपने प्यारे-प्यारे बच्चों के लिए बाल दिवस का संदेश हमेशा अपने अंदर के बच्चें से मिलते रहिए. जीवन खुशनुमा बना रहेगा. उक्त बातें प्राथमिक विद्यालय प्रखंड कालोनी फुलवारी शरीफ पटना की शिक्षिका नीतू शाही ने कहीं.
उन्होने कहां कि बच्चें भी पौधे की तरह ही होते है, जिस प्रकार एक माली अपने पौधों को सींच कर एक फलदार पेड़ बना देते है. उसी तरह एक प्राथमिक कक्षा के शिक्षक के लिए तो यह चुनौती और अधिक बढ़ जाती है, जब उन्हें नैनिहाल को अंतिम घंटी तक सक्रिय और व्यस्त बना कर रखना पड़ता है.
जिन्हें दादी की कहानी सुनने, मोबाइल से खेलते और पिता की पीठ पर घोड़े की सवारी करने का अनुभव प्राप्त रहता है. शिक्षिका ने कहां कि इस बाल आनंद और किताबी ज्ञान के बीच की दूरी को पाटने के लिए ही एक शिक्षक कला शिक्षा के अंतर्गत कुछ मनोरंजनात्मक गतिविधियों का भी सहारा लेता है.
ताकि वह छीजन जैसे समस्या पे पार पाकर समाज और देश की अपेक्षाओं पर खरा उतर सकें. हमारे देश के सभी बच्चें आप आने वाले कल के देश का भविष्य हो, इसलिए आप हमेशा लगन, मेहनत और ईमानदारी से अपना कर्तव्य निभाने की कोशिश करंे. अपने माता-पिता के साथ-साथ अपने देश का भी नाम रोशन करंे.