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नावानगर पीएचसी में जिले के पहले एमएमपीडी क्लिनिक का शुभारंभ, मरीजों में बांटी गई किट

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बक्सर, 20 दिसंबर | फाइलेरिया के हाथीपांव मरीजों के लिए अच्छी खबर है। अब उनके लिए प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र स्तर पर मार्बीडीटी मैनेजमेंट एंड डिसेबिलिटी प्रीवेंशन (एमएमडीपी) क्लिनिक खोली जा रही है। इस क्रम में मंगलवार को नावानगर प्रखंड स्थित पीएचसी में जिले का पहले एमएमडीपी क्लिनिक का शुभारंभ किया गया। इस दौरान जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. शैलेंद्र कुमार ने फीता काटकर क्लिनिक का उद्घाटन किया। मौके पर डॉ. शैलेंद्र कुमार ने बताया कि फाइलेरिया एक वेक्टर जनित बीमारी है। जो मच्छर के काटने से फैलती है। इसलिए सभी को मच्छरों से बचाव के लिए सभी एहतियात बरतते हुए बचाव के उपाय करने होंगे।

ताकि मच्छरों से परिवार के सभी लोगों का बचाव किया जा सके। इस क्रम में पीएचसी स्तर पर मौजूद फाइलेरिया मरीजों के साथ अन्य मरीजों के बीच फाइलेरिया को लेकर लक्षणों की पहचान, इलाज व बचाव की जानकारी दी गई। साथ ही, मरीजों के बीच फाइलेरिया से संबंधित उपचार विधि और व्यायाम की जानकारी दी गई। इस दौरान एमओआईसी डॉ. कमलेश कुमार, केयर वीएल डीपीओ चंदन प्रसाद, वेक्टर जनित रोग नियंत्रण सलाहकार राजीव कुमार, बीएचएम चिंता मणि, बीसीएम अभिषेक कुमार, केटीएस उपेंद्र पांडेय, स्वाथ्य कर्मियों में रविन्द्र, कृष्ण कुमार, वीरेंद्र गिरी, सतीश राय, राधेश्याम पांडेय, अरुण शर्मा व अन्य लोग मौजूद रहे।

क्लिनिक में मरीजों की होगी काउंसलिंग भी

जिला वेक्टर बॉर्न डिजीज कंट्रोलर ऑफिसर डॉ. शैलेंद्र कुमार ने बताया, जिले के हाथीपांव से ग्रसित लोगों की लाइन लिस्टिंग की जा रही है। ताकि, उनको एमएमडीपी किट प्रदान किया जा सके। इसके लिए सभी प्रखंडों के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारियों को सूचित किया जा चुका है। इसके लिए जिलास्तर पर शिविर का आयोजन किया जायेगा। किट में मरीजों को बाल्टी, मग, टब, सूती तौलिया, साबुन व एन्टी फंगल क्रीम दी जाती है। साथ ही, मरीजों को किट के इस्तेमाल की जानकारी दी जाएगी। मरीजों को किट के प्रयोग की विधि जाननी बेहद जरूरी होती है। साथ ही, मरीजों की काउंसलिंग भी की जाएगी।

मरीजों को दिखाया गया डेमो

इस दौरान डॉ. शैलेंद्र कुमार के नेतृत्व में वीबीडीसी राजीव कुमार व केटीएस ने फलेरिया से प्रभावित स्थानों को साफ करने व दवा लगाने की विधि बताई । इस दौरान एमएमडीपी किट का प्रयोग करने के पूर्व मरीजों को डेमो दिखाया गया है। जिससे वे उपचार की विधि समझ सकें। हाथीपांव के मरीज उपचार के समय पहले पैर पर पानी डाल लें। उसके बाद हांथ में साबुन लेकर उसे खूब रगड़ें और झाग निकालें। जिसके बाद हल्के हांथ से पैर में घुटने से लेकर उंगलियों व तलुए तक साबुन लगायें। जिसके बाद हल्के हाथ से घुटने से पानी डालकर उसे धो लें। जिसके बाद तौलिया लेकर हल्के हाथ से पोंछ लें। ध्यान रहे कि रगड़ना बिल्कुल नहीं है। इसके बाद पैर में जहां पर घाव हो वहां पर क्लोबनी क्रीम लगायें। यदि, मरीज के पैर में घाव नहीं हैं तो पैर में हल्के हांथ से नारियल का तेल लगा सकते हैं।

संक्रमण के पश्चात बीमारी होने में पांच से 15 वर्ष लग सकते हैं

केयर इंडिया के वीएल डीपीओ चंदन प्रसाद ने बताया, फाइलेरिया मच्छर के काटने से होने वाला एक संक्रामक रोग है। जिससे किसी भी उम्र के व्यक्ति फाइलेरिया से संक्रमित हो सकता है। संक्रमण के पश्चात बीमारी होने में 05 से 15 वर्ष लग सकते हैं। उन्होंने बताया, फाइलेरिया मुख्यतः मनुष्य के शरीर के चार अंगों को प्रभावित करता है। जिसमें पैर, हाथ, हाइड्रोसील एवं महिलाओं का स्तन शामिल हैं । हाइड्रोसील के अलावा फाइलेरिया संक्रमित अन्य अंगों को ऑपरेशन द्वारा ठीक नहीं किया जा सकता है। संक्रमित व्यक्ति को समान्य उपचार के लिए किट उपलब्ध कराई जाती है, जबकि हाइड्रोसील फाइलेरिया संक्रमित व्यक्ति को मुफ्त ऑपरेशन की सुविधा मुहैया कराई जाती है।

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