डुमरांव. कांव नदी के किनारे मां बसवनी मंदिर का वार्षिक पूजनोत्सव बडे ही धूम-धाम शांतिपूर्ण ढ़ग से सपन्न हुआ. अहले सुबह मंदिर पूजा समिति और श्रद्धालूओं द्वारा गाजे-बाजे के साथ नगर भ्रमण किया. दोपहर में वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ माता का पूजा-अर्चना हुआ. जिसमें सैकड़ों लोग शामिल हुए. ऐसे अहले सुबह से महिला-पुरूष व बच्चें नये रंग-बिरंगे परिधान के साथ पहुंच मात्था टेक आर्शिवाद प्राप्त कर प्रसाद ग्रहण किया.
मंदिर परिसर में दर्शन को लेकर भक्तों की भीड लगी रही. पूजनोत्सव को लेकर राजगढ़ चैक से छठिया पोखर होते हुए मंदिर तक रौशनी की व्यवस्था समिति द्वारा किया गया था. मंदिर को आकर्षण रंग-बिरंगे रोशनी से सजाया गया था. देर शाम मां बसवनी की भव्य आरती हुई. जिसमें नगर सहित अनुमंडल क्षेत्र के श्रद्धालू पहुंच मात्था टेका. शहर के विभिन्न मुख्य मार्गो पर ध्वनि विस्तारक यंत्रों से शहर जयघोष व भक्ति संगीत से पूरा नगर गुंजयमान हो रहा था.
इस बाबत मंदिर के सत्येंद्र पहलवान ने बताया कि माता का स्थापना उतर प्रदेश के प्रसिद्ध मंदिर से मिट्टी लाकर स्थापित किया गया. किवंदती की मानें तो वर्षो पहले क्षेत्र में प्लेग, पीलीया और डायरिया का रोग चला था. इसके रोकथाम को लेकर माता का स्थापना किया गया. एक दशक पूर्व मंदिर का जिर्णोद्धार नगर व समिति के सहयोग से हुआ. पहले मां बसवनी की पूजा के दौरान पूर्व में आयोजनकर्ता रहें स्वतंत्रता सेनानी एकराम सिंह, बसंत जायसवाल, द्वारिका तिवारी ने गायकी कार्यक्रम कराया था.
जिसमें कलाकार शुक्र महाराज, कटे महाराज, गुदई महाराज पधारें थे. देर शाम मंदिर के आस-पास नजारा मेलामय हो गया था. देर रात तक मां के दरबार में श्रद्धालुओं का आवागमन रहा. छठिया पोखर से होकर मंदिर के बीच में स्थित पुलिया स्थायी व सड़क बनने से श्रद्धालुओं ने राहत की सांस ली. दुपहिया वाहन सहित चार पहिया वाहन तक लेकर पहुंचे. मंदिर परिसर में बाहर दर्जनों दुकान लगने से आस-पास का नजारा मेलामय देखने को मिला.
पारचुन, चाट-समोसा, जलेबी, खिलौना, गुब्बारा सहित अन्य दूकान पर भीड़ देखने को मिली. मौके पर विद्यासागर, विजय पहलवान, मांझिल चैरसिया, अखिलेश यादव, ब्रदी सिंह, रवि चैधरी, राजेश यादव, प्रताप, धमेंद्र यादव, चंदन सिंह, सूरज, टिवंकल, शिवम मिश्रा, अंकुर उपाध्याय, विमलेश दूबे, रणधीर सिंह, मनीेष, अविनाश, भरत, भोला आदि मौजूद रहंे.