डुमरांव. शिक्षक को अपने कार्य से समाज में सर्वश्रेष्ठ पर स्थान बनाने का प्रयास करते रहना चाहिए. शिक्षक के सामने इतिहास गवाह है कि राजा ने भी अपने सर को झुकाया है. शिक्षक बिना हथियार के ही समाज में सम्मान प्राप्त करता रहा है. शिक्षक समाज निर्माता की भूमिका सदियों से निभाता रहा है. उक्त वाक्य आज के सेमिनार के मुख्य अतिथि और पटना विश्वविद्यालय में ख्याति प्राप्त प्राचार्य रहे प्रोफेशन नवल किशोर चौधरी की है.
दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान डुमरांव के परिसर में है. कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्वलन के साथ हुई जिसमें संस्थान के प्राचार्य विवेक कुमार मौर्य, नवनीत कुमार सिंह, भूपेंद्र यादव के साथ पटना विश्वविद्यालय के प्रो नवल किशोर चौधरी, प्रो ललित कुमार, प्रोफेसर प्रभात रंजन ने संयुक्त रूप से की. सेमिनार मे प्रशिक्षु छात्राओं के द्वारा सरस्वती वंदना, स्वागत गीत और राज्य गीत, प्रार्थना गीत के साथ-साथ सांस्कृतिक प्रस्तुति से भव्य आगाज हुआ.
राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अंतर्गत शिक्षा विभाग के दिशा निर्देश के तहत 10 विभिन्न ने शीर्षक पर पूरा सेमिनार कार्यक्रम का आयोजन हुआ जिसमें परिचार्य ने इस तरह के आयोजन के उद्देश्य, प्रसंग और उपयोगिता की विस्तृत जानकारी के साथ विषय प्रवेश किया. पूरा कार्यक्रम ऑफलाइन और ऑनलाइन मोड में संचालित होता रहा जिसकी सराहना उपस्थित विभिन्न राज्यों के शोधकर्ता, व्याख्याता, शिक्षक एवं प्रशिक्षण ने की राज्य के विभिन्न डायट, जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान के व्याख्याता भी इस अवसर पर अपने व्याख्यान देने के लिए उपस्थित रहे.
उनके व्याख्यान से संस्थान के प्रशिक्षण और विभिन्न राज्यों के वक्ता काफी प्रभावित हुए. व्याख्यान कार्यक्रम में सम्मिलित होने वाले विद्वत जनों में डॉक्टर मनीष कुमार शशि, संगीता कुमारी, बृजेश कुमार, लीलावती कुमारी, सत्या प्रभा, विवेक रजक, विनोद प्रसाद, मनीष कुमार, अजय तिवारी, दिनेश प्रसाद, सहदेव प्रसाद, मनोरंजन प्रसाद इत्यादि सैकड़ों विद्वत लोग उपस्थित रहे. संस्थान के उप प्राचार्य ने धन्यवाद ज्ञापन के साथ सभा की समाप्ति की.
