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जिला विधिक सेवा प्राधिकार बक्सर के नेतृत्व में बक्सर प्रखंड परिसर में ’मानवाधिकार दिवस’ विधिक जागरूकता शिविर का हुआ आयोजन

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बक्सर. प्रखंड परिसर में जिला एवं सत्र न्यायाधीश सह अध्यक्ष आनंद नंदन सिंह, अवर न्यायाधीश सह सचिव देवेश कुमार जिला विधिक सेवा प्राधिकार बक्सर के नेतृत्व में ’मानवाधिकार दिवस’ विधिक जागरूकता शिविर का आयोजन पैनल अधिवक्ता मनोज कुमार श्रीवास्तव एवं पीएलवी राहुल मिश्रा द्वारा किया गया. मौके पर नीलम देवी, सुधीर कुमार, शाहजहां खातून, जूही बेगम, रंजीता कुमारी, रोहन, बिट्टू, आहिल खान, सहिदन बीबी, नजमुल, विजय, अनुराग उपस्थित रहें.

प्रत्येक साल 10 दिसंबर को मानवाधिकार दिवस मनाया जाता है. मानवधिकार दिवस लोगों के अधिकारों के प्रति जागरूक करने के उद्देश्य से मनाया जाता है. मानवाधिकारों में स्वास्थ्य, आर्थिक, सामाजिक और शिक्षा का अधिकार शामिल है. मानवाधिकार वे मौलिक प्राकृतिक अधिकार हैं, जिनसे जाति, राष्ट्रीयता, धर्म, लिंग, भाषा, संपति आदि के आधार पर मनुष्य को वंचित या उत्पीड़न नहीं किया जा सकता है. प्रत्येक साल संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा इस दिन को मनाने की थीम की घोषणा की जाती है.

मानवाधिकार दिवस-2023 की थीम, ’सभी के लिए स्वतंत्रता, समानता और न्याय’ रखी है. इस दिन को दुनिया की सबसे महत्वपूर्ण वैश्विक प्रतिज्ञाओं में से एक मानव अधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा (यूडीएचआर) की 75वीं वर्षगाँठ है.

यह ऐतिहासिक दस्तावेज उन अपरिहार्य अधिकारों को स्थापित करता है, जिसका एक इंसान के रूप में हर कोई हकदार है. यह घोषणा पत्र 10 दिसंबर 1948 को पेरिस में संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा घोषित किया गया था और इसमें पहली बार मौलिक मानवाधिकारों को सार्वभौमिक रूप से संरक्षित करने का प्रावधान किया गया था.

500 से अधिक भाषाओं में उपलब्ध यह दुनिया में सबसे अधिक अनुवादित दस्तावेज है. मानव अधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा मानव अधिकारों के इतिहास में एक मील का पत्थर दस्तावेज है. इंसानी अधिकारों को पहचान देने और वजूद को अस्तित्व में लाने के लिए और अधिकारों के लिए हर लड़ाई को ताकत देने के लिए 10 दिसंबर को मानवाधिकार दिवस मनाया जाता है. दुनिया में मानवता के खिलाफ हो रहें जुल्मों सितम को रोकने और संघर्ष को नई परवाज देने में इस दिन की महत्वपूर्ण भूमिका है.

मानव अधिकार वह मानदंड हैं, जो मानव व्यवहार के मानकों को परिभाषित करते हैं. किसी भी इंसान का जिंदगी, आजादी, बराबरी और सम्मान का अधिकार ही मानवाधिकार है. इनमें सबसे मौलिक जीवन के अधिकार से लेकर वे अधिकार शामिल हैं जो जीवन को जीने लायक बनाते हैं. जैसे कि भोजन, शिक्षा, स्वास्थ्य और स्वतंत्रता का अधिकार. भारतीय संविधान ने केवल गारंटी देता है, बल्कि मानवाधिकारों का उल्लंघन करने वालों को अदालतें सजा भी देती है.

भारत में 28 सितंबर 1993 से मानवाधिकार कानून लागू हुआ और 12 अक्तूबर 1993 को सरकार ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग का गठन किया था. मानवाधिकार आयोग के कार्यक्षेत्र में नागरिक, राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक अधिकार भी आते हैं. इसमें मुख्य तौर पर बालमजदूरी, एचआईवी/एड्स, स्वास्थ्य, भोजन, बाल विवाह, महिला अधिकार, पुलिस हिरासत और एनकाउंटर में होने वाली मौत, अल्पसंख्यकों और अनुसूचित जाति और जनजाति के अधिकार शामिल है. आयोग मानवाधिकार हनन की शिकायत मिलने पर जांच करके सरकार को सिफारिश भेज सकता है और सरकार पीड़ित व्यक्ति को मुआवजा देने के निर्देश दे सकता है.

मानवाधिकार संरक्षण की एक विस्तारित प्रणाली की नींव के रूप में कार्य किया है, जो आज विकलांग व्यक्तियों, स्वदेशी लोगों और प्रवासियों जैसे कमजोर समूहों पर भी ध्यान केंद्रित करता है. यूडीएचआर के अधिकारों में गरिमा और समानता के वादे पर हाल के वर्षों में लगातार हमले हो रहे हैं. चुकि दुनिया नई और चल रही चुनौतियों का सामना कर रही है.

महामारी, संघर्ष, बढ़ती असमानताएं, नैतिक रूप से दिवालिया वैश्विक वितीय प्रणाली, नस्लवाद, जलवायु परिवर्तन इसमें निहित मूल्य और अधिकार हमारे सामुहिक कार्यों के लिए दिशा-निर्देश प्रदान करते हैं, जो किसी को भी पीछे नहीं छोड़ते हैं. मानव अधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा में 30 अनुच्छेद है.

संयुक्त राष्ट्र के चार्टर में यह कथन था कि संयुक्त राष्ट्र के लोग यह यह विश्वास करते हैं कि कुछ ऐसे मानवाधिकार हैं जो कभी छीने नहीं जा सकते. मानव की गरिमा है और स्त्री-पुरूष के समान अधिकार है. इस घोषणा के परिणाम स्वरूप संयुक्त राष्ट्र संघ ने 10 दिसंबर 1948 को मानवाधिकार की सार्वभौमिक घोषणा अंगीकार की.

28 सितंबर 1993 को भारत में मानवाधिकार अधिनियम लागू हुआ. जिसके बाद 12 अक्तूबर 1993 को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग का गठन किया. मानवाधिकार आयोग राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक क्षेत्रों में भी काम करता है, जैसे मजदूरी, एड्स, स्वास्थ्य, बाल विवाह और महिलाओं के अधिकार. मानवाधिकार आयोग का काम ज्यादा से ज्यादा लोगों को जागरूक करना है.

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